बजट 2023 में मुसलमानों की योजनाओं में भारी कटौती के बाजूद आरएसएस से बातचीत जारी रखने के क्यों इच्छुक हैं मुस्लिम बुद्धिजीवी ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
इस बार के बजट ने मुसलमानों को भारी निराश किया है. इनसे संबंधित कई योजनाओं में भारी कटौती की गई है. यहां तक कि एक बड़ी स्कॉलरशिप को भी रदद कर दिया गया है. इस बार का बजट ऐसा है कि तकरीबन 50, हजार मदरसा शिक्षाकों की नौकरी जा सकती है. इसके बावजूद मुसलमानों के नए-नए ‘ठेकेदार’ बने कुछ बुद्धिजीवियों को लगता है कि मुसमलानों की सबसे बड़ी समस्या शिक्षा,रोजगार नहीं बल्कि मॉबलिंचिंग और गोकशी है. इसके नाम पर मुस्लिम बुद्धिजीवी आरएसएस से लगतार पींगे बढ़ा रहे हैं. संघ के सियासी दल बीजेपी की केंद्रीय सरकार के बजट में मुसलमानों की भारी उपेक्षा के बावजूद मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आरएसएस के नेताओं से फिर मुलाकात करने की इच्छा जताई है.
समाचार एजेंसी एआईएनएस की एक खबर के अनुसार, मुस्लिम संगठनों का मानना है कि आरएसएस के साथ बातचीत जारी रहनी चाहिए और दोनों समुदायों के बीच संघर्ष का जल्द समाधान होना चाहिए.
जमात ए इस्लामी हिंद, जिनके प्रतिनिधि ने आरएसएस नेताओं से मुलाकात की, ने कहा, हमारी राय है कि आरएसएस के साथ बातचीत जारी रहनी चाहिए क्योंकि सरकार पर उनका प्रभाव है.
अपने स्पष्टीकरण में उन्होंने कहा, हम संघर्ष नहीं चाहते हैं ,इसलिए हमें उम्मीद है कि बातचीत सकारात्मक परिणाम देगी.
एक अन्य मुस्लिम बुद्धिजीवी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि गोकशी के मुद्दे पर समुदाय को विस्तृत प्रतिक्रिया देनी चाहिए, क्योंकि मामलों में मुस्लिम शामिल नहीं हैं और यह अब एक व्यावसायिक मुद्दा बन गया है. उन्होंने कहा कि लखनऊ में होने वाली अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है.
प्रख्यात मुस्लिम नागरिकों और धार्मिक संगठनों ने 14 जनवरी को दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग के आवास पर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार से मुलाकात की थी और समुदायों के बीच सद्भाव के मुद्दे पर चर्चा की.
मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व जमात ए इस्लामी के नेता मोहतशिम खान ने किया. बैठक में जमीयत उलेमा हिंद के दोनों गुट मौजूद थे, जिनमें नियाज फारूकी, फजलुर्रहमान कासमी, शाहिद सिद्दीकी और एसवाई कुरैशी शामिल थे. नजीब जंग के साथ एएमयू के प्रतिष्ठित व्यक्ति और अजमेर दरगाह के प्रतिनिधि सलमान चिश्ती भी बैठक में थे.
सूत्रों ने कहा कि मुस्लिम पक्ष खुले तौर पर आरएसएस और उसके सहयोगियों से लिंचिंग के खिलाफ अपील चाहता है. यह भी चाहता है कि सरकार टीवी पर नफरत फैलाने वाले प्रचार को रोके. आरएसएस का प्रतिनिधित्व इंद्रेश कुमार, कृष्ण गोपाल और राम लाल ने किया.
आरएसएस ने गोहत्या और भारत में बहुमत के लिए काफिर शब्द के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें ताकि इस मुद्दे पर एक समान कानून बने और कहा कि वे अपने समुदाय से सार्वजनिक रूप से काफिर शब्द का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहेंगे.
बैठक में भाग लेने वाले शाहिद सिद्दीकी ने बताया, बातचीत जारी रखने पर आम सहमति है, जिसे दोनों पक्ष स्वीकार करते हैं ताकि सद्भाव बना रहे.मुस्लिम पक्ष ने काशी और मथुरा के मुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि विवादों को अदालत में सुलझाया जाना चाहिए.
22 अगस्त को संघ के नेताओं की मुस्लिम नेताओं से मुलाकात के बाद से यह बातचीत चल रही है. सूत्रों ने कहा कि इस बैठक से पहले नजीब जंग और अन्य मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने अरशद मदनी से मुलाकात की थी, जब मदनी ने जोर देकर कहा था कि बयान को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि समुदाय को एक आश्वासन मिल सके.