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‘लेडी ग़ाज़ा’ से चर्चित फ्रांस की रिमा हसन कौन हैं ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,दुबई

फ्रांसीसी-फिलिस्तीनी नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता रिमा हसन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है इटली से 1 जून को रवाना हुई ‘ग़ाज़ा फ्रीडम फ़्लोटिला’—एक मानवीय मिशन—जिसमें वह शामिल थीं और जिसे इज़रायली सेना ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में रोक दिया।

कौन हैं रिमा हसन?

रिमा हसन मोबारक का जन्म 28 अप्रैल 1992 को सीरिया के नेइरब फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर में हुआ था। वह बचपन में ही अपने परिवार के साथ फ्रांस के नियोर्त (Niort) शहर में आ बसीं। लंबे समय तक ‘राज्यविहीन’ रही रिमा को 2010 में 18 वर्ष की उम्र में फ्रांसीसी नागरिकता मिली, जिसने उनके अकादमिक और सामाजिक जीवन को नई दिशा दी।

उन्होंने पेरिस की पंथियोन-सोर्बोन यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और अपनी मास्टर्स थीसिस में ‘अलगाववाद और रंगभेद’ जैसे मुद्दों पर रिसर्च की। 2016 में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने OFPRA (Office français de protection des réfugiés et apatrides) में काम शुरू किया और फिर Asylum Law की नेशनल कोर्ट में बतौर ‘रैपोर्टर’ शामिल हुईं।

सामाजिक और राजनीतिक कार्य

2019 में रिमा हसन ने ‘Refugee Camps Observatory’ नाम से एक NGO की स्थापना की, जो विश्वभर के शरणार्थी शिविरों के अधिकारों और संरचना पर शोध करता है।

2023 में उन्होंने ‘ला फ्रांस इंसुमीज़’ (La France Insoumise – LFI) पार्टी से यूरोपीय संसद चुनाव लड़ने की घोषणा की और 2024 में चुनी भी गईं। वह यूरोपीय संसद की ‘विदेश मामलों की समिति’, ‘मानवाधिकार उपसमिति’ और ‘फिलिस्तीन से संबंधों की समिति’ की सदस्य हैं।

‘लेडी ग़ाज़ा’ और विवाद

रिमा हसन को फ्रांसीसी मीडिया में ‘लेडी ग़ाज़ा’ भी कहा जाता है—यह उपनाम एक रेडियो कॉमेडियन द्वारा व्यंग्य में दिया गया, क्योंकि वह अक्सर फिलिस्तीन से जुड़े मुद्दों को उठाती हैं। वह अक्सर केफीयेह (फिलिस्तीनी स्कार्फ़) पहने नजर आती हैं, जो फिलिस्तीनी स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक है।

फरवरी 2025 में फ्रांसीसी गृह मंत्रालय ने उन पर ‘आतंकवाद के समर्थन’ का आरोप लगाते हुए जांच शुरू की, जब उन्होंने इज़राइल को “फासीवादी औपनिवेशिक सत्ता” और “नरसंहारक ताकत” बताया। इसके बाद कुछ दक्षिणपंथी सांसदों ने उनकी नागरिकता रद्द करने की मांग की, लेकिन कानूनी आधार न मिलने के कारण मामला बंद हो गया।

उसी महीने 24 फरवरी को जब वह यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल के साथ इज़राइल जाने की कोशिश कर रही थीं, तब इज़राइली अधिकारियों ने उन्हें एंट्री देने से मना कर दिया—इसका कारण उनके ‘इज़राइल विरोधी बायकॉट समर्थन’ को बताया गया।

ग़ाज़ा फ्रीडम फ़्लोटिला और गिरफ्तारी

1 जून 2025 को रिमा हसन 11 अन्य कार्यकर्ताओं के साथ इटली से ग़ाज़ा की ओर एक मानवीय नौका यात्रा पर निकलीं। इस फ़्लोटिला में जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थीं। जब नाव ग़ाज़ा के पश्चिमी तट के पास अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में पहुंची, तो इज़रायली सेना ने रात 2 बजे के करीब उसे घेर लिया।

रिमा हसन ने X (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए कहा, “इज़रायली सेना ने अंतरराष्ट्रीय जलसीमा में हमारी नाव पर कब्ज़ा किया। कार्यवाही जारी है—बने रहें।” उन्होंने एक फोटो भी साझा की, जिसमें यात्रियों को लाइफ जैकेट पहने हुए और हाथ ऊपर उठाए बैठे देखा जा सकता है।

फिलहाल, रिमा हसन और सात अन्य कार्यकर्ता इज़राइल में हिरासत में हैं, क्योंकि उन्होंने निर्वासन का विरोध किया है। वहीं फ़्लोटिला के चार सदस्य पहले ही निर्वासित कर दिए गए हैं। ‘फ्रीडम फ़्लोटिला कोएलिशन’ (FFC) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इन कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ रहा है।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इज़राइल से मांग की है कि नाव में सवार सभी छह फ्रांसीसी नागरिकों को तत्काल रिहा किया जाए।

निष्कर्ष

रिमा हसन अब केवल एक यूरोपीय सांसद नहीं हैं, बल्कि फिलिस्तीन के सवाल पर यूरोप में सबसे मुखर और विवादित चेहरों में शुमार हो चुकी हैं। उनकी गिरफ्तारी, उनके बयानों और उनके यूटिलिटी को लेकर फ्रांसीसी राजनीति के भीतर बहस तेज हो गई है। आने वाले समय में वह फिलिस्तीन के समर्थन में वैश्विक जनमत निर्माण की एक अहम आवाज बन सकती हैं — या फिर सत्ता प्रतिष्ठान के लिए एक ‘खतरनाक’ नाम।

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