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दरभंगा के मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी कौन हैं, जिन्हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का नया अध्यक्ष चुना गया

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, भोपाल

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की 28वीं बैठक मध्य प्रदेश के इंदौर के जामिया इस्लामिया महौबंजारी में हुई. जानकारी के अनुसार बैठक के पहले सत्र की अध्यक्षता सचिव मंडल मौलाना अतीक बस्तवी ने असर की नमाज के बाद की. सुझाव, शोक, बोर्ड की पिछली कार्रवाई की पुष्टि और ओडिशा ट्रेन दुर्घटना पर खेद व्यक्त करने सहित स्वागत भाषण के साथ पहला सत्र संपन्न हुआ.

मगरिब की नमाज के बाद दूसरा सत्र शुरू हुआ, जिसकी अध्यक्षता मुफ्ती आयोला ने की. इस बैठक में मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने रिपोर्ट पेश की. मौलाना रबी होस्नी नदवी (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष) की दुखद मौत के कारण बोर्ड के नए अध्यक्ष का चुनाव रिक्त स्थान को भरने के लिए हुआ.

इंदौर से मिली जानकारी के अनुसार मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी का नाम मौलाना मुहम्मद सुफयान कासमी (महात्माम दारुल उलूम स्ताहीक देवबंद) द्वारा बोर्ड अध्यक्ष पद के लिए पेश किया गया है, जिसका मौलाना शाहिद होस्नी, मौलाना सैयद महमूद मदनी ने समर्थन किया.उसके बाद, सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी को बोर्ड के पांचवें अध्यक्ष के रूप में चुना.

इस दौरान मौलाना फजल रहीम मुज्जदी, मौलाना सुफियान कासमी, अमीर शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी, निजामुद्दीन फखरुद्दीन पूना, डॉ. जहीर काजी, डॉ. जी इस्लाम नदवी, मौलाना शाहिद हुस्नी, मौलाना सज्जाद नौमानी, मौलाना महमूद मदनी, मौलाना महमूद अहमद खान दरियाबादी शामिल थे. बैठक में मौलाना उमरीन महफूज रहमानी, मौलाना नईम रहमानी समेत अन्य कार्यवाहक सदस्य व अधिवक्ता मौजूद रहे.

अहम पदों पर रहे कार्यरत

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी भारत के एक प्रतिष्ठित न्यायविद, कई न्यायशास्त्र पुस्तकों के लेखक और शरिया विज्ञान के शोधकर्ता हैं. वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. मौलाना खालिद सैफुल्लाह अध्यक्ष बनने से पहले बोर्ड के महासचिव भी थे. मौलाना वली रहमानी के निधन के बाद अप्रैल 2021 में मौलाना राबे हसनी नदवी सदर बोर्ड ने उन्हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कार्यकारी महासचिव बनाया था. इसके बाद नवंबर 2021 में ही कानपुर के जलसा-ए-आम में मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी को बोर्ड का स्थायी जनरल सेक्रेटरी बनाया गया.

कई मदरसों और संगठनों के संरक्षक

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी इस्लामिक फिक अकादमी ऑफ इंडिया के महासचिव, हैदराबाद डेक्कन में अल-महिद अल-अली-इस्लामी के संस्थापक हैं. इसके अलावा वह दारुल उलूम नदवा उलमा के त्रैमासिक बहस और दृष्टिकोण के संपादक और परिषद के सदस्य हैं. वह कई मदरसों और संगठनों के संरक्षक हैं.

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की खास किताबें

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने 50 से भी ज्यादा किताबें लिखी हैं. उनकी मशहूर किताबों में आसान तफसीर-ए-कुरान मजीद, फिक-ए-इस्लामीरू तदवीन-ओ-तआरूफ, इस्लाम का निजाम उश्र ओ जकात, ख्वातीन के माली हुकूकरू शरीयत-ए-इस्लामी की नजर में वगैरह के नाम शामिल हैं.

कुछ खास बातें खालिद सैफुल्ला रहमानी के बारे में

नवंबर 1956 को बिहार के दरभंगा में जन्में मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी एक भारतीय मुस्लिम विद्वान, लेखक और न्यायविद हैं, जो अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव के रूप में कार्य करते हैं. वह इस्लामिक फिकह अकादमी ऑफ इंडिया के महासचिव हैं. उन्होंने द इस्लामिक ज्यूरिसप्रुडेंसः इंट्रोडक्शन एंड कोडिफिकेशन और द बुक ऑफ फतवा सहित कई किताबें लिखी हैं.

खालिद सैफुल्ला रहमानी की जीवनी

खालिद सैफुल्ला रहमानी का जन्म नवंबर 1956 में हुआ था.वह इस्लामिक विद्वान और न्यायविद मुजाहिदुल इस्लाम कासमी के भतीजे है. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा घर पर प्राप्त की और मदरसा कासिमुल उलूम हुसैनिया में दो साल तक अध्ययन किया. उन्होंने मुंगेर में जामिया रहमानी से स्नातक किया. फिर से दारुल उलूम देवबंद में दावरा-ए-हदीस (दार्स-ए-निजामी की हदीस वर्ग) का अध्ययन किया. वहां से 1395 हिजरी में स्नातक किया. बाद में उन्होंने अमरत-ए-शरिया, पटना में इस्लामी कानून और न्यायशास्त्र में विशेषज्ञता हासिल की. उनके शिक्षकों में अंजार शाह कश्मीरी, महमूद हसन गंगोही और मुहम्मद सलीम कासमी शामिल हैं. रहमानी को अपने चाचा मुजाहिदुल इस्लाम कासमी से भी लाभ हुआ.

1398 हिजरी में, रहमानी ने मदरसा सबीलस-सलाम में पढ़ाना शुरू किया, जहां उन्हें 1399 हिजरी में मुख्य शिक्षक नियुक्त किया गया. उन्होंने वहां 22 साल तक पढ़ाया. हैदराबाद में अल-महद अल-अली अल-इस्लामी की स्थापना की. उन्होंने दरभंगा में सबीलुल फलाह और मदरसा अल-फलिहाट जैसे संस्थानों को स्थापित करने में भी मदद की है. आंध्र प्रदेश में मदरसा नुरुल उलूम और कर्नाटक में मदरसा तालिमुल कुरान लिल-बनत की स्थापना मंे भी अहम भूमिका निभाई है.

जर्नल के भी हैं संपादक

रहमानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लीगल काउंसिल के सदस्य और इस्लामिक फिक्ह अकादमी के महासचिव हैं.वह मुंसिफ के शुक्रवार संस्करण के नियमित स्तंभकार हैं. थ्री मंथली बेह्स-ओ-नजर के संपादक हैं, जो मुजाहिदुल इस्लाम कासमी द्वारा शुरू किया गया एक इस्लामी कानूनी जर्नल है. 2021 में, वली रहमानी की मृत्यु के बाद उन्हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अंतरिम महासचिव नियुक्त किया गया था.