रमजान में क्यों खाएं खजूर, पैगंबर साहब ने क्या कहा है खजूर के बारे में
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गुलरूख जहीन
रमजान में खजूर की खपत कई गुणा बढ़ जाती है. पूरी दुनिया में लोग रोजे रखते हैं और लभगभ सभी इफ्तार-सहरी में खजूर या खजूर से निर्मित अन्य खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं. खजूर खाने से जहां अनेक स्वास्थ्य लाभ होता है, वहीं कुरान तथा मुसलमानों के आखिरी पैगंबर मोहम्मद साहब ने खजूर को लेकर अनेक हिदायतें दी हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, खजूर कई देशों में पूरे वर्ष आहार का प्रमुख सा्रेत बना हुआ है. जबकि रमजान के दौरान संयुक्त अरब अमीरात में खजूर का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है.पौष्टिक फल होने के नाते रोजेदार इफ्तार की शुरुआत इससे करना पसंद करते. पवित्र महीना रमजान के दौरान पारंपरिक मिठाइयां खजूर से तैयार की जाती हैं.
रमजान में खजूर भोजन का हिस्सा क्यों ?
इस मुददे पर आगे बढ़ने से पहले पाठकांे को बता दूं कि अकेले संयुक्त अरब अमीरात में कजूर की 160 किस्मों का उत्पादन होता है. इसकी खपत दरअसाल, पैगंबर मुहम्मद साहब के अभ्यास के अनुकरण का हिस्सा है. उन्हें खजूर बहुत पसंद था. यह पैगंबर मुहम्मद के पसंदीदा और सबसे जरूरी खाद्य पदार्थों में से एक था.
कई देशों में मुसलमानों के लिए इफ्तार के समय खजूर खाकर रोजा खोलने की प्रथा. ऐसा करना पैगंबर मुहम्मद साहब को भी पसंद था. इस लिए भी रोजेदार खजूर से रोजा खोलना पसंद करते हैं. शेख शाखबाउट मेडिकल सिटी, बतूलुन्निसा के डायटेटिक्स एक्सपर्ट डॉ. निसार अहमद का कहना है, ‘‘ इफ्तार खजूर से शुरू करना अनिवार्य नहीं, पर यह बेहतर अभ्यास है. पैगंबर मुहम्मद अपने इफ्तार की शुरुआत खजूर और पानी से करते थे.
खजूर खाने से मिलते हैं पोषक तत्व
खजूर के सेवन से अतिरिक्त पौष्टिक लाभ मिला है. इसका स्वाद तो उम्दा है ही. इसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज की परचूर मात्रा पाई जाती है. खजूर का कम मात्रा में सेवन करने से आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं. इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम, आयरन और मैंगनीज पाया जाता है. खजूर में पॉलीफेनोल्स में भी उच्च मात्रा होता है, जो न केवल एंटीऑक्सिडेंट है, शरीर को सूजन से भी बचाता है. डॉ. निसार अहमद के अनुसार,खजूर में अन्य फलों और सब्जियों की तुलना में अधिक पॉलीफेनोल्स होते है.
खजूर चीनी की कमी करता है पूरा
खजूर चीन की कमी को पूरा करता है. कम कैलोरी वाली मिठाई के निर्माण के लिए यह बेहतर विकल्प है. डेसर्ट में चीनी की जगह खजूर का इस्तेला लाभदायक होता है.खजूर विटामिन बी -6 और आयरन जैसे आवश्यक पोषक तत्व से भरपूर है. मीठा खाने के शौकीन खजूर की वजह से इस कमी को पूरा कर सकते हैं. खजूर में फाइबर उच्च स्तर का पाया जाता है. इसके सेवन से लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है.
खजूर से बने डेजर्ट की अनेक किस्में
संयुक्त अरब अमीरात में न केवल विभिन्न प्रकार के खजूर उत्पादित होते हैं. इसे अलग-अलग रूपों परोसे भी जाते हैं. कच्चे और सूखे चीनी में संरक्षित खजूर, नट्स और अन्य भरावों से भरे खजूर, चॉकलेट खजूर, खजूर पेस्ट, खजूर गोले और खजूर से निर्मित डेसर्ट खूब पसंद किए जाते हैं. यह स्वास्थ्यप्रद भी है.यह सभी उम्र के लोगों को पसंद है. इसमें सात महीने की उम्र के बच्चे भी शामिल हैं.
मधुमेह रोगी खजूर खाते रहें सावधान
मधुमेह रोगी अगर इसे कम मात्रा में खाएं तो रोग से सुरक्षित रह सकते हैं.मधुमेह के रोगियों को खजूर का सेवन करते समय इसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए. मॉडरेट खजूर खाने से ब्लड शुगर अत्यधिक बढ़ने की संभावना कम रहती है. यूएई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा 2011 में न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, खजूर में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स पाया गया. इसका अर्थ है कि मधुमेह रोगी या बिना मधुमेह वालों में रक्त शर्करा की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी गई.
मधुमेह रोगी एक बार में दो से तीन प्राकृतिक खजूर खा सकते हैं. इसके साथ ऐसे रोगियों को आहार विशेषज्ञ से सलाह लेने की भी सिफारिश की जाती है. दूसरी ओर, जिन लोगों को मधुमेह नहीं है, उनके लिए प्रति दिन 100 ग्राम खजूर सेवन अति उत्तम है. तीन खजूर में लगभग 70 कैलोरी होती है.
खजूर किसे खाना चाहिए?
असंख्य लाभ होने के कारण केवल रोजेदार ही नहीं, अन्य लोग भी इसे खाना पसंद कर सकते हैं. यह हाइपोग्लाइकेमिया और दर्द को रोकने में मददगार है. गर्भावस्था में महिला को खजूर अवश्य देना चाहिए. इससे स्वस्थ रहता है. बुजुर्गों को भी अनुशंसित तरीके से खाने के लिए खजूर दिया जा सकता है. इसके सेवन से बुजुर्ग कब्ज, एनीमिया और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से बचे रहेंगे.
पैगंबर मोहम्मद (ﷺ) साहब को क्यों पसंद था खजूर
पैगंबर साहब को खजूर बहुत पसंद था. दुनिया के मुसलमान भी इस फल को महत्वपूर्ण मानते हैं. हर मुस्लिम परिवार में खजूर खास अहमियत रखता है. इस्लाम में खजूर खाने पर जोर दिया गया है.
कुरान में 22 बार खजूर का उल्लेख है. इतना जिक्र किसी अन्य फल का नहीं है. इस्लाम में इसका महत्वव निहित है. पैगंबर (ﷺ) खजूर के लाभ के बारे में जानते थे. उन्हें खजूर खाने में बड़ा मजा आता था. उन्होंने अपने आसपास के लोगों को भी खजूर खाने के लिए प्रोत्साहित किया. वह खजूर उपहार में देते थे. इस्लाम में खजूर खाने के लाभों को उम्माह के साथ साझा करने का हुक्म है.
नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने एक दिन लोगांें से सवाल किया, पेड़ों के बीच, एक पेड़ है, जिसके पत्ते नहीं गिरते. यह एक मुसलमान की तरह है. उस पेड़ का नाम बताओ.तब सब मरुस्थल के वृक्षों के बारे में सोचने लगे. एक ने पूछा, वह पेड़ क्या है, हे अल्लाह के रसूल ? जवाब मिला, वह खजूर का पेड़ है. बुखारी
जब पैगंबर (ﷺ) साहब ने खजूर की तुलना मुसलमानों से की, तो दरअसल वह बताना चाह रहे थे कि आस्तिक अपने विश्वास में मजबूत है और अल्लाह की इबादत में अडिग. आस्तिक हमेशा अल्लाह तक पहुंच रखता है. ठीक उसी तरह जैसे खजूर के पत्ते और शाखाएं सूरज के लिए पहुुंचती हैं. खजूर और इसके फल भूमि को पोषित करने में मदद करते हैं. ठीक वैसे जैसे मुस्लिम उम्माह अल्लाह के शब्द का प्रसार करके और उसके वचन का पालन करके इस्लाम को फलने-फूलने में मदद करते हैं.
इस्लाम में खजूर और स्वास्थ्य लाभ
पैगंबर साहब ने खजूर की तुलना आस्तिक से की है. उन्होंने इस्लाम में स्वास्थ्य लाभ के लिए खजूर खाने को भी प्रोत्साहित किया है. पैगंबर साहब जानते थे कि खजूर खाने से हर जगह मुसलमानों की भलाई में मदद मिलेगी. कहते हैं, उन्होंने कहा कि जो हर रोज सुबह सात अजवा खजूर खाता है, जिस दिन वह उन्हें खाएगा उस दिन जहर या जादू से प्रभावित नहीं होगा. ख्बुखारी,
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा है, वास्तव में खजूर एक इलाज है. खजूर का सेवन समग्र स्वस्थ शरीर का समर्थन करने में मदद करता है. चित शांत रहता है.
खजूर का सेवन और बीमारियां
खजूर में विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, ए, सी, के और डी पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें परचूर मात्रा में सेलेनियम, मैंगनीज, कॉपर और मैग्नीशियम भी होता है जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. इसमें पाया जाने वाला पोटेशियम तंत्रिका तंत्र को ठीक रखने में मदद करता है. खजूर में पाए जाने वाले फ्लोरीन से दांतों को सड़न से लड़ने लायक बनाया जा सकता है.आयरन एनीमिया का रोग दूर रखता है.
कुरान में खजूर खाने से प्रसव पीड़िता से राहत का जिक्र
कुरान बताता है कि सूरह मरियम में खजूर खाने से गर्भवती महिलाओं और प्रसव पीड़ा से लड़ने लायक बनाने का जिक्र है. मरियम (अ.स.) ने ईसा (अ.स.) के साथ अपनी गर्भावस्था के दौरान तीव्र दर्द का अनुभव किया, इसलिए अल्लाह ने उनकी बेचैनी को कम करने के लिए खजूर खाने का निर्देश दिया.
इसपर मरियम ने कहा, ओह अगर मैं इस समय से पहले ही मर गई थी और कुछ त्याग दिया गया था और भुला दिया गया था! उसके नीचे से एक आवाज ने उसे पुकारा, शोक मत करो! तुम्हारे अल्लाह ने तुम्हारे चरणों में एक छोटी धारा रखी है. हथेली के तने को अपनी ओर हिलाओ और ताजा, पका हुआ खजूर तुम्हारे ऊपर गिरेगा. खाओ- पियो और खुशी मनाओ.कुरान, 19ः23
गर्भावस्था के दौरान खजूर खाने से प्रसव पीड़ा कम होती है. स्वस्थ प्रसव को बढ़ावा देने में मदद करता है. खजूर से प्राप्त फोलेट रीढ़ की हड्डी के विकास में मददगार है. मैग्नीशियम गर्भावस्था के दौरान मांसपेशियों की ऐंठन को शांत करने में मदद करता है. विटामिन रक्त के थक्के और हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है. पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है.
जर्नल ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी द्वारा प्रकाशित एक लेख में गर्भावस्था के अंतिम चरणों में खजूर खाने के लाभों की पुष्टि की है. इसमें कहा गया है कि खजूर का सेवन मां पर प्रतिकूल प्रभाव के बिना श्रम और प्रसव के परिणाम को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.
पैगंबर साहब का खजूर खाकर रोजा खोलने पर जोर
रमजान खजूर खाने का एक बहुत लोकप्रिय समय है. पैगंबर (ﷺ) साहब ने कहा, जब तुम में से कोई अपना रोजा खोलता है, तो उसे खजूर से खोलने दो, क्योंकि वे धन्य हैं. यदि वह न मिले, तो पानी से रोजा खोल लो, क्योंकि वह शुद्ध है.” तिर्मिजी
नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) खुद रमजान के दौरान रसदार खजूर से अपना रोजा खोलते थे. उपलब्ध न होने पर पानी पीते थे. खजूर शरीर को ऊर्जावान बनाता है. यह आसानी से पच भी जाता है. पूरे दिन खाली पेट रखने के लिए यह जरूरी है.
रमजान के दौरान या साल के किसी भी समय खजूर खाने से लोग खुद को पैगंबर मोहम्मद साहब और इस्लाम के करीब महसूस करते हैं. इस्लाम में खजूर खाना एक परंपरा है. ऐसे में लोग चाहें तो गरीब रोजेदारों को खजूर खिलाकर उनकी मदद कर सकते हैं.कहते हैं फिलिस्तीन के रसदार मेडजौल खजूर सबसे स्वादिष्ट होते हैं. खजूर और सदका, एक अद्भुत संयोजन हो सकता है.