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कश्मीर के दिव्यांग आमिर लोन की क्यों हो रही तारीफ

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,जम्मू और कश्मीर

शारीरिक कमी कोई बीमारी नही. इस बात को दिव्यांगांे ने कई बार साबित किया है. इसी कड़ी में कश्मीर के दिव्यांग आमिर हुसैन लोन भी हैं, जिन्होंने दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद क्रिकेट खेलकर क्रिकेट के भगवान सचिन और उद्योगपति गौतम अडानी को भी चैंका दिया.जम्मू और कश्मीर के बिजबेहड़ा इलाका निवासी लोन ने बचपन में एक हादसे के दौरान अपने दोनो हाथ खो दिए थे. इसके बावजूद उन्होंने कभी साहस नहीं खोया.

अपने साहस और दृढ़ संकल्प के साथ इस त्रासदी पर विजय प्राप्त करते हुए, लोन क्रिकेट खेलते हैं और उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की पैरा क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया है. टीम की कप्तानी भी की है.

जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले के वाघामा, बिजबेहड़ा के निवासी लोन ने कहा, मैं क्रिकेट के प्रति बहुत जुनूनी हूं. सात साल की उम्र में खेलना शुरू कर दिया था. दुर्भाग्य से, जब मैं आठ साल का था, एक चीरघर मिल में हुए हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा बैठा. यहीं से उनकी संघर्ष और निराशा की यात्रा शुरू हुई.

वह बताते हैं,तीन साल अस्पताल में बिताने के बाद, मैं आखिरकार घर लौटा. इस दौरान मैंने आगंतुकों को मुझसे सहानुभूति दिखाते देखा. यहां तक कि परिवार के कई सदस्यों को यह कहते भी सुना कि मुझे दुर्घटना में जीवित नहीं रहना चाहिए था. शारीरिक रूप से अक्षम जीवन जीना बदतर होगा.हालांकि, उनकी दादी सहित उनके परिवार के लोग मजबूती से उनके साथ डटे रहे. उन्हें जीवित रहने और लड़ने का अटूट समर्थन और साहस दिया.

लोन ने बताया,मेरा जीवन चुनौतियों से भरा रहा है. स्कूल में, मुझे कई अप्रिय अनुभवों का सामना करना पड़ा, जिसमें सामाजिक पूर्वाग्रह भी शामिल हैं़. जल्द ही, मुझे एहसास हुआ कि भेदभाव स्कूल की चारदीवारी तक सीमित नही. सर्वव्यापी है. लेकिन मैंने अपने जुनून – क्रिकेट खेलने को नहीं छोड़ा. मैंने दिन-रात अभ्यास किया. अपने पैरों से गेंदबाजी करने और अपने कंधे और गर्दन के बीच बल्ला रखकर बल्लेबाजी करने में बहुत मेहनत की. यह आसान काम नहीं था. शुरुआत में, दर्द असहनीय था. आमिर क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर के एक उत्साही प्रशंसक हैं.

अंत में उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई. वह जम्मू और कश्मीर पैरा क्रिकेट टीम में शामिल हो गए. आमिर ने जम्मू-कश्मीर की पैरा क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया. उसकी कप्तानी भी की है. उन्होंने कहा, मैंने 2013 में दिल्ली में अपना पहला राष्ट्रीय मैच खेला था. मैं मैच खेलने के लिए बांग्लादेश, नेपाल और दुबई गया हूं. मैंने देश के विभिन्न स्थानों पर खेला है. हर जगह मुझे ढेर सारा प्यार, स्नेह, सराहना और समर्थन मिला.

अपने लचीलेपन से, आमिर न केवल दैनिक जीवन की चुनौतियों पर काबू पा चुके हंै, बल्कि चाय का कप उठाना, किताब पकड़ना, लिखना, शेविंग करना, कपड़े धोना, स्मार्टफोन का उपयोग करना और अपने बालों में कंघी करना जैसे विभिन्न कार्यों के लिए अपने पैरों का उपयोग करने में भी कुशल हो गए हैं.

उन्होंने बताया,“2016 में, सचिन तेंदुलकर ने मुझे हस्ताक्षर वाला एक बल्ला भेजा. देश के हर क्रिकेटर ने मेरी सराहना की.मैं मुंबई गया और वहां क्रिकेट खेला. हम सामान्य लोगों के साथ खेलते थे. जब लोगों ने मुझे बिना हाथों के गेंदबाजी और बल्लेबाजी करते देखा, तो वे आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने मेरी सराहना की. सचिन तेंदुलकर और बिजनेस टाइकून गौतम अडानी ने हाल ही में उनकी उपलब्धियों की सराहना की है. सचिन के कश्मीर दौरे के क्रम में लोन ने उनसे मुलाकात भी की.

वह कहते हैं,“मैं बचपन से ही सचिन तेंदुलकर का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं. मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं.
उन्होंने उन्हें समर्थन देने के लिए अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी का भी आभार व्यक्त किया.गौतम अडानी ने उनकी अनूठी यात्रा में अटूट समर्थन का वादा किया है.

पूरे देश में क्रिकेट खेल चुके आमिर इस बात से निराश हैं कि उन्हें अपने गृह प्रदेश में जो समर्थन मिलना चाहिए, वह नहीं मिला.

आमिर ने कहा, संस्थानों को विशेष रूप से विकलांग बच्चों का समर्थन करना चाहिए ताकि वे भी अपने विशिष्ट क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें. अपने गृह राज्य में समर्थन की कमी पर अफसोस जताते हुए आमिर ने कहा, उन्होंने खुद को इतना मजबूत बना लिया है कि वह दूसरों पर निर्भर नहीं रहेंगे.

वो बोले,“लोगों द्वारा अपनी सहानुभूति से मुझे अपमानित करने की यादें मुझे सताती रहती हैं. मुझे अब भी याद है कि मैं जहां भी जाता, मेरा स्वागत सहानुभूति भरी निगाहों और शब्दों से किया जाता. बेचारा लड़का! शारीरिक रूप से अक्षम होने के कारण कुछ भी करने में असमर्थ है. मैं उन्हें गलत साबित करना चाहता हूं. अपने धैर्य, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से मैं सफल भी रहा. आज आमिर सभी दिव्यांग लोगों के लिए एक चमकदार उदाहरण हैं.

आमिर ने युवाओं, दिव्यांगों और अन्य दोनों को अपने संदेश में कहा.,“हताशा में अपना जीवन बर्बाद मत करो. कभी भी हार स्वीकार न करें. अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए समर्पण और उत्साह के साथ कड़ी मेहनत करें. आप सफल होंगे.

सामाजिक पूर्वाग्रह

अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ त्रासदी पर विजय प्राप्त करते हुए, लोन क्रिकेट खेलते है.उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश की पैरा क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व और कप्तानी की है. वह कहते हैं, “मेरा जीवन चुनौतियों से भरा रहा है. स्कूल में, मुझे कई अप्रिय अनुभवों का सामना करना पड़ा, जिसमें सामाजिक पूर्वाग्रह भी शामिल है.