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वक्फ संशोधन बिल बनेगा भाजपा के लिए नया किसान आंदोलन? मुस्लिम संगठन की देशव्यापी विरोध की तैयारी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली।
क्या वक्फ कानून में संशोधन केंद्र और भाजपा शासित राज्य सरकारों के लिए नया राजनीतिक संकट बनने जा रहा है? जिस तरह किसान आंदोलन ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया था, उसी तरह अब वक्फ संशोधन को लेकर मुस्लिम संगठनों का आक्रोश तेजी से सड़कों और सोशल मीडिया पर उभरता दिख रहा है।

इस बार मोर्चे की अगुवाई कर रहा है ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जिसने साफ कर दिया है कि वह “हर बलिदान के लिए तैयार” है। बोर्ड का कहना है कि यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि धर्म, शरीयत और संविधान की रक्षा का संघर्ष है, जो अंजाम तक लड़ा जाएगा।


वक्फ संशोधन को बताया गया इस्लामिक परंपराओं पर हमला

बोर्ड ने रविवार को एक विशेष बैठक के बाद सोशल मीडिया पर साझा किए गए अपने बयान में कहा:

“मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन को इस्लामी परंपराओं, शरीयत, धार्मिक स्वतंत्रता और भारतीय संविधान की मूल भावना पर हमला मानता है।”

बोर्ड ने उन राजनीतिक दलों की कथित धर्मनिरपेक्षता पर भी सवाल उठाया, जिन्होंने इस बिल का समर्थन किया। साथ ही कहा कि देशभर में सभी धार्मिक, सामाजिक और नागरिक संगठनों के साथ मिलकर संशोधनों के खिलाफ शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक आंदोलन चलाया जाएगा।


रजा अकादमी ने भी उठाई आवाज़, फतवा ए रजविया का हवाला

मुंबई की रजा अकादमी ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अकादमी ने ‘फतावा ए रजविया’ की जिल्द 16 का हवाला देते हुए लिखा:

“अगर कोई वक्फ शुदा ज़मीन पर नाहक़ कब्जा करे तो मुसलमानों पर फर्ज़ है कि वो हिफ़ाज़त-ए-माल-ए-वक्फ के लिए हर जायज़ कोशिश करें।”

यह संदेश मुस्लिम समाज को वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए धार्मिक और सामाजिक रूप से तैयार रहने की अपील के रूप में देखा जा रहा है।


12 वर्षों में लिए गए फैसलों ने तैयार किया मौजूदा माहौल

पिछले एक दशक में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए 370 हटाना, तीन तलाक कानून, बाबरी मस्जिद मामला, सीएए-एनआरसी और UCC जैसे फैसलों को मुस्लिम समाज पहले ही विरोधी नज़रिए से देखता रहा है

हालांकि इन मुद्दों पर बड़े पैमाने पर कोई आंदोलन नहीं हुआ, लेकिन वक्फ संशोधन के खिलाफ जो एकजुटता और तेवर अब दिख रहे हैं, वह पहले नहीं देखे गए थे

सरकार की चेतावनियों और कुछ मुस्लिम नेताओं द्वारा किए गए बचाव के बावजूद मुस्लिम समुदाय में असंतोष और एकजुटता तेजी से बढ़ रही है।


देशभर में चरणबद्ध विरोध प्रदर्शन की रणनीति तैयार

बोर्ड के महासचिव मौलाना फजल रहीम मुजाहिदी ने बताया कि यह आंदोलन केवल अदालत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि धरने, काली पट्टियां, जनसभाएं, प्रेस कॉन्फ्रेंस, संवाद और गिरफ्तारियां इसके हिस्से होंगे।

आंदोलन की मुख्य बातें:

  • देश के हर राज्य की राजधानी में प्रतीकात्मक गिरफ्तारियां
  • जिलों में धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपना
  • ईद-उल-अजहा तक पहले चरण का देशव्यापी अभियान
  • राउंड टेबल बैठकों के जरिए दूसरे समुदायों को साथ जोड़ना
  • दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना, हैदराबाद जैसे शहरों में बड़े विरोध कार्यक्रम
  • शुरुआत दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से होगी

युवाओं से संयम और अनुशासन में रहने की अपील

बोर्ड ने सभी मुसलमानों, खासकर युवाओं से संयम, धैर्य और संगठित तरीके से आंदोलन का हिस्सा बनने की अपील की है।

“भावनाओं में बहकर कोई ऐसा कदम न उठाएं जिससे सांप्रदायिक ताकतों को फायदा पहुंचे,” बोर्ड ने कहा।

साथ ही यह भी दोहराया गया कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और संवैधानिक दायरे में होगा।


कुरान की आयत और अल्लाह से भरोसे की बात

बोर्ड ने सूरह अल-अंकबूत (29:69) की आयत का हवाला देते हुए कहा:

“और जो लोग हमारी राह में प्रयास करते हैं, हम उन्हें अपने मार्ग अवश्य दिखाएंगे। निःसंदेह अल्लाह नेक लोगों के साथ होता है।”

बोर्ड का मानना है कि इस संघर्ष में अल्लाह की मदद ही सबसे बड़ा सहारा है, और हर तरह की मेहनत, समय और संसाधन इस नेक काम के लिए खर्च किए जाएंगे।


वक्फ कानून में संशोधन पर उपजा असंतोष अब सिर्फ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड या रजा अकादमी तक सीमित नहीं रहा। यह एक ऐसा मुद्दा बनता जा रहा है, जो देशभर के मुस्लिम समुदाय को लामबंद कर सकता है।
सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह जल्द संवाद और पारदर्शिता का रास्ता अपनाए, वरना यह मुद्दा आने वाले दिनों में एक बड़े जनांदोलन का रूप ले सकता है, जो किसान आंदोलन की याद दिला सकता है।

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