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WorldSparrowDay : पैगंबर मुहम्मद (SA) से एक परिंदे की क्या थी फरियाद ?

गुलरूख जहीन

इस्लाम के आखिरी पैगंबर, हज़रत मुहम्मद (SA), पूरी मानवता और सभी जीव-जंतुओं के लिए दया और करुणा के प्रतीक थे। उन्होंने न केवल इंसानों के प्रति प्रेम और सहानुभूति दिखाई, बल्कि पशु-पक्षियों के साथ भी अत्यधिक विनम्रता और दयालुता बरती। इस लेख में हम एक ऐसी प्रेरणादायक घटना के बारे में जानेंगे जिसमें पैगंबर (SA) ने एक पक्षी की शिकायत पर पूरी यात्रा रोक दी और उसके अंडों को वापस दिलवाया।


जब एक पक्षी ने पैगंबर (SA) से फरियाद की

एक बार पैगंबर मुहम्मद (SA) अपने साथियों के साथ एक लंबी यात्रा पर निकले। गर्म रेगिस्तानी इलाकों में यात्रा करना मुश्किल होता था, लेकिन इस्लाम की शिक्षा को फैलाने और लोगों को नेक राह दिखाने के लिए पैगंबर (SA) ने हमेशा कठिन रास्तों को चुना।

यात्रा के दौरान, अचानक एक पक्षी पैगंबर (SA) के पास उड़ता हुआ आया। वह बहुत परेशान दिख रहा था और बार-बार अपने पंख फड़फड़ाकर पैगंबर (SA) के सिर के चारों ओर चक्कर काट रहा था।

पैगंबर (SA) ने उस पक्षी की हालत देखकर समझ लिया कि वह किसी परेशानी में है। फिर अल्लाह की कृपा से पक्षी ने पैगंबर (SA) से इंसानी भाषा में अपनी समस्या साझा की:

“ऐ अल्लाह के नबी! मेरे घोंसले से किसी ने मेरे अंडे चुरा लिए हैं। मेरे छोटे-छोटे अंडे अब मेरे पास नहीं हैं।”


पैगंबर (SA) की करुणा और न्यायप्रियता

पक्षी की शिकायत सुनकर पैगंबर मुहम्मद (SA) ने बिना देर किए पूरे कारवां को रोकने का आदेश दिया। उनके साथ यात्रा कर रहे ऊंट, घोड़े और यात्री सभी एक साथ रुक गए।

इसके बाद पैगंबर (SA) ने अपने साथियों से पूछा:

“तुममें से किसने इस पक्षी के घोंसले से अंडे लिए हैं?”

सभी साथी चुप रहे और एक-दूसरे की ओर देखने लगे। फिर एक साथी ने साहस दिखाते हुए कबूल किया:

“ऐ अल्लाह के रसूल! मैंने उसके अंडे लिए हैं।”

इस पर पैगंबर (SA) ने बहुत ही विनम्रता से फरमाया:

“तुम्हें चाहिए कि तुम उसके अंडे वापस कर दो। यह पक्षी भी अल्लाह की सृष्टि का हिस्सा है और इसे भी अपने अंडों पर अधिकार है।”

साथी ने तुरंत घोंसले के पास जाकर पक्षी के अंडे लौटा दिए। जैसे ही पक्षी को उसके अंडे वापस मिले, उसने खुशी से अपने पंख फैलाए और पैगंबर (SA) के इर्द-गिर्द घूमकर अपनी कृतज्ञता प्रकट की।


इस कहानी से मिलने वाले अहम सबक

यह घटना हमें कई महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों की सीख देती है, जिनका पालन करके हम अपने समाज को बेहतर बना सकते हैं:

  1. किसी की वस्तु न चुराएँ – यह घटना हमें सिखाती है कि हमें कभी भी किसी की चीज़ें नहीं लेनी चाहिए, चाहे वह इंसान हो या कोई पशु-पक्षी। हक और इंसाफ़ का पालन करना चाहिए।
  2. ईमानदारी और स्वीकारोक्ति – जब कोई गलती हो जाए, तो हमें उसे छिपाने के बजाय ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए। पैगंबर (SA) के साथी ने तुरंत अपनी गलती कबूली और उसे सही किया।
  3. जानवरों के प्रति दया – इस घटना से यह भी साबित होता है कि इस्लाम न केवल इंसानों के साथ बल्कि पशु-पक्षियों के साथ भी अच्छा व्यवहार करने की शिक्षा देता है।
  4. पैगंबर (SA) की दयालुता – पैगंबर मुहम्मद (SA) केवल इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी सृष्टि के लिए रहमत बनकर आए थे। उनका यह व्यवहार दर्शाता है कि हमें हर जीव के प्रति करुणा रखनी चाहिए।
  5. अल्लाह की शक्ति – यह घटना हमें याद दिलाती है कि अल्लाह सर्वशक्तिमान है। उसने अपने नबी (SA) को यह शक्ति दी कि वे पक्षियों की भाषा समझ सकें।

पैगंबर (SA) का पशु-पक्षियों के प्रति व्यवहार

पैगंबर मुहम्मद (SA) ने अपने पूरे जीवन में जानवरों के साथ प्रेम और करुणा का व्यवहार किया। उनकी कई हदीसें हैं जो पशु-पक्षियों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके साथ अच्छा व्यवहार करने की सीख देती हैं।

1. भूखे जानवरों की देखभाल

एक बार पैगंबर (SA) ने देखा कि एक ऊंट कमजोर और भूखा है। उन्होंने तुरंत उसके मालिक को बुलाकर कहा कि वह उसे ठीक से खिलाए और उसके साथ अच्छा व्यवहार करे।

2. एक प्यासी कुतिया की मदद

एक अन्य प्रसिद्ध घटना में, पैगंबर (SA) ने बताया कि कैसे एक व्यक्ति को केवल इसलिए जन्नत मिल गई क्योंकि उसने एक प्यासी कुतिया को पानी पिलाया था।

3. जानवरों पर अत्याचार की सजा

पैगंबर (SA) ने यह भी कहा कि जो कोई भी जानवरों पर अत्याचार करता है, उसे अल्लाह की सज़ा मिलेगी।


हम अपने जीवन में इस सीख को कैसे लागू करें?

  • अगर हमारे पास पालतू जानवर हैं, तो हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए।
  • हमें सड़कों पर रहने वाले बेजुबान जानवरों को पानी और खाना देना चाहिए।
  • किसी भी पशु या पक्षी को बेवजह नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए।
  • हमें अपने बच्चों को भी जानवरों के प्रति दयालु बनने की शिक्षा देनी चाहिए।

काबिल ए गौर

पैगंबर मुहम्मद (SA) की यह घटना हमें सिखाती है कि इस्लाम केवल इबादत और धार्मिक नियमों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें हर जीव के प्रति दया और प्रेम का व्यवहार करने की सीख देता है। हमें पैगंबर (SA) के नक्शे-कदम पर चलते हुए हर जीव के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और अपने आसपास के जानवरों के प्रति दयालु बनना चाहिए।

क्या आपने कभी किसी घायल या भूखे पशु-पक्षी की मदद की है? क्या आप भी पैगंबर (SA) के बताए रास्ते पर चलकर दयालुता फैलाना चाहेंगे? हमें अपने विचार कमेंट में बताएं!

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