सीएम हेमंत शर्मा चाहे जो कहें, मुस्लिम संगठन दरांग जिले की घटना पर कानूनी लड़ाई की तैयारी में
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली / गुवाहाटी
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को भले ही लगता हो कि दरांग जिले में अतिक्रमण हटाने के दौरान जो भयानक हिंसा हुई, उसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ है. मगर मुस्लिम संगठन ने उनके दावे के इतर इसे बेहद गंभीरता से लिया है. इस मामले में असम पुलिस द्वारा निहत्थे लोगों पर सीधे गोली चलाने और पुलिस की गोली से मारे गए एक मुसलमान की लाश पर पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में सरकारी फोटोग्राफर द्वारा कूदने, ठोकर और मुक्का मारने जैसी दिल दहलाने वाली घटना को नहीं भूले हैं. इस मामले में आरोपियों को सख्त सजा दिलाने, ऐसी घटना दोबार न हो और उजाड़े गए लोगों को बसाने जैसे महत्वपूर्ण सवालों को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने का इरादा किया है. इस क्रम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमीयत इस्लाम-ए-हिंद का एक प्रतिनिधिमंडल 26 सितंबर को दरांग के पुलिस कप्तान और वहां के उपायुक्त से मिला. साथ ही ज्ञापन देकर अपनी बातें रखीं.
वैसे, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वास सरमा दलील दे रहे हैं कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) बेदखली अभियान के दौरान दरांग जिले में हुई हिंसा में शामिल था. उन्होंने कहा कुछ लोगों ने अतिक्रमण करने वाले परिवारों से 28 लाख रुपये एकत्र किए थे और उन्हें आश्वासन दिया था कि वे बेदखली के खिलाफ सरकार को राजी करेंगे. अब सवाल उठता है कि इन बातों से यह कैसे साबित होता है कि हिंसा में किसी संगठन ने आग में घी डाला. फिर सरकार के पास यदि कोई सबूत है तो उसकी ओर से अब तक इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया ?
बहरहाल, बता दें कि असम के दारंग जिले में गुरुवार को बेदखली अभियान के दौरान पुलिस और भीड़ के बीच हुई झड़प में एक 12 वर्षीय लड़के सहित दो लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य लोग घायल हुए थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पीएफआई पर एक डोजियर तैयार कर केंद्र को भेजकर संगठन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है.
सरमा ने मीडिया को बताया, ‘‘विस्तृत खुफिया रिपोर्ट हैं कि एक कॉलेज शिक्षक सहित छह लोगों ने भूमिहीन परिवारों से पिछले तीन महीनों में 28 लाख रुपये एकत्र किए थे. उन्हें आश्वासन दिया था कि वे सरकार को बेदखली अभियान शुरू नहीं करने के लिए मनाएंगे.‘‘
मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘लाठी और भाले से लैस करीब 10,000 लोग कहां से इकट्ठा हुए और पुलिसकर्मियों पर हमला किया.‘‘ उन्होंने कहा कि जब ये लोग बेदखली अभियान को रोकने में नाकाम रहे, तो उन्होंने लोगों को इकट्ठा किया और गुरुवार को तबाही मचाई.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास पीएफआई और अन्य साजिशकर्ताओं के बारे में पर्याप्त जानकारी है और जब न्यायिक जांच शुरू होगी तो और तथ्य और सबूत सामने आएंगे.‘‘ हालांकि उन्होंने प्रेस कान्फ्रांस में यह नहीं बताया कि यदि उनके पास किसी काॅलेज के शिक्षक के बारे में पोख्ता जानकारी है तो उसे अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ?
आमसू के अध्यक्ष रेजौल करीम सरकार ने मीडिया को बताया कि सरमा ने ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन से वादा किया था कि सभी भूमिहीन परिवारों को छह बीघा जमीन मुहैया कराई जाएगी.प्रभावित गरीबों को कोई जमीन या मुआवजा नहीं दिया गया. बेदखल किए गए लोग अब पीने के पानी या स्वच्छता सुविधाओं के साथ अस्थायी संरचनाओं में रह रहे हैं.
गुरुवार की हिंसा में मारे गए लोगों में शेख फरीद नाम का एक 12 वर्षीय लड़का शामिल है, जो डाकघर से अपना आधार कार्ड प्राप्त करके घर लौट रहा था. 28 वर्षीय मोइनुल हक, जिसे वायरल वीडियो में देखा गया था, पुलिस की गोली से मारा गया था. हालांकि इस मामले में कई पुलिस वालों पर कार्रवाई भी हुई और फोटोग्राफर गिरफ्तार भी कर लिया गया है.
इस बीच, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को असम के राज्यपाल जगदीश मुखी से मुलाकात की और बेदखली अभियान के दौरान गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए 20 लाख रुपये और घायलों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की.
एआईयूडीएफ ने बेदखल परिवारों को खेती के लिए छह बीघा जमीन और मकान बनाने के लिए एक बीघा जमीन की भी मांग की. बता दें कि असम पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा 4,500 बीघा (602.40 हेक्टेयर) सरकारी भूमि को खाली करने के लिए बेदखली अभियान शुरू किया गया है, जिस पर कई सौ बंगाली भाषी मुस्लिम परिवारों ने दारांग में अवैध रूप से कब्जा कर रखा है.