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पाकिस्तान की जेलों में विदेशी कैदियों का क्या है किस्सा ?

राय शाहनवाज , लाहौर

आबादी के लिहाज से पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब की जेलों में विदेशी कैदियों की संख्या 150 के करीब पहुंच गई है.जेल विभाग के आंकड़ों में यह बात सामने आई है कि इनमें से कई कैदी ऐसे हैं जिनकी सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन अभी तक उनकी रिहाई नहीं हो सकी है.

आंकड़ों के मुताबिक, इन जेलों में सबसे ज्यादा अफगानी नागरिक कैद हैं, जिनकी संख्या 92 है. इनके अलावा कैदियों में नाइजीरियाई, भारतीय, बांग्लादेशी, ब्रिटिश, ईरानी, ​​मॉरीशस और चीनी नागरिक भी शामिल हैं.अधिकारियों के मुताबिक, इन विदेशियों में कम से कम 38 कैदी ऐसे हैं जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, फिर भी उन्हें रिहा नहीं किया जा सका है.

2021 में, पाकिस्तान ने जेलों से विदेशी कैदियों की रिहाई की सुविधा के लिए एलियन एक्ट नामक एक कानून पारित किया था.नए कानून से पहले, विदेशी कैदियों को उनकी सजा पूरी करने के बाद केवल एफआईए और विदेश मंत्रालय के माध्यम से रिहा किया जाता था.हालांकि, अब कोई भी पाकिस्तानी नागरिक व्यक्तिगत गारंटी देकर अपनी सजा पूरी कर चुके विदेशी कैदी को रिहा कर सकता है, लेकिन अभी तक इस कानून का लाभ इन कैदियों तक नहीं पहुंचा है.

अधिकारियों के मुताबिक, पिछले एक साल के दौरान एलियन एक्ट के तहत पंजाब प्रांत की जेलों से केवल पांच विदेशी कैदियों को रिहा किया गया है.

अफगान कैदियों की संख्या अधिक क्यों है?

पंजाब पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक फारूक नजीर ने बताया कि यहां रहने वाले विदेशियों के अनुपात के अनुसार अपराधों में शामिल विदेशियों की संख्या बढ़ती या घटती है.उन्होंने कहा कि चूंकि यहां बड़ी संख्या में अफगान नागरिक रहते हैं, इसलिए जेलों में उनकी संख्या आनुपातिक रूप से अधिक है.

फारूक नजीर के मुताबिक, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आने के बाद कैदियों की अदला-बदली प्रभावित हुई है. इसके अलावा दूतावास से पहचान की भी दिक्कत हो सकती है.इसी वजह से पाकिस्तान में बड़ी संख्या में ऐसे अफगानी कैदी हैं जिन्हें सजा पूरी होने के बावजूद रिहा नहीं किया गया है.

उनका कहना है कि किसी भी विदेशी कैदी की सजा पूरी होने के बाद सबसे पहले उसके देश के दूतावास को विदेश मंत्रालय द्वारा सूचित किया जाता है.फारूक नजीर ने कहा कि दूतावास कैदी की पहचान की प्रक्रिया अपने देश में ही पूरी करते हैं. अगर उसकी पहचान में कोई दिक्कत आती है तो उसकी रिहाई खतरे में है.

पंजाब पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक फारूक नजीर आगे कहते हैं कि जिस कैदी की नागरिकता को दूतावास मान्यता दे देता है, उसे एलियन एक्ट के तहत रिहा कर दिया जाता है. पाकिस्तान में आतंकवाद के आरोप में कई अफगान नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है. उन्हें जेलों के अंदर उच्च सुरक्षा क्षेत्रों में रखा गया है.

जिन विदेशी कैदियों की पुष्टि उनके देशों द्वारा नहीं की जाती. वे अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, उन्हें समीक्षा बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है और उन्हें जेल में रखने के कानूनी औचित्य की जानकारी ली जाती है.

नजरबंदी के आदेश

पाकिस्तान के कानूनों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की हिरासत के लिए जिला सरकार के आदेश उच्च न्यायालय संशोधन बोर्ड द्वारा सत्यापन के अधीन हैं.पुनरीक्षण बोर्ड किसी व्यक्ति को अधिकतम तीन महीने की अवधि के लिए हिरासत में रखने का आदेश दे सकता है, जिसके बाद कैदी को फिर से बोर्ड के सामने लाया जाना चाहिए.जो विदेशी कैदी अपनी सजा पूरी करने के बाद भी जेल में हैं, उन्हें हर तीन महीने में समीक्षा बोर्ड के सामने लाया जाता है.