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तस्लीम जहां की हत्या पर चुप्पी क्यों? कोलकाता केस पर हंगामा करने वालों की खामोशी सवालों के घेरे में

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

कोलकाता की मेडिकल छात्रा के साथ हुए रेप और हत्या की घटना ने देशभर में आक्रोश फैला दिया है. केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों में शामिल बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया है.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी इस मामले में कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकील को फटकार लगाई है. लेकिन, इसी बीच उत्तराखंड में एक मुस्लिम नर्स के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामले में चुप्पी साध ली गई है. हत्या का आरोपी उत्तर प्रदेश का निवासी है, परन्तु अक्सर मुस्लिम घरों पर बुलडोजर चलाने वाली योगी सरकार ने भी अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है.

  • कोलकाता की मेडिकल छात्रा के रेप और हत्या पर देशभर में बवाल मचा है, लेकिन उत्तराखंड में एक मुस्लिम नर्स तस्लीम जहां के बलात्कार और हत्या पर सब चुप्पी साधे हुए हैं.
  • हत्या का आरोपी उत्तर प्रदेश का निवासी है, लेकिन योगी सरकार ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है.
  • तस्लीम जहां उत्तराखंड के एक निजी अस्पताल में नर्स का काम करती थी और 30 जुलाई से लापता थी.
  • तस्लीम जहां की लाश 15 अगस्त को उत्तर प्रदेश के बरेली में एक खाली प्लॉट में मिली. पुलिस ने आरोपी को राजस्थान के जोधपुर से गिरफ्तार किया.
  • इस मामले में उत्तराखंड पुलिस और अन्य सामाजिक संगठनों का रवैया शुरू से संदेहास्पद रहा है, और कोलकाता केस पर हंगामा करने वाली बीजेपी ने भी चुप्पी साध रखी है.
  • मुस्लिम संगठनों की भी इस मामले पर चुप्पी का कारण डर है, क्योंकि आजकल मुसलमानों के खिलाफ किसी भी मामले को उठाने पर कठोर कार्रवाई की जाती है.
  • तस्लीम जहां के मामले में प्रशासन से सवाल पूछने वालों की संख्या बहुत कम है, और इस मामले में हंगामा खड़ा करने वाले अब तक खामोश हैं.

राजस्थान पत्रिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, उसी दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली के डिबडिबा इलाके में वसुंधरा इनक्लेव के पास एक खाली प्लॉट में तस्लीम जहां की लाश मिली. उत्तर प्रदेश की बिलासपुर पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया, लेकिन रिपोर्ट में मौत के कारण स्पष्ट नहीं हो पाए.

तस्लीम जहां उत्तराखंड के एक निजी अस्पताल में नर्स का काम करती थी. वह 30 जुलाई से लापता थी, और 31 जुलाई को उसकी बहन ने रुद्रपुर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने जांच शुरू की तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। सीसीटीवी फुटेज में तस्लीम जहां 30 जुलाई को इंदिरा चौक, रुद्रपुर से एक ऑटो में जाती हुई दिखी, लेकिन वह अपने घर वसुंधरा अपार्टमेंट तक नहीं पहुंची. फुटेज में एक संदिग्ध व्यक्ति भी दिखाई दिया.

पुलिस को मृतका के पास से लूटे गए मोबाइल की लोकेशन बरेली में मिली. जानकारी मिली कि तस्लीम जहां का मोबाइल बरेली के धर्मेंद्र नामक व्यक्ति के पास है. पुलिस जब बरेली पहुंची, तो पता चला कि धर्मेंद्र अपने परिवार के साथ फरार हो चुका है. बाद में उसे राजस्थान के जोधपुर से गिरफ्तार कर लिया गया.

इस पूरे मामले में उत्तराखंड पुलिस और बलात्कार जैसी घटनाओं पर हंगामा करने वाले लोगों का रवैया शुरू से ही संदेहास्पद रहा है. मामला दर्ज कराने के 15 दिनों बाद तक किसी ने भी इस पर बोलने की हिम्मत नहीं दिखाई.

कोलकाता रेप-मर्डर केस पर बवाल मचाने वाली बीजेपी ने भी इस मामले में चुप्पी साधी हुई है. अभी तक किसी सामाजिक संगठन या जज ने इस मामले में कोई बयान नहीं दिया है, और न ही कोई गतिविधि शुरू हुई है.

मुस्लिम संगठनों की भी इस मामले पर चुप्पी का कारण डर है, क्योंकि आजकल एक शेर पढ़ने मात्र से किसी भी मुसलमान को महीनों जेल में डाल दिया जाता है और घर ढहा दिए जाते हैं. मुस्लिम नाउ को एक मुस्लिम संगठन के पदाधिकारी ने व्हाट्सएप पर संदेश भेजा कि इस मामले को उठाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.

हालांकि, कुछ लोग साहस दिखा रहे हैं और सड़क पर उतरकर तस्लीम जहां के मामले में प्रशासन से सवाल पूछ रहे हैं. इसके बावजूद, महिलाओं के साथ होने वाले हत्या-बलात्कार पर हंगामा खड़ा करने वालों की चुप्पी पर सवाल उठना स्वाभाविक है.