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रमजान की आहट के साथ पाकिस्तान की जनता रिकाॅर्ड तोड़ महंगाई का शिकार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लामाबाद

रमजान का महीना जहां बरकतों वाला है, वहीं इस पाक महीने में खर्च भी दोगुने-चैगुने बढ़ जाते हैं. मगर पाकिस्तान में रमजान की आहट के साथ ही महंगाई आसमान छूने लगी है.पाकिस्तान में रिकॉर्ड तोड़ महंगाई ने लोगों का जीना हराम कर दिया है. देश के अलग-अलग शहरों में महंगाई की मार से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

जैसे-जैसे पैसा अपना मूल्य खोता जा रहा है, घरेलू सामान पूरा नहीं हो पा रहा है. पाकिस्तान रूपये का स्तर भी नीचे चला जा रहा है.रमजान में सब्जियां, मसाले, तेल, घी, फलों की मांग कई गुना बढ़ जाती है. कीमत भी आसमान छूने लगती है, पर अभी रमजान आया भी नहीं है और ये सारे सामान आम आदमी की पकड़ से बाहर हो चुके हैं.महंगाई की मार से पर्यटन क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित है.दाम बढ़ने से स्वात के होटल मालिक भी परेशान हैं. उनका कहना है कि महंगाई के कारण पर्यटकों का आना बंद हो गया है.

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ब्याज दर तीन प्रतिशत बढ़ाने से कर्जदार हलकान

उधर पाकिस्तानी सरकार के एक फैसले ने जनता को हिलाकर रख दिया है.पाकिस्तान के तटीय शहर कराची की रहने वाली सारा कहती हैं कि देश में महंगाई की हालिया लहर में जीवन की जरूरतें सीमित हो गई हैं. अब एक नया तूफान खड़ा हो गया.उन्होंने कहा कि चार साल पहले लिए गए कर्ज को चुकाना मुश्किल होता जा रहा है.

आर्थिक तंगी के चलते मैंने एक निजी बैंक से पांच लाख रुपये का कर्ज लिया था. उसे नियमित रूप से हर महीने चुका रही थी, लेकिन पिछले डेढ़ साल से हर महीने दो महीने के बाद ब्याज दर और मासिक देय ऋण की राशि में वृद्धि हुई है.अब समझ नहीं आता कि बाकी 85,000 कितना देना होगा और कैसे देंगे? एक सिंगल पैरेंट के तौर पर घर का किराया, तीन बच्चों की पढ़ाई और खाने समेत अन्य खर्च की जिम्मेदारी कैसे पूरी होगी? मैं इसको लेकर चिंतित हूं.

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने गुरुवार को एक आपात बैठक के बाद ब्याज दरों में जल्द बढ़ोतरी की घोषणा की है.केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है.केंद्रीय बैंक की ओर से जारी मौद्रिक नीति की घोषणा के मुताबिक ब्याज दर में तीन फीसदी की बढ़ोतरी की गई है.

इस तीन प्रतिशत की वृद्धि के साथ, ब्याज दर देश के इतिहास में उच्चतम स्तर 20 प्रतिशत पर पहुंच गई है.स्टेट बैंक ने आगे कहा कि ब्याज दर बढ़ाने का मकसद बढ़ती महंगाई और वित्तीय स्थिरता को खतरे से बचाना है. इसके अलावा, नए प्रवाह में देरी हो रही है, जिससे भंडार पर दबाव पड़ रहा है.याद रहे कि तय कार्यक्रम के मुताबिक यह बैठक इसी महीने के मध्य में होनी थी.बैंक दौलत पाकिस्तान ने पिछले 17 महीनों में अब तक ब्याज दर में 13 फीसदी की बढ़ोतरी की है.

आर्थिक मामलों पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक हारिस जमीर ने कहा कि इस नई बढ़ोतरी के बाद कर्जदारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. बैंक के साथ हुए समझौते के तहत कर्जदारों के पास छह महीने के लिए एक निश्चित दर होती है. इस लिहाज से अब हर कर्जदार को अतिरिक्त रकम चुकानी होगी.

सारा भी इस बात की पुष्टि करती हैं. उन्होंने कहा कि चार साल पहले 15 हजार रुपये मासिक किस्त देनी पड़ती थी. अब यह 17 हजार रुपये से अधिक हो गई है.5 लाख रुपए के कर्ज के लिए अब तक 8 लाख रुपए से अधिक का भुगतान किया जा चुका है. अब प्रत्येक ब्याज दर के साथ, चुकौती राशि बढ़ जाती है. महंगाई में बेतहाशा वृद्धि के साथ किश्तों का भुगतान और भी मुश्किल हो गया है.

हारिस जमीर ने कहा कि देश में कार फाइनेंसिंग पहले ही मुश्किल के चलते कम हो गई थी. अब यह और ज्यादा प्रभावित होगी. इसके अलावा घर खरीदने या बनाने के लिए कर्ज लेने वाले भी अब सोचेंगे. यह सरकार के लिए भी हानिकारक है. सरकार कर्ज पर चलती है और कर्ज के लिए अब ज्यादा कीमत चुकानी होगी.

ज्यादातर कंपनियां बैंकों से कर्ज लेकर काम करती हैं. अब 20 प्रतिशत केंद्रीय बैंक को देना होता है और उससे अधिक पांच से छह प्रतिशत देना होता है. इस तरह 1 लाख का कर्ज 1 लाख 25 हजार के हिसाब से चुकाना होगा और कोई भी कंपनी यह बोझ अपने ऊपर नहीं लेगी. अंततः यह पैसा महंगाई की स्थिति में ही जनता से वसूला जाएगा.

ब्याज दर और डॉलर के मूल्य में वृद्धि के कारण देश में उत्पादित प्रत्येक वस्तु की कीमत में वृद्धि होगी. विशेष रूप से खाद्य कीमतें प्रभावित होंगी. देश में कृषि क्षेत्र हाल की बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. फसल खराब होने के कारण देश की जरूरत का अधिकांश सामान दूसरे देशों से आयात किया जा रहा है.

ब्याज दरों में वृद्धि पर क्या कहते हैं व्यापार संघ

फेडरेशन ऑफ चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ पाकिस्तान के अध्यक्ष और नीति सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद यूनिस डागा इरफान इकबाल शेख ने बताया कि स्टेट बैंक के गवर्नर जमील अहमद को पत्र के जरिए उन्होंने पहले ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की जानकारी दे दी है. नीतिगत दर में और वृद्धि के गंभीर नकारात्मक प्रभावों की जानकारी दी है. कारोबारी समुदाय किसी और बढ़ोतरी को खारिज करता है.

कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष मुहम्मद तारिक यूसुफ ने कहा कि स्टेट बैंक की नीतिगत दर में 300 अंकों की वृद्धि की घोषणा बिल्कुल अस्वीकार्य है, जो उधार लेने को हतोत्साहित करेगी.
व्यवसाय वर्तमान स्थिति में 25 प्रतिशत लाभ कमाने की स्थिति में भी नहीं हैं, इसलिए इतनी अधिक दर पर ऋण कौन लेगा? यह कदम औद्योगीकरण को हतोत्साहित करेगा जबकि मुद्रास्फीति को बढ़ाएगा और अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर समस्याएं पैदा करेगा.

उन्होंने कहा कि आईएमएफ की शर्त है कि डॉलर के मूल्य को अफगान सीमा की दर के बराबर लाया जाए और बढ़ती ब्याज दर और डॉलर का मूल्य ताबूत में आखिरी कील होगा. कोरंगी एसोसिएशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष फराजुर रहमान ने भी स्टेट बैंक से ब्याज दर 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने और इंटरबैंक में डॉलर बढ़ाने को कहा है.