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जश्न-ए-रेख्ता की तरह पाकिस्तान में विश्व उर्दू सम्मेलन, देखने को मिल रही संस्कृति और साहित्य की झलक

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

राजधानी के नेशनल स्टेडियन में शुक्रवार की शाम शुरू हुई उर्दू अदब की महफिल जश्न-ए-रेख्ता की तरह ही पाकिस्तान में भी विश्व उर्दू सम्मेलन चल रहा है. पाकिस्तान के इस 15वें विश्व उर्दू सम्मेलन के दूसरे दिन ज्ञान, साहित्य, संस्कृति और कला के विभिन्न आयामों की झलक देखने को मिली.

जश्न-ए-रेख्ता में भी यही सब कुछ होता है. इसके सात वें संस्करण में 200 से ज्यादा इल्म-ओ-अदब के हुनरमंद शरीक होंगे और तीन दिन तक चलने वाले इस उर्दू साहित्य उत्सव में 60 सेशन आयोजित किए जांएगे.

पाकिस्तान के विश्व उर्दू सम्मेलन में भी यही सब कुछ चल रहा है. उर्दू जरूरी है या गैरजरूरी, 21वीं सदी के उपन्यास, किंवदंतियां, कहानियां, पुराने लेखकों की यादें, क्षेत्रीय भाषाओं की समीक्षा, सभ्यता और साहित्य की महक पन्द्रहवें विश्व उर्दू सम्मेलन में दूसरे दिन देखने को मिली. हालांकि जश्न-ए-रेख्ता के मौके पर पटकथ लेखक जावेद अख्तर के ने कहा कि उर्दू सिर्फ हिंदुस्तान में बोली जाती है. यह हिंदुस्तानी जुबान है. पाकिस्तान में केवल वे लोग उर्दू बोलते हैं जो देश बटवारा के समय 75 साल पहले वहां जाकर बस गए थे.

बहरहाल, पाकिस्तान के उर्दू सम्मेलन में चार किताबों का विमोचन हुआ. इसके अलावा कवि खुश नवा अमजद इस्लाम अमजद ने पीरजादा कासिम रजा सिद्दीकी के साथ बैठकर श्रोताओं के दिलों तक कविताएं पहुंचाईं.

उर्दू शायरी के इफ्तिखार आरिफ ने कहा कि साहित्यिक गतिविधियों में युवाओं की रुचि सुखद बदलाव है. जश्न-ए-रेख्ता के उद्घाटन के मौके पर उत्साही युवाओं की भीड़ देखकर यही बात जावेद अख्तर ने भी कही थी.

वरिष्ठ पत्रकार महमूद शाम, सोहेल वराइच, मजहर अब्बास ने दो सदियों की उर्दू पत्रकारिता का विहंगावलोकन प्रस्तुत किया और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पटल पर बदलते पत्रकारिता मूल्यों पर सार्थक चर्चा हुई.

कलायत जालिब के उद्घाटन समारोह में अनवर मकसूद, किशोर नाहिद, करामत अली ने क्रांतिकारी शायर ताहिरा हबीब जालिब के साथ बिताए पलों को याद करते हुए कविता सुनाई.

दूसरे दिन का समापन मुशायरे से हुआ, जब अब्बास ताबिश, वासी शाह, उमैर नजमी, अली जेरोन और मुमताज शायरा ने रोमांटिक और प्रतिरोध कविताएं पढ़ीं. तब कला परिषद का माहौल तालियों से गूंज उठा. जश्न-ए-रेख्ता के दूसरे दिन से गजलों, कव्वालियों का दौर शुरू हो रहा है.