कुंवर दानिश अली की पत्नी कौन हैं ? I Who is Kunwar Danish Ali’s wife ?
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
कुंवर दानिश अली बसपा से निकाले जाने के साथ ही सुर्खियों में आ गए हैं. ऐसे में आम लोग उनके निलंबन के असली कारणों का पता लगाने में लगे हैं. हर कोई उनके परिवार के बारे में भी जानना चाहता है. खासकर उनकी वाइफ के बारे में. दानिश अली की पत्नी कौन हैं और उनका क्या नाम है ? आदि. तो आइए कुंवर दानिश अली की पत्नी के अलावा उनके परिवार से आपका परिचय कराते हैं.
नेशनल पोर्टल आॅफ इंडिया की वेबसाइट इंडिया डाॅट गोव डाॅट इन के अनुसार, दानिश अली पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की जद (एस) सरकार की पांच सदस्यीय गठबंधन समन्वय और निगरानी समिति के संयोजक रह चुके हैं. वह युवा जनता दल और छात्र जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं और इस हैसियत से कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और युवा महोत्सवों में भाग लेते रहे हैं. इनमें इंटरनेशनल यूनियन सोशलिस्ट यूथ द्वारा आयोजित सम्मेलन भी शामिल हैं. दानिश अली जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता हैं.
कुंवर दानिश अली का जन्म 10 अप्रैल 1975 को हुआ था.48 साल के दानिश अली, युपी के हापुड़ जिले के रहने वाले हैं.इनके पिता का नाम जफर अली और दादा का नाम कुंवर महमूद अली है.दादा कुंवर महमूद अली 1957 में डासना विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी थे.1977 में वह हापुड़ लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गए थे.उन्होंने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
मैं बहन मायावती जी का हमेशा शुक्रगुज़ार रहूँगा की उन्होंने मुझे @bspindia का टिकट दे कर लोक सभा का सदस्य बनने में मदद की। बहन जी ने मुझे बसपा संसदीय दल का नेता भी बनाया। मुझे सदैव उनका असीम स्नेह और समर्थन मिला। उनका आज का फ़ैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने अपनी पूरी मेहनत और १/३
— Kunwar Danish Ali (@KDanishAli) December 9, 2023
पांच भाइयों में सबसे छोटे दानिश अली ने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है.उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी.वहीं दानिश अली ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत जनता दल (सेक्युलर) से की.
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2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर ली थी.बसपा ने अमरोहा से दानिश अली को उम्मीदवार बनाया था. दानिश अली ने बीजेपी के कंवर सिंह तंवर और कांग्रेस के सचिन चैधरी को हराया था.अली की माता का नाम नफीस जाफर है. कुंवर दानिश अली की पत्नी जुबिया दानिश हैं और उनके तीन बच्चे हैं. 15 जनवरी 2005 को कुंवर दानिश अली का विवाह जुबिया दानिश से हुआ था. तीन बच्चों में एक बेटा और दो बेटियां हैं. बेटे का नाम जैब दानिश अली है और एक बेटी का नाम शरिया दानिश अली है. पत्नी घरेलू महिला हैं.
Kunwar Danish Ali को बसपा ने क्या कांग्रेस से बढ़ती नजदीकियों के पार्टी से कारण निकाला ?
Bahujan Samaj Party (BSP) suspends its MP Danish Ali for indulging in anti-party activities: BSP pic.twitter.com/BKHHuVbStw
— ANI (@ANI) December 9, 2023
बहुजन समाज पार्टी ने अमरोहा से अपने लोकसभा सदस्य कुंवर दानिश अली को पार्टी विरोधी गतिविधियों को कारण बताकर निलंबित कर दिया. इस बारे में बसपा द्वारा कुंवर दानिश अली को लिखे पत्र में कहा गया है-‘‘ आपको अनेकों बार मौखिक रूप से कहा गया कि आप पार्टी की नीतियां, विचारधारा एवं अनुशासन के विरुद्ध जाकर कोई भी बयानबाजी व कृत्य आदि न करें परंतु इसके बाद भी आप लगातार पार्टी के विरुद्ध जाकर कृत्य एवं कार्य करते रहे हैं.’’
बसपा ने 9 दिसंबर को मीडिया को इस बारे में पत्र जारी कर दानिश अली के निलंबन की जानकारी दी है. अब सवाल उठता है कि यदि दानिश अली पर पार्टी को लेकर इतने गंभीर आरोप थे तो उन्हें एक बार भी लिखित में कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं दिया गया ? सीधे निलंबित क्यों ? क्या मौखिक चेतावनी की कोई अहमियत है ?
इन्हीं सवालों के बीच एक अहम सवाल यह भी है कि बहुजन समाज पार्टी ने कुंवर दानिश अली को कहीं इसलिए तो नहीं निलंबित कर दिया क्यों कि उनकी नजदीकियां राहुल गांधी और कांग्रेस से निरंतर बढ़ती जा रही थीं ?
कांग्रेस से नजदीकियां तो नहीं दानिश अली के निलंबन की वजह ?
बहुजन समाज पार्टी कहने को तो भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के विरूद्ध सियासत कर रही है, पर करनी और कथनी में साफ अंतर दिख रहा है. भाजपा की तमाम जनविरोधी नीतियों को बसपा सुप्रीमो मायावती का मौन समर्थन प्राप्त है. हद यह कि दानिश अली और मुसलमान को लेकर जब भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने लोकसभा में अंड-शंड बका तब भी मायावती का रवैया बेहद सर्द रहा. इसके उलट उन्हांेने दानिश अली को ही ढके शब्दों में नसीहत दे डाली.
CM designate brother @revanth_anumula , my fellow parliamentarian and #TPCCPresident , is all set to take oath tomorrow as the new Chief Minister of #Telangana. My best wishes for a successful tenure, fulfilling all his promises to bring development and prosperity in the state. pic.twitter.com/4EZg6s5wOH
— Kunwar Danish Ali (@KDanishAli) December 6, 2023
कहते हैं, बसपा का एक घटक पार्टी सुप्रिमा की भाजपा समर्थक नीतियों से संतुष्ट नहीं है. उनमें से एक सांसद कुंवर दानिश अली को भी माना जाता है. मायावती ने जब से बीजेपी को मौन समर्थन देना शुरू किया है दानिश अली जैसे लोग धीरे-धीरे पार्टी से दूर होते चले गए. दानिश अली कांग्रेस के करीब आ गए. यहां तक कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में न केवल शामिल हुए, अपने फेसबुक एकाउंट पर आज भी इस तस्वीर को उपर में लगा रखा है. वह कई अन्य कार्यक्रमों में भी कांग्रेस नेताओं के साथ नजर आ चुके हैं.
पिछले दिनों जब रेड्डी को तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनाया गया तो दानिश अली उन्हें बधाई देने पहुंच गए. यहां तक कि बिधूड़ी मामले में राहुल गांधी ने सबसे पहले उनका साथ दिया. दानिश से मिलने राहुल उनके घर गए. मायावती नहीं गईं. इन सब को उनके बसपा से निकाले जाने का कारण बताया जा रहा है. वैसे बसपा ने अपने पत्र में उनके निलंबन को लेकर किसी खास मुददे की ओर इशारा नहीं किया है.
भापजपा सांसद बिधूड़ी ने संसद में दानिश अली के साथ क्या किया था ?
चूंकि पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण कुंवर दानिश अली बसपा ने निलंबित किए जा चुके हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि मायावती से क्यों दूर होते गए दानिश अली ?इस साल 18 से 22 सितंबर तक लोकसभा के विशेष सत्र के दौरान, अली को भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया गया. बिधूड़ी ने उन पर सांप्रदायिक टिप्पणी की. हालांकि संसद के रिकॉर्ड से वो तमाम शब्द निकाल दिए गए हैं, इसलिए यहां उन्हें दोहराना उचित नहीं. मगर यह आरोप है कि इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष और भाजपा ने उनती गंभीरता नहीं दिखाई जितनी कि इसकी जरूरत आम जनता महसूस कर रही थी.
मुहा मुइत्रा हो या आम आदमी पार्टी सांसद, उन्हें सदन से बर्खास्त करने मंे लोकसभा अध्यक्ष तनिक भी देरी नहीं लगाते, पर बिधूड़ी चूंकि भाजपा से हैं और अध्यक्ष भी, इसलिए उन्हें हल्की-फुल्की चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. हद यह कि बसपा सुप्रिमा भी अपने सांसद को इंसाफ दिलाने के लिए खड़ी नहीं हुईं. यूं तो वह मुसलमानों की राजनीति करती हैं, पर जब बिधूड़ी सदन मंे इस समुदाय को लेकर अनर्गल बक रहे थे, तब भी विरोध जताने बसपा की टीम सामने नहीं आई. जाहिर है, ऐसे में किसी मुसलमान का बसपा में रहने का मन करेगा ?