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32 साल पहले रूसी सेना जब अफगानिस्तान से निकली तो क्या हुआ, तस्वीरों में समझिए

अफगानिस्तान से आखिरी सोवियत सैनिक फरवरी 1989 में निकला था. पूर्व सोवियत सैनिक नौ साल से अधिक समय तक अफगानिस्तान में रहे.

एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व सोवियत सैनिकों की वापसी, घर लौटने वाले सैनिकों की खुशी, अफगान बच्चों की विदाई और अपने बेटे के लौटने की प्रतीक्षा कर रही एक मां की छाप इस दौरान देखी गई.

अफगान बच्चे अक्टूबर 1986 में शेनान्दोआ क्षेत्र में पूर्व सोवियत सैनिकों को अलविदा कहते हैं. अफगानिस्तान से सोवियत सैनिकों की वापसी को लगभग 32 साल बीत चुके हैं.

पूर्व सोवियत टैंकों का काफिला दझालाल-अबाद से काबुल के रास्ते में था. यह कारवां भी निकासी का हिस्सा था.

फरवरी 1989 में, पूर्व सोवियत संघ अखबार की रिपोर्ट से खुश था कि काबुल से सैनिकों की वापसी फरवरी 1989 में होगी.

उज्बेक महिला अपने सैन्य बेटे के लिए रो रही थी, मार्च 1989 में उज्बेक शहर तिर्मिधि के पास ली गई एक तस्वीर. महिला सिपाहियों के बीच अपने बेटे की तलाश कर रही थी.

बुर्का पहने एक अफगान महिला काबुल में एक बैनर के पीछे चलती है. ‘‘सोवियत भाइयों को धन्यवाद और अलविदा.‘‘

वह 13 फरवरी, 1989 को विमान के उड़ान भरने से पहले काबुल में हाथ मिलाने वाले अंतिम सोवियत सैनिक थे.

ये वे सैनिक थे जो तिर्मिधि के उज्बेक नगर में पहुंचे थे. सैनिक अपना सामान लेकर ट्रेन की ओर बढ़ रहे हैं.

अफगानिस्तान रवाना होने से पहले शेंडंड अफगान बच्चों से मिल रहे थे.

अफगान युवा भी पूर्व सोवियत सेना को विदाई देने के लिए शेनान्दोआ में एकत्र हुए.

एक पूर्व सोवियत जहाज से आटा उतारते अफगान कार्यकर्ता.

सोवियत-अफगान सीमा के पास सैनिकों के हेलमेट.

सोवियत कैवियार का एक डिब्बा पकड़े हुए एक अफगान दुकानदार काला बाजार में.

काराकुल टोपी पहने यह अफगानी लड़का पीछे छूटे हथियार से खेल रहा है.

काबुल के पास पगमान इलाके में एक सैन्य चैकी के पास जमीन पर सैकड़ों खाली गोले पड़े हैं. सैनिक 122 की तोप के निर्देश का इंतजार कर रहे थ.

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जनवरी 1987 में, दो सोवियत सैनिक पूर्वी अफगान शहर जलालाबाद में बाजार में गश्त कर रहे थे.