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ऐसा क्या हुआ कि मथुरा की शाही मस्जिद को लेकर बढ़ा दी गई सुरक्षा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

देश में कैसे अशंति फैलाई जाए इंसान के बीच नफरत पैदा करने की जुगत में लगे गिरोह दिन रात इसी उधेड़ बुन में रहते हैं. अब उनके निशाने पर है उत्तर प्रदेश के मथुरा की चर्चित शाही मस्जिद. एक दक्षिणपंथी समूह की धमकियों के कारण मस्जिद के आसपास कड़ा पुलिस पहरा लगाया गया है. जाहिर सी बात है इस धार्मिक नगरी के शांत माहौल में अचानक हलचल पैदा हो गई है. चिंताजनक यह है कि ऐसी धमकियां देने वाले फिर भी अपने मंसूबे को अंजाम के नाम पर सड़कों पर खुल्ला घूमकर शासन-प्रशासन के लिए पेरशानी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

बहरहाल, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि  एक दक्षिणपंथी समूह ने घोषणा की है कि वह 6 दिसंबर को शाही ईदगाह में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित की जाएगी. इसके मद्देजनर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.मस्जिद कृष्ण जन्मस्थान मंदिर के पास में है.

एसएसपी (मथुरा) गौरव ग्रोवर ने कहा, ‘‘जिले में पहले से ही धारा 144 लागू है. अफवाह फैलाने वालों या शहर के शांतिपूर्ण माहौल को बाधित करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हमें जानकारी मिली है कि कुछ संगठन 6 दिसंबर को एक कार्यक्रम या एक पैदल मार्च (ईदगाह तक) आयोजित करने की कोशिश कर रहे हैं.‘‘

प्रशासन ने उनमें विश्वास जगाने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के साथ संवाद स्थापित किया है. एसएसपी ने लोगों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस के साथ मिलकर काम करने की अपील की है.मथुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं के साथ बातचीत करने वाले सर्कल अधिकारी (शहर) अभिषेक तिवारी ने उन्हें आश्वासन दिया कि प्रशासन ने सुरक्षा उपाय किए हैं और कहा, ‘किसी को भी शरारत करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.‘

ईदगाह पर अनुष्ठान करने की धमकी ऐसे समय में आई है जब एक स्थानीय अदालत 17वीं सदी की मस्जिद को हटाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.हालांकि पुलिस ने कहा कि किसी भी कार्यक्रम के लिए कोई अनुमति जारी नहीं की गई है. किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी.

इस बीच, मथुरा में कौमी एकता मंच के सदस्यों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 6 दिसंबर को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया है.मंच के संस्थापक मधुवन दत्त चतुर्वेदी ने कहा कि शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान के प्रबंधन के बीच यथास्थिति बनाए रखने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए 53 साल हो चुके हैं.

हाल ही में, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा, भारत के 90 से ज्यादा मंदिर के पुजारियों के एक 60 वर्षीय निकाय ने कहा कि इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से उठाया जा रहा है और सभी संबंधित दलों को और ज्यादा सावधान रहना चाहिए क्योंकि यूपी में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. इतिहासकार केके मोहम्मद ने भी मस्जिद पर किसी तरह के दावे को बेमानी और अनावश्यक विवाद बढ़ाने वाला बताया है.