Women’s Day Special : शादी के बाद पति ने साथ दिया तो पत्नी बनी वैज्ञानिक, अर्शीनाज का इसरो में चयन
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, सागर
मध्य प्रदेश के सागर जिले के तिलकगंज में रहने वाले कुरैशी परिवार की बहू अर्शीनाज का चयन इसरो जूनियर रिसर्च फेलो के रूप में हुआ है. दमोह जिले के लोग भी उनकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं. अर्शी नाज दमोह की बेटी हैं.
पति की इच्छा पूरी करने वैज्ञानिक बनी पत्नी अपने पति की मदद से पहले ही प्रयास में सफलता हासिल करने में कामयाब रहीं. अर्शी नाम की इस महिला का चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में जूनियर रिसर्च फेलो के तौर पर हुआ है.
मध्य प्रदेश के सागर जिले के तिलकगंज में रहने वाले कुरैशी परिवार की बहू अर्शीनाज को इसरो जूनियर रिसर्च फेलो के रूप में चुना गया है. दमोह शहर की बेटी अर्शी नाज तीन बहनों और एक भाई में दूसरे नंबर की हैं. अर्शी ने कुंबा समेत दो जिलों का नाम रोशन किया है.
अर्शी जब 10वीं क्लास में थीं, तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. मां खुर्शीदा बेगम ने काम किया और अपने बच्चों को बेहतरीन तरीके से पाला. शेख अंजुम कुरैशी के दुनिया से चले जाने के बाद खुर्शीदा बेगम ने अपने बच्चों को पूरे संकल्प और साहस के साथ पाला.
अर्शी ने 2016 में सागर में पेशे से तकनीकी अधिकारी और एनआईटी कुरुक्षेत्र में एक शोध लेखक डॉ असदुल्लाह कुरैशी से शादी की थी. शादी के बाद असद ने सबसे पहले अर्शी को एमटेक में दाखिला दिलाया और अर्शी ने अपनी डिग्री भी पूरी की. अर्शी ने अपने अथक संघर्ष से जेआरएफ जैसी कठिन परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर लिया.
दुनिया को अर्शी के बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है ताकि आप अपने घरों की बेटियों और बहुओं को सपोर्ट करें. उनके सपनों को साकार करने में उनकी मदद करें. नौकरी सिर्फ पैसों के लिए नहीं होती. इससे आत्मविश्वास भी आता है.
अर्शी को पहले उसकी मां ने सहारा दिया. फिर उसके पति ने. फिर असद के पिता और अर्शी के ससुर ने भी उसे बहू नहीं बल्कि बेटी माना और शादी के बाद बहू की बात मान ली. फिर एमटेक में दाखिला लिया.