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गुजरात दंगों की पीड़िता जकिया जाफरी के निधन पर किसने क्या कहा ?

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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

अहमदाबाद में 86 वर्ष की आयु में गुजरात दंगों की पीड़िता और न्याय के लिए लगातार लड़ते आ रही कानूनी योद्धा जकिया जाफरी का शनिवार को निधन हो गया. जकिया जाफरी, जो 27 फरवरी 2002 को गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड की पीड़िता रही थीं, ने दो दशकों से अधिक समय तक न्याय की लड़ाई लड़ी और देश के शक्तिशाली ताने-बाने को चुनौती दी. पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा रह चुकी जकिया ने हमेशा न्याय की आशा और मानवाधिकारों की बात उठाई, जिससे देशभर में इंसाफ के प्रति जागरूकता बढ़ी.आइए जानते हैं किसने उनके निधन पर क्या कहा.

एक संघर्षपूर्ण जीवन की झलक

2002 के विनाशकारी दंगों में अपने पति को भीड़ द्वारा बेरहमी से मारे जाते देखना जकिया जाफरी के जीवन का सबसे दुखद अनुभव रहा. इस दर्दनाक घटना के बाद, उन्होंने न्याय की राह पर चलने का निश्चय किया और कठिनाइयों के बावजूद, अकेले ही भारतीय अदालतों में माजरा लड़ते हुए कई बड़ी ताकतवर संरचनाओं को चुनौती दी.
जकिया जाफरी का जीवन संघर्ष, साहस और अटूट विश्वास का प्रतीक बन गया था. अहमदाबाद में बिताए अपने अंतिम दिनों में भी उन्होंने न्याय के लिए लड़ाई जारी रखी, चाहे वह भारतीय न्याय व्यवस्था के द्वारा बार-बार विफल कर दिए गए प्रयास हों या सामाजिक अन्याय से निपटने के लिए उनका अडिग रुख.

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देशभर में व्यक्त हुए शोक संदेश

जकिया जाफरी के निधन की खबर सुनते ही देशभर में इंसाफ प्रेमी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपने गहरे दुख और श्रद्धांजलि के संदेश व्यक्त किए.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा,

“ज़किया जाफरी ने 2002 में अपने पति को भीड़ द्वारा हत्या के नज़ारे को देखा. लगभग दो दशकों तक, उन्होंने भारत के कुछ सबसे शक्तिशाली लोगों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी, कभी भी डर नहीं दिखाया.  उनका निधन हो गया. अल्लाह उन्हें शांति और उनके प्रियजनों को शक्ति प्रदान करे.”

पवन खेड़ा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“ज़किया जाफरी का  निधन हो गया. न्याय की उनकी उम्मीद उनके जीवनकाल में ही मर गई. उन्होंने अपने आंसुओं, अपनी सिसकियों, अपनी लड़ाई और अपनी हार के ज़रिए ‘नए भारत’ के इतिहास को लिखा.”

राणा अय्यूब ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा,

“इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही राजिउन. अहसान जाफरी की पत्नी और गुजरात नरसंहार के पीड़ितों के लिए न्याय की अथक पैरवी करने वाली जकिया जाफरी का निधन हो गया है.”

खालिदा परवीन ने याद करते हुए जिक्र किया कि,

“निश्रिन जाफरी – जकिया जी गुलबर्ग सोसाइटी में अपनी रसोई में खड़ी थीं, जिसे फरवरी 2022 में अहमदाबाद में जला दिया गया था.”

रजिया मसूद ने भावुक अंदाज़ में कहा,

“إِنَّا لِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ। जकिया जाफरी, एक साहसी महिला, जिन्होंने 2002 में भीड़ द्वारा अपने पति की क्रूर हत्या देखी, न्याय पाने के लिए लगभग दो दशक समर्पित किए, निडर होकर भारत के कुछ सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों को चुनौती दी। अल्लाह उन्हें जन्नत में आला मक़ाम अता करे.”

राहिल माबूद ने भी शोक संदेश में लिखा,

“إنا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ। इंसाफ की लड़ाई आपको सिखाई गई। #ZakiaJafri का अहमदाबाद में निधन। 2002 के दंगा पीड़ितों की ओर से न्याय के लिए उनके दृढ़ संघर्ष के लिए उन्हें मेरा सलाम.”

यूके इंडियन मुस्लिम काउंसिल के सदस्य ने ट्विटर पर लिखा,

“जकिया जाफरी को याद करते हुए – न्याय के लिए आजीवन लड़ने वाली.”

अपूर्वानंद अपूर्वानंद ने कहा,

“जकिया जाफरी एक सच्ची भारतीय थीं जिन्होंने न्याय के लिए अपनी लड़ाई कभी नहीं छोड़ी. भारतीय अदालतों ने उन्हें बार-बार विफल कर दिया, लेकिन उन्होंने हार मानने से इनकार कर दिया.”

अब्दुल मन्नान सैत बीदर ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा,

“धैर्य, स्वतंत्रता, सत्य और न्याय की प्रतीक जकिया जाफरी का निधन उनके पति, पूर्व सांसद एहसान जाफरी के लिए न्याय के लिए अथक संघर्ष करने के बाद हुआ. भारी दबाव और उत्पीड़न का सामना करते हुए भी, जकिया ने अपनी लड़ाई जारी रखी.”

मुहम्मद तसफ़्फ़ुर ने उल्लेख किया,

“إنا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ। अल्लाह उन्हें जन्नत में सर्वोच्च स्थान प्रदान करे। #जकिया जाफरी हिंदू व्यवस्था से न्याय की मांग करते हुए चल बसीं. उनके पति को 2002 के गुजरात नरसंहार के दौरान हिंदू आतंकवादियों ने 10,000 अन्य मुस्लिम पीड़ितों के साथ जलाकर मार डाला था.”

वारिस पठान ने भी दुख व्यक्त करते हुए लिखा,

“इन्ना लिल्लाहि वैन्ना इलैहि राजिऊन. गुजरात नरसंहार की पीड़िता और न्याय के लिए आवाज उठाने वाली जकिया जाफरी का निधन.”

मार्कंडेय काटजू ने एक विशिष्ट नज़रिए से कहा,

“जकिया जाफरी, जिनके पति की 2002 में अहमदाबाद में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, दिवाली मनाने की तैयारी कर रही थीं.”

जकिया जाफरी की विरासत

जकिया जाफरी का निधन न केवल एक व्यक्ति की विदाई है, बल्कि उन संघर्षों की याद दिलाता है जो गुजरात दंगों के पीड़ितों और उनके परिवारों ने झेले हैं. उनकी कानूनी लड़ाई, सामाजिक न्याय के लिए अडिग रुख और अत्यंत साहसिक दृष्टिकोण ने उन्हें एक प्रतीक बना दिया था. उनकी मृत्यु के साथ ही एक युग का अंत हुआ, लेकिन उनके द्वारा स्थापित मानवीय और न्यायपूर्ण सिद्धांत आने वाले दिनों तक लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे.

गुजरात दंगों की पीड़ितों के लिए न्याय की लड़ाई आज भी जारी है. जकिया जाफरी ने इस संघर्ष में जिस तरह से अपने दर्द, आंसुओं और संघर्ष को इतिहास में पंक्तिबद्ध किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमिट सीख छोड़ गया है. उनके निधन से संबंधित इन प्रतिक्रियाओं ने देशभर में इस बात की याद दिलाई है कि न्याय की लड़ाई में हार नहीं होती – हर दिन, हर संघर्ष एक नई आशा और एक नए प्रयास की शुरुआत होती है.

जकिया जाफरी का जीवन और उनके द्वारा लड़ा गया संघर्ष हमें यह संदेश देते हैं कि न्याय की राह में कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी हों, इंसानियत और साहस के बल पर उन्हें पार किया जा सकता है. उनके निधन से एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत हुआ, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत इंसाफ और मानवाधिकारों की दिशा में अनंत प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी. देशभर के न्यायप्रिय लोगों ने उनके संघर्ष को सलाम करते हुए उन्हें याद किया, और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है.

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