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महमूद मदनी ने क्यों कहा, मुसलमानों को उत्तेजित करने के लिए इस्लामी मूल्यों, सिद्धांतों, मस्जिदों, नमाज और रसूल पर हमले हो रहे हैं

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, कोलकाता / नई दिल्ली

जमीयत उलेमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियां अत्यधिक चिंताजनक हैं. यह बहुत दुख की बात है कि इस देश में जनाब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के महान व्यक्तित्व का सार्वजनिक रूप से अपमान किया गया है. उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे अवसर पर हम यह कह कर बच नहीं सकते कि सिर्फ चुनाव के लिए घृणा के बीज बोए जाते हैं. मुसलमान और उसकी धार्मिक पहचानों पर हमला, सार्वजनिक रूप अपनाता जा रहा है. ऐसे समय में जमीयत उलमा ए हिंद को अपनी जिम्मेदारी अदा करनी होगी.

मदनी जमीयत के राष्ट्रीय अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण के दौर पर अपने विचार रख रहे थे.कोलकाता में आयोजित जमीयत की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने मुसलमानों के संबंध में गलतफहमी के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर है.

जमीयत भवन कोलकाता के मौलाना असद मदनी हाल में जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यसमिति का दो दिवसीय महत्वपूर्ण सम्मेलन संपन्न हुआ. इसका अंतिम चरण शनिवार की सुबह संपन्न हुआ. इस दौरान देश की वर्तमान सांप्रदायिक परिस्थिति पर चिंता प्रकट की गई और एक दर्जन एजेंडों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया. इसके बाद तय हुआ कि इसी से संबंधित जमीयत की गतिविधियां जारी रहेंगी और समय पर इसका आकलन किया जाएगा..
 
पूर्व कार्यवाही को जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव  मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पढ़ा. इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में जमीयत उलेमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीअत उलेमा ए हिंद का वास्तविक काम, देश व मिल्लत का मार्गदर्शन है. जमीयत ने देश की स्वतंत्रता और उसके बाद, देश बंटवारे के अवसर पर मिल्लत का मार्गदर्शन करके अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया, जो इतिहास में हमारे लिए गौरव गाथा है.

देशद्रोह नहीं तो क्या है

वर्तमान परिस्थितियां अत्यधिक चिंताजनक हैं. यह बहुत दुख की बात है कि इस देश में जनाब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के महान व्यक्तित्व का सार्वजनिक रूप से अपमान किया गया है. उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे अवसर पर हम यह कह कर बच नहीं सकते कि सिर्फ चुनाव के लिए घृणा के बीज बोए जाते हैं. मुसलमान और उसकी धार्मिक पहचानों पर हमला, सार्वजनिक रूप अपनाता जा रहा है. ऐसे समय में जमीयत उलमा ए हिंद को अपनी जिम्मेदारी अदा करनी होगी. उसे आगे आकर स्थितियों का मुकाबला करना होगा. इसके अलावा ऐसे प्रोग्राम तय करने होंगे जिनके माध्यम से आपसी घृणा का वातावरण समाप्त किया जाए. गलतफहमियों की जो दीवार खड़ी की गई है, उसे ध्वस्त किया जा सके.

यह सब गलतफहमियों के समाधान के बगैर संभव नहीं है. इसलिए राष्ट्रीय कार्यसमिति ने अपने सम्मेलन में अत्यधिक विचार मंथन के बाद यह तय किया कि सीरत वह दूसरे विचाराधीन समस्याओं और शीर्षकों पर  पत्र पत्रिकाएं और संक्षिप्त वीडियो तैयार करने के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद के पुराने विभाग दावते इस्लाम को तय किया जाए और इस संबंध में भविष्य के प्लान तैयार किए जाएं. इसके अलावा रसूल के अपमान के दोषियों के लिए विधिवत सजा दिलाने से संबंधित कानूनी कदमों का आकलन किया गया. तय हुआ कि सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से जो प्रार्थना पत्र दिया गया है उस पर और अधिक हर संभव प्रयास किए जाएं.

कार्यसमिति ने एक विशेष प्रस्ताव में सत्तारूढ़ पार्टी के संरक्षण में जारी घृणा अभियान और राजनीतिक हितों के लिए धर्म के दुरुपयोग को देश से सरासर दुश्मनी और बगावत करार दिया. प्रस्ताव में कहा गया ,‘‘ राजनीतिक अभिप्राय और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए धर्म और धार्मिक प्रतीकों का शोषण, हमारे देश की राजनीति का अत्यधिक निंदनीय स्वरूप बनता जा रहा है. राजनीति में अवसरवादी हितों और चुनाव में वोट बटोरने के लिए बहुसंख्यक वर्ग को खुश करना और उत्तेजित नारों के माध्यम से उसका समर्थन प्राप्त करना और मुसलमानों तथा उनकी वास्तविक मांगों से दृष्टि फेरना भी इसी राजनीतिक हथकंडे का भाग है.

राष्ट्रीय कार्यसमिति ने आगे प्रस्ताव में मुस्लिम दुश्मन तत्वों की सरकार के समर्थन और हौसला अफजाई पर तीव्र टिप्पणी की और कहा,‘‘ मुसलमानों को उत्तेजित करने के लिए इस्लामी मूल्यों – सिद्धांतों, मस्जिदों, नमाज और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के व्यक्तित्व का अपमान करने की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं.. सरकार व प्रशासन की तरफ से ऐसे तत्वों का समर्थन व उनका हौसला बढ़ाया जा रहा है. दूसरी तरफ मुसलमानों को उत्तेजित करके उनको दीवार से लगाने और अलग-थलग करने की कोशिशें बहुत समय से की जा रही हैं.

छवि हो रही है खराब

हालांकि मुस्लिम और इस्लाम दुश्मनी के खुले तौर पर और सामूहिक रूप से प्रदर्शन के कारण,विश्व स्तर पर अपने देश की बदनामी हो रही है. पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की घृणात्मक, संकुचित धार्मिक कट्टरपंथी छवि बन रही है. इसके कारण विभिन्न देशों के साथ हमारे पुराने संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्म पर हिंदुस्तान विरोधी तत्वों को अपना एजेंडा आगे बढ़ाने का अवसर मिल रहा है.

ऐसी परिस्थितियों में देश की अखंडता और उन्नति के संदर्भ से जमीयत उलमा ए हिंद सत्तारूढ़ पार्टी का ध्यान आकर्षित करना चाहती है कि वह तुरंत ऐसे कदम और पॉलिसियों से बाज आए जो कि लोकतंत्र, न्याय और भाईचारे के सिद्धांतों के विरुद्ध है और केवल मुस्लिम और इस्लाम दुश्मनी पर आधारित हैं. ध्यान में रखना चाहिए कि बहुसंख्यकों के धार्मिक विचारों को उत्तेजित करके अपने अस्तित्व को स्थापित रखना, देश के साथ वफादारी और मोहब्बत के बजाय, सरासर दुश्मनी और बगावत है.

सत्ताधारी वर्ग को यह भी मालूम होना चाहिए कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले तत्वों की निंदनीय- घटिया हरकतों की वजह से देश की तरक्की के कदमों पर पानी फिर गया है. उनके लाभ पीछे चले गए हैं. यह देश, मुसलमानों को उपेक्षित करके कभी भी खुशहाल और विकासशील नहीं बन सकता.

जमीयत उलेमा ए हिंद ने न्याय प्रिय और देश मित्र लोगों, संस्थाओं और ग्रुपों से अपील की है कि ‘‘ प्रतिक्रिया और  उत्तेजक विचारों वाली राजनीति को छोड़ते हुए, एकजुट होकर, कट्टरवादी और फासिज्म वादी शक्तियों का, राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मुकाबला करें और देश में भाईचारा, आपसी सद्भाव और न्याय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर संभव संघर्ष करें.

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नौजवानों को संदेश

उम्मत के नौजवानों और विद्यार्थियों के संगठनों को हम विशेष रूप से चेता देना चाहते हैं कि वह आंतरिक व बाहरी देश दुश्मन तत्वों के, प्रत्यक्ष रूप से निशाने पर हैं, उन्हें (नौजवानों को) निराश करने, भड़काने और गुमराह (भ्रमित) करने का हर  हथकंडा इस्तेमाल किया जा रहा है. हमारे सामने सैकड़ों मुस्लिम नौजवानों का उदाहरण है जिन्हें जिहाद के नाम पर धोखा देकर फंसाया गया या आतंकवाद के झूठे आरोप लगाकर जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया. इसलिए विशेष रूप से मुस्लिम नौजवानों को चाहिए कि वह जिहाद के नाम पर किसी चाल – धोखे का शिकार न हों. अपने महापुरुषों पर पूरा विश्वास करते हुए उनकी बातों पर अमल करें.

वर्तमान समय की आवश्यकता है कि हम अपनी बिगाड़ी गई छवि को बदलें और देश व मिल्ली तथा दीनी जागरुकता की आपसी एकता के साथ, शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक रूप से स्वस्थ, बहादुर और जान न्यौछावर करने वाला, मानवता और मित्रता, और देश के वफादार नागरिक का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें जिस पर हमारे देश तथा कौम को गर्व हो.

हमें अपने नौजवानों को ऐसे रूप में सुदृढ़ करना चाहिए कि देश में आने वाली आपदाओं, विपदाओं, घटनाओं या बाहरी आक्रमणकारियों का मुकाबला करने में वह सबसे आगे और सक्षम हों.

एजेंडों पर मंथन

इसके अलावा राष्ट्रीय कार्यसमिति में फरवरी के अंतिम सप्ताह में कार्यसमिति का राष्ट्रीय सम्मेलन करने का भी निर्णय किया गया. कार्यसमिति में विशेष रूप से जमीयत की जिला स्तरीय शाखाओं को मजबूत और सक्रिय करने, मिल्लत फंड की स्थापना से संबंधित व्यावहारिक प्रोग्राम और योजनाएं पेश की गईं और उनको स्वीकृत किया गया. जमीयत एजुकेशन फाउंडेशन के तहत मदरसों के विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा व सर्टिफिकेट से सुसज्जित करने का जारी अभियान, घृणात्मक अपराध का विरोध, दीनी तालीमी बोर्ड, इस्लाहे मुआशरा, वोटर जागरूकता अभियान, जमीयत यूथ क्लब और लीगल सेल की रिपोर्ट पेश हुईं. जिन पर कार्यसमिति ने संतोष व्यक्त किया.
 
इस अवसर पर अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद मौलाना मदनी ने सम्मेलन के आयोजन और समिति के पदाधिकारियों की आमद और स्वागत के लिए जमीयत उलेमा पश्चिमी बंगाल के अध्यक्ष मौलाना सिद्दीकुल्लाह चैधरी और उनके सभी साथियों का धन्यवाद अदा किया. मौलाना सिद्दीकुल्लाह चैधरी ने सारे कार्य समिति के पदाधिकारियों को मोमेंटो पेश किया. लंबे समय के बाद कोलकाता में जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय सम्मेलन कार्यसमिति के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की.
इस अवसर पर कार्यसमिति के सम्मेलन के दौरान एक चरण ऐसा भी रखा गया जिसमें पश्चिमी बंगाल की जिला शाखाओं के  पदाधिकारियों ने भाग लिया और उनके समक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद के विभिन्न विभागों की रिपोर्ट पेश हुई.

यह भी रहे उपस्थित

सम्मेलन में अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद मौलाना महमूद मदनी और राष्ट्रीय महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के अलावा विशेष रुप से मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी, मोहतमिम व शैखुल हदीस दारुल उलूम देवबंद, मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, नायब अमीरउल हिंद मौलाना मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी, मौलाना सद्दीकुल्लाह  चैधरी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद राशिद आजमी नायब मोहतमिम दारुल उलूम देवबंद, मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, मौलाना शौकत अली वेट, मुफ्ती मोहम्मद जावेद इकबाल कासमी, मौलाना नियाज अहमद फारूकी, कारी मोहम्मद अमीन, मुफ्ती अब्दुल रहमान नौगांवा सादात, मुफ्ती अहमद देवला गुजरात, मौलाना मोहम्मद आकिल गढ़ी दौलत, डॉक्टर मसूद आजमी, मौलाना सिराजुद्दीन मोईनी  अजमेरी नदवी, दरगाह अजमेर  शरीफ , और मुफ्ती इफ्तिखार क़ासमी कर्नाटक , मौलाना अब्दुल्लाह मारुफी, मौलाना मोहम्मद नाजिम, हाजी मोहम्मद हसन चेन्नई, मौलाना मनसूर काशफी तमिलनाडु, मुफ्ती शमसुद्दीन बिजली, मौलाना मोहम्मद इब्राहिम केरल, हाजी मोहम्मद हारुन, मौलाना अब्दुल कुददूस पालनपुरी, मौलाना कलीम उल्लाह खान कासमी, हाफिज उबैदुल्लाह बनारस ने भाग लिया.