गुजरात दंगे पर BBC की डॉक्यूमेंट्री को लेकर हंगामा क्यों ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
ब्रिटेन के चर्चित मीडिया हाउस बीबीसी ने गुजरात दंगे पर डॉक्यूमेंट्री क्या बनाई हंगामा खड़ा हो गया. बताते हैं कि डॉक्यूमेंट्री में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को संदिग्ध दिखाया है. इसका पहला भाग आते ही न केवल देश स्तर पर नाराजगी जताई गई, अघोषित रूप से इसपर भारत में बैन भी लगा दिया गया. यहां तक कि यूट्यूब, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म से भी बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को हटा दिया गया है.
Let’s call it for an Indian Documentary after the success of BBC documentary pic.twitter.com/6ifGPDUMMQ
— 2.0 𝓐 rundhati…🖋️🧨 (@Polytikles) January 22, 2023
इसके साथ ही आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है. सवाल खड़े किए जा रहे हंै कि क्या किसी एक मीडिया हाउस की एक खबर से किसी की छवि बन या बिगड़ सकती है ? क्या आजादी के 75 साल बाद भी भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था इतनी नाजुक है कि एक छोटी सी फिल्म से सियासी बवाल खड़ा हो सकता है ? रोजना मीडिया प्लेट फार्म पर न जाने कितने लोगों के विरूद्ध
झूठी-सच्ची खबरें छपती हंै, क्या उससे संबंधित व्यक्ति की दिनचर्या बिगड़ जाती है ? अभी बागेश्वर धाम के संत को लेकर दो तरह की बातें चल रही हैं. क्या उससे किसी सच्चे आदमी को अंतर पड़ सकता है ?
मगर इन सवालों के विपरीत देश में हंगामा खड़ा हो गया है. एक पक्ष बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री चलने नहीं देना चाह रहा है, जबकि दूसरा गुट इसे चलाने पर आमादा है. दिल्ली की जेएनयू में इस मुद्दे पर बवाल हो गया. उधर, हैदराबाद यूनिवर्सिटी और केरल में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने की तैयारी है.
This is how the spokesperson of India’s foreign ministry handled some pointed questions about the BBC documentary on PM Modi’s Gujarat riots past. pic.twitter.com/SIxnUKZAYD
— Brut India (@BrutIndia) January 20, 2023
एक खबर के अनुसार, जेएनयू में विवादास्पद बीबीसी वृत्तचित्र स्क्रीनिंग को लेकर देर रात तक छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा. विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ परिसर में मार्च शुरू हो गया और पुलिस भी आ गई. जेएनयू कैंपस से लेकर वसंत कुंज थाने तक कम्युनिस्ट संगठनों से जुड़े छात्रों ने विरोध मार्च निकाला. छात्र गुटों द्वारा पथराव के आरोप भी लगाए गए हैं, लेकिन पुलिस ने पथराव की पुष्टि नहीं की है. वसंत कुंज स्थित थाने के बाहर देर रात छात्रों ने प्रदर्शन किया. उसके बाद जेएनयू छात्र संघ द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत और पुलिस के आश्वासन के बाद देर रात छात्रों ने अपना धरना समाप्त कर दिया. छात्र नेता आइशी ने यह जानकारी दी है.
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष का कहना है कि एबीवीपी ने पथराव किया है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हमने फिल्म की स्क्रीनिंग लगभग पूरी कर ली है. बिजली बहाल करना हमारी प्राथमिकता है. हम एफआईआर कराएंगे. वहीं पथराव को लेकर एबीवीपी से जुड़े छात्र गौरव कुमार का कहना है, क्या इन आरोप लगाने वालों के पास कोई सबूत है कि हमने पथराव किया है? हमने कोई पथराव नहीं किया है, वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि अगर जेएनयू से कोई शिकायत मिलती है तो जरूरी कार्रवाई की जाएगी.
Must watch: Excerpts from a BBC documentary just telecast in UK about our PM Modi & his documented role in the ethnic cleansing pogrom of 2002 in Gujarat pic.twitter.com/O1bAABRiA0
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) January 19, 2023
इस बार प्रशासन की रोक के बाद भी कम्युनिस्ट छात्रों के एक समूह ने मंगलवार देर रात मोबाइल फोन पर सरकार द्वारा प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री इंडियाः द मोदी क्वेश्चन की स्क्रीनिंग देखकर हंगामा किया.
भारत सरकार द्वारा बीबीसी के डॉक्यमेंट्री पर अघोषित प्रतिबंध पर व्यंग करते हुए चर्चित लेखिका अरूणधती राय ने एक पुराना वीडियो क्लिप जारी किया है. इसी तरह प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने भी एक वीडियो क्लिप अपने ट्विटर हैंडल से जारी कर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देखने को प्रोत्साहित कर रहे हैं. इसी के साथ ही यह अहम सवाल खड़ा है कि क्या एक डॉक्टयूमेंट्री किसी का कुछ बिगाड़ सकती है ? यदि नरेंद्र मोदी की गुजरात दंगे में कोई भूमिका नहीं थी तो बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से घबराना कैसा ?