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दिल्ली से पटना-विजयवाड़ा तक विरोध की लहर, वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम लॉ बोर्ड की हुंकार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

शाह बानो मामले में अपनी प्रभावी एकजुटता दिखाने और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को कानून बदलने के लिए मजबूर करने वाला ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) एक बार फिर अपने पुराने तेवर में नजर आ रहा है। इस बार मुद्दा वक्फ संशोधन विधेयक है, जिसे लेकर पर्सनल लॉ बोर्ड जंतर-मंतर समेत देशभर में शक्ति प्रदर्शन कर चुका है। अब इस मुद्दे को राष्ट्रव्यापी स्तर पर उठाने की तैयारी हो रही है।

वक्फ संशोधन विधेयक: एक और सांस्कृतिक संघर्ष?

विशेषज्ञों का मानना है कि तीन तलाक, उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC), एनआरसी-सीएए, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद, मदरसों पर नियंत्रण, शादी की उम्र में संशोधन और मस्जिद-मकबरों के नीचे मंदिर खोजने जैसे मामलों पर चुप्पी साधने वाले मुसलमानों के सामने अब वक्फ संशोधन विधेयक के रूप में एक और चुनौती खड़ी हो गई है। मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि यह विधेयक देश के अल्पसंख्यकों को राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर अलग-थलग करने की एक और कोशिश है। हाल ही में हरिद्वार महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध इसका ताजा उदाहरण बताया जा रहा है।

17 मार्च को दिल्ली प्रदर्शन के बाद राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता और वक्फ विधेयक के खिलाफ गठित एक्शन कमेटी के संयोजक डॉ. एस.क्यू.आर. इलियास ने घोषणा की है कि 17 मार्च को दिल्ली में सफल विरोध प्रदर्शन के बाद अब AIMPLB इस विधेयक के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगा। उन्होंने कहा, “अल्लाह की मदद और मुस्लिम संगठनों, सिविल सोसाइटी आंदोलनों, दलित, आदिवासी, ओबीसी और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सहयोग से दिल्ली का ऐतिहासिक प्रदर्शन संभव हुआ।”

डॉ. इलियास ने उन विपक्षी दलों और सांसदों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने प्रदर्शन में भाग लिया और विधेयक को पूरी तरह खारिज किया।

31 सदस्यीय एक्शन कमेटी की रणनीति

AIMPLB द्वारा गठित 31 सदस्यीय एक्शन कमेटी ने इस विधेयक को विवादास्पद और पक्षपातपूर्ण बताते हुए इसके खिलाफ संवैधानिक, कानूनी और लोकतांत्रिक माध्यमों से राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है। आंदोलन की योजना के तहत हर राज्य की राजधानी में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

पहला चरण: पटना और विजयवाड़ा में विशाल प्रदर्शन

आंदोलन के पहले चरण में 26 मार्च को पटना और 29 मार्च को विजयवाड़ा में विधानसभाओं के समक्ष बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। इन विरोध-धरनों में AIMPLB के केंद्रीय नेतृत्व के अलावा विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों के राष्ट्रीय और प्रांतीय प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सिविल सोसाइटी, अल्पसंख्यक समुदायों, दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्गों के नेता भी इस आंदोलन में भाग लेंगे।

राजनीतिक दलों को भी किया गया आमंत्रित

बोर्ड ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और सांसदों को भी इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने का न्योता दिया है। हालांकि, संसद सत्र के कारण अधिकतर दलों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है, फिर भी बोर्ड का प्रयास है कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के विपक्षी सदस्य धरनों में भाग लें।

पटना के विरोध प्रदर्शन में जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और लोक जनशक्ति पार्टी के राज्य स्तरीय नेताओं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं, को आमंत्रित किया गया है। वहीं, विजयवाड़ा के प्रदर्शन में टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, कांग्रेस और वामपंथी दलों को बुलाया गया है।

बीजेपी की सहयोगी पार्टियों के लिए स्पष्ट संदेश

डॉ. इलियास ने कहा कि पटना और विजयवाड़ा में होने वाले इन विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से बीजेपी की सहयोगी पार्टियों को स्पष्ट संदेश दिया जाएगा—या तो वे इस विधेयक का समर्थन वापस लें, या फिर हमारे समर्थन से वंचित हो जाएं।

आंदोलन का चरणबद्ध कार्यक्रम

AIMPLB ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन को लेकर एक विस्तृत और चरणबद्ध योजना तैयार की है। इसके तहत:

  • हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, मलेरकोटला (पंजाब) और रांची में विशाल जनसभाएं आयोजित होंगी।
  • सिट-इन धरने और मानव श्रृंखलाएं बनाई जाएंगी।
  • प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से इस आंदोलन को व्यापक प्रचार दिया जाएगा।
  • ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर हैशटैग अभियान चलाया जाएगा।
  • हर प्रमुख शहर और जिला मुख्यालय में प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।
  • जिलाधिकारियों और कलेक्टरों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।

क्या कहता है वक्फ संशोधन विधेयक?

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम समाज में गहरी चिंता है। AIMPLB का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है, जो अल्पसंख्यकों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों का हनन करता है।

आगे की रणनीति

AIMPLB ने साफ कर दिया है कि जब तक यह विधेयक वापस नहीं लिया जाता, आंदोलन जारी रहेगा। आने वाले दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन की संख्या बढ़ेगी और केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।

काबिल ए गौर

वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ AIMPLB की यह मुहिम केवल एक समुदाय की चिंता नहीं, बल्कि अल्पसंख्यक अधिकारों और संविधानिक मूल्यों की रक्षा से जुड़ा मुद्दा है। अब देखना होगा कि यह राष्ट्रव्यापी आंदोलन सरकार पर कितना प्रभाव डालता है और क्या वक्फ विधेयक को वापस लेने की मांग पूरी होती है या नहीं।

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