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सांसदों और राजनेताओं ने फिलिस्तीनी दूत से मुलाकात कर क्या मांग की ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

भारतीय राजनेताओं और विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने सोमवार को नई दिल्ली में फिलिस्तीनी दूत से मुलाकात की और संकट की घड़ी में फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता दिखाई. उन्होंने गाजा के लोगों को तत्काल और अबाधित मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान किया.

उन्हांेने गंभीर मानवीय स्थिति को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की. उन्होंने सभी आवश्यक उपाय किए जाने, भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता सहित आवश्यक आपूर्ति प्रभावित आबादी तक बिना किसी बाधा के पहुंचे की भी मांग की.”

उन्होंने कहा कि हम महात्मा गांधी के इस कथन पर दृढ़ता से विश्वास करते हैं, फिलिस्तीन उसी अर्थ में अरबों का है जैसे इंग्लैंड अंग्रेजी का है या फ्रांस फ्रांसीसियों का है. यह फिलिस्तीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अधिकारों को मान्यता देने के महत्व में उनके विश्वास को दर्शाता है. उन्हांेने एक संयुक्त बयान में कहा कि किसी भी अन्य राष्ट्र के अपनी मातृभूमि के अधिकार की तरह, उन्होंने भी राजनयिक अधिकार मिलने चाहिए.

भारतीय सांसदों और राजनेताओं ने संकल्प लेते हुए कहा कि हम मानते हैं कि हिंसा कभी भी समस्या का समाधान नहीं है. यह विनाश और पीड़ा के चक्र की ओर ले जाती है. इसलिए हम संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा प्रयासों में वृद्धि की आवश्यकता पर बल देते हैं.

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इजराइल पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने और फिलिस्तीनियों के अधिकारों और सम्मान करने के लिए दबाव डालना चाहिए. हम क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए गहन राजनयिक प्रयासों और बहुपक्षीय पहलों का आह्वान करते हैं.

सांसदों एवं राजनेताओं ने कहा कि हम गाजा में चल रहे संकट और फिलिस्तीनियों की पीड़ा के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं. हम इजराइल द्वारा गाजा में फिलिस्तीनियों पर अंधाधुंध बमबारी की कड़ी निंदा करते हैं. हमारा मानना ​​है कि यह नरसंहार है.हम निर्दोष लोगों की जान जाने और घरों और बुनियादी ढांचे के विनाश को रोकने के लिए सभी शत्रुताएं तत्काल बंद करने का आग्रह करते हैं.

इसके अलावा, हम गाजा के लोगों को तत्काल और अबाधित मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान करते हैं. गंभीर मानवीय स्थिति तत्काल ध्यान और कार्रवाई की मांग करते हैं.यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए कि भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता सहित आवश्यक आपूर्ति प्रभावित आबादी तक बिना किसी बाधा के पहुंचे.

उन्होंने कहा, हम महात्मा गांधी के इस कथन पर दृढ़ता से विश्वास करते हैं, फिलिस्तीन उसी अर्थ में अरबों का है जैसे इंग्लैंड अंग्रेजी का है या फ्रांस फ्रांसीसियों का है. जो फिलिस्तीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अधिकारों को मान्यता देने के महत्व में उनके विश्वास को दर्शाता है.

यह स्वीकार करते हुए कि फिलिस्तीनियों ने 75 वर्षों से अधिक समय तक अपार पीड़ा सहन की है. हम दृढ़ता से कहते हैं कि अब उनकी दुर्दशा को समाप्त करने का समय आ गया है. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार 1967 की सीमाओं पर एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश की स्थापना को मान्यता देने का आग्रह करते हैं. इस तरह की मान्यता इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष का उचित और स्थायी समाधान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे फिलिस्तीनी लोगों को अपनी नियति निर्धारित करने और शांति और सुरक्षा में रहने का अवसर मिलेगा.

संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों मंे प्रमुख थे

मणिशंकर अय्यर (पूर्व मंत्री),जेना श्रीकांत (पूर्व मंत्री),के सी त्यागी,मनोज झा, सांसद,जावेद अली खान, म.प्र,कुंवर दानिश अली, सांसद,,दीपंकर भट्टाचार्य, सीपीआई (एमएल),मुजफ्फर शाह, जेकेएएनसी,शाहिद सिद्दीकी, सांसद,डी. राजा, सीपीआई सुभाषिनी अली, पूर्व सांसद सीपीएम,नीलोत्पल बसु, पूर्व सांसद,संतोष भारती, पूर्व सांसद,मोहम्मद अदीब, पूर्व सांसद,मोहम्मद अफजल, पूर्व सांसद.नदीम खान.