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कश्मीर के बाद 97 फीसदी मुस्लिम आबादी वाला लक्षद्वीप क्यों है सुर्खियों में

मुस्लिम बहुल राज्य जम्मू-कश्मीर के बाद अब एक और मुस्लिम बहुल प्रदेश लक्षद्वीप कुछ खास लोगों के निशाने पर है.

आरोप है कि लक्षद्वीप के प्रशासक और भाजपा नेता प्रफुल खोड़ा पटेल 97 से अधिक मुस्लिम आबादी वाले द्वीप के पारंपरिक जीवन और संस्कृति को नष्ट करने में लगे हैं.

कई सांसदों ने मांग की है कि प्रशासक को तुरंत वापस बुलाया जाए. उन्होंने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र भेजकर आरोप लगाया है कि नए प्रशासक पटेल द्वीप में कुछ ऐसी नीतियां लागू करने को प्रयासरत हैं जिससे उनकी वहां की संस्कृति के साथ उनकी वित्तीय स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.

दुखद और चिंताजक की बात यह है कि यह ‘तमाशा’ ऐसे समय चल रहा है, जब पूरे देश पर कोरोना मौत बनकर नाच रहा है. संक्रमण के नए मामलों में कमी आने के बावजूद कोरोना से मौत हजारों की संख्या में हो रही हैं. ऐसे में विवाद से क्या अर्थ निकाला जाए ? क्या यह कि कुछ लोगों को कोरोना पीड़ितों से कोई हमदर्दी नहीं. उनकी नजरों में देश की जगह प्राथमिकताएं कुछ और हैं ?

बहरहाल,केरल के सांसद एलाराम करीम ने राष्ट्रपति को कड़े शब्दों में पत्र लिख कर पटेल पर ‘‘द्वीप के पारंपरिक जीवन और संस्कृति को नष्ट करने के लिए गुप्त एजेंडे पर काम करने का आरोप लगाया है.

करीम ने कहा, ‘‘सुधारों और योजनाओं के नाम पर नए प्रशासक लक्षद्वीप के लोगों के पारंपरिक जीवन को नष्ट करने की कोशिश में हैं.’’

लक्षद्वीप एक केंद्र शासित प्रदेश है. इसकी दिल्ली या पुडुचेरी जैसी कोई विधानसभा नहीं है.स्थानीय सांसद मोहम्मद फैसल ने भी पटेल की नीतियों को लेकर निशाना साधा है.

उनका दावा है कि ‘‘जनवरी से, पटेल की वजह से करीब 300 लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी.’’

केंद्र ने जब से पटेल को केंद्र शासित प्रदेश में भेजा है,लोग उनकी नीतियों का विरोध कर रहे हैं. बता दें कि पटेल दिसंबर 2020 में नियुक्त किए गए थे.

हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रशासक पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया कि मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वीप और उसके लोगों को अपरिवर्तनीय विनाश कर रही है. उन्होंने लक्षद्वीप से सभी द्वीप विरोधी कानूनों को वापस लेने और पटेल को प्रशासक के पद से हटाने का आग्रह किया है.

इस बीच, पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर द्वीप में चल रहे संकट को उजागर करने का सिलसिला चल निकला है. मुख्य रूप से लक्षद्वीप और केरल के लोग सोशल मीडिया पर प्रफुल खोड़ा पटेल की कार्यप्रणाली को लेकर निशाना साध
रहे हैं.

ध्यान रहे कि लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 (एलडीएआर),नगर नियोजन के तहत अब द्वीपवासियों को उनकी संपत्ति से हटाने या स्थानांतरित करने से पहले प्रशासक से अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा ‘गुंडा अधिनियम‘ के तहत अब किसी भी व्यक्ति को एक वर्ष तक की अवधि के लिए हिरासत में रखा जा सकेगा.

इसके अलावा, पटेल ने विवादास्पद मसौदा पंचायत अधिसूचना को भी मंजूरी दे दी है, जिसमें दो से अधिक बच्चों वाले सदस्य को अयोग्य घोषित करने का प्रावधान है. लक्षद्वीप के स्कूल मेनू में भी परिवर्तन किया गया है. भोजना से मांसाहारी खाद्य पदार्थ हटा दिए गए हैं.यहां के लोग भोजन में
समुद्री जीव यानी मच्छली आदि का छुटकर इस्तेमाल करते हैं.

अपने पत्र में, करीम ने आरोप लगाया कि पटेल प्रशासन द्वारा जारी आदेशों और घोषणाओं में ‘‘लोगों, को उनकी पसंद के भोजन और उनकी आजीविका से दूर करने का प्रयास है.

विकिपीडिया के अनुसार लक्षद्वीप द्वीप की आबादी 97 प्रतिशत मुस्लिम है. प्रशासक पीएम मोदी के करीबी सहयोगी रहे हैं. पटेल पर कोविड से संबंधित एसओपी को पूरी तरह से बदलने, प्रतिबंधों में ढील देने का भी आरोप है. आरोप है कि इनकी ढिलाई की वजह से द्वीप जैसे छोटे से क्षेत्र में कोरोना का फैलाव तेजी से हुआ है.

पटेल के कार्यभार संभालने के एक महीने बाद जनवरी 2021 में, लक्षद्वीप ने 2020 में वायरस से मुक्त होने के बाद पहला कोविड मामला दर्ज किया था. वर्तमान में, यहां कुल 6,611 मामले (2050 सक्रिय मामले) और 24 मौतें रिकार्ड में हैं.

कौन हैं प्रफुल खोड़ा पटेल?

गुजरात के रहने वाले प्रफुल खोड़ा पटेल अपने राज्य के गृह मंत्री रह चुके हैं. तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. मोदी के करीबी माने जाने वाले पटेल को पूर्व प्रशासक और आईपीएस अधिकारी दिनेश्वर शर्मा के निधन के बाद दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप का प्रशासक नियुक्त किया गया है.

इससे पहले, पटेल को 2016 में दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली का प्रशासक नियुक्त किया गया था. राजनेताओं को प्रशासक के रूप में नियुक्त करने का सिलसिला मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने शुरू किया है. इससे पहले केवल सिविल सेवकों की नियुक्ति की जाती थी.

पटेल का नाम दादरा और नगर हवेली के एक निर्दलीय सांसद मोहन देलकर की आत्महत्या के मामले में आ चुका है. सांसद ने अपने 15 पन्नों के कथित सुसाइड नोट में पटेल का नाम लिया था.

एक फेसबुक पोस्ट में, लक्षद्वीप के स्थानीय नागरिक फिरोज नेदियाथ ने आरोप लगाया कि पटेल को यह पद आईएएस ध् आईपीएस अधिकारियों के बदले इसलिए मिला क्योंकि वह भाजपा नेता हैं. लक्षद्वीप के इतिहास को पटेल किस तरह मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, इस बारे में मलयालम में लिखा गया उनका यह पोस्ट खूब वायरल हो रहा है.

विरोध के समर्थन में कौन ?

एलाराम करीम के अलावा, जिनके पत्र ने पटेल की नीतियों पर चर्चा की और कई लोगों को केंद्र से फटकार लगाने और उन्हें निष्कासित करने का आग्रह किया, उनमें कई राजनेता और अन्य हस्तियां शामिल हैं.