युवाओं ने थामी देशसेवा की राह: मनीगाम में 438 नए कांस्टेबलों की पासिंग आउट परेड, वर्दी में दिखा नए कश्मीर का आत्मविश्वास
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर/गंदेरबल
कश्मीर घाटी, जो दशकों तक आतंकवाद और अस्थिरता के साए में रही, अब बदलाव की राह पर चल पड़ी है। इसका सजीव प्रमाण शुक्रवार को मनीगाम स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में देखने को मिला, जहाँ जम्मू-कश्मीर पुलिस के 438 नवचयनित कांस्टेबलों ने बुनियादी प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद पासिंग आउट परेड में हिस्सा लिया। इस ऐतिहासिक मौके पर घाटी के युवाओं ने यह जता दिया कि उनका भविष्य अब किताबों, कर्तव्य और संविधान के साथ है – न कि बंदूक और हिंसा के रास्ते पर।
इस भव्य परेड में 86 महिलाएं भी शामिल थीं, जो इस बदलाव की एक नई तस्वीर पेश करती हैं। इनमें से 211 कांस्टेबल पहले “विशेष पुलिस अधिकारी” (SPO) के रूप में सेवाएं दे चुके थे, और अब नियमित पुलिस बल का हिस्सा बने हैं।

वर्दी में आंखों का गर्व, परिजनों की आंखों में आंसू
जब ये नवप्रशिक्षित जवान वर्दी में कदम ताल करते हुए मंच के सामने से गुजरे, तो दर्शकों में बैठे उनके परिजनों की आंखों से आंसू छलक आए – ये आंसू गर्व और भावनाओं से भरे हुए थे। दशकों से आतंकवाद के बीच पले-बढ़े इन युवाओं ने अब खुद को राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित कर दिया है।
“अब बंदूक नहीं, किताब है हथियार”: कश्मीर में सोच का बदलता मिजाज
कश्मीर के युवाओं में शिक्षा के प्रति रुझान कोई नया चलन नहीं, लेकिन हालिया वर्षों में यह रुझान संगठित और व्यावहारिक रूप में सामने आया है। जहां एक समय युवा सिर्फ अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते थे, अब वही युवा प्रतियोगी परीक्षाओं, सरकारी नौकरियों और सामाजिक जिम्मेदारी की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
इस परेड ने यह दिखा दिया कि कश्मीर में बदलाव की बयार सिर्फ शासन की योजनाओं से नहीं, बल्कि जनता खासकर युवाओं की सोच से बह रही है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दी सलामी और प्रेरणा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने परेड की सलामी ली और जवानों को संबोधित करते हुए कहा,
“यह सिर्फ प्रशिक्षण का समापन नहीं है, यह समर्पण, साहस और जिम्मेदारी के नए युग की शुरुआत है। आप जम्मू-कश्मीर की ताकत और भारत की उम्मीद हैं।”
उन्होंने कहा कि यह पुलिस बल लोगों की जान बचाने, आतंकवाद से लड़ने और समाज में शांति कायम रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
प्रशिक्षण में सीखे जीवन के मूल्य
इन जवानों ने मणिगाम के पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में कठोर प्रशिक्षण लिया, जिसमें शारीरिक अभ्यास, हथियार संचालन, आतंकी विरोधी तकनीकें और युद्ध जैसे हालात में मानसिक स्थिरता बनाए रखने का अभ्यास शामिल था। प्राचार्य श्री जुबैर अहमद खान ने प्रशिक्षण की रूपरेखा और विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी, और बताया कि कैसे ये रंगरूट अनुशासन, सेवा, साहस और आत्मबलिदान के मूल्यों को आत्मसात कर चुके हैं।
उत्सव का क्षण, जिम्मेदारी की शुरुआत
समारोह में उपस्थित विशिष्ट जनों में डीजीपी नलिन प्रभात, पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन एसजेएम गिलानी, एडीजीपी आनंद जैन, आईजीपी कश्मीर विधि कुमार बिरदी, डिविजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी और गंदेरबल के डिप्टी कमिश्नर जतिन किशोर शामिल थे।
इन सभी अधिकारियों ने अपने संबोधन में जवानों को बधाई देते हुए कहा कि आने वाले समय में यही युवा प्रदेश की शांति और सुरक्षा के स्तंभ बनेंगे।
जम्मू में बढ़ती आतंकी घटनाओं पर चिंता, पर उम्मीद कायम

जहां एक ओर कश्मीर में शांति और प्रगति की ओर बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं, वहीं उपराज्यपाल ने जम्मू संभाग में हाल में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों पर चिंता भी व्यक्त की। उन्होंने दोहराया कि सरकार दोनों ही क्षेत्रों – जम्मू और कश्मीर – को आतंकवाद मुक्त बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
निष्कर्ष:
मणिगाम की यह पासिंग आउट परेड सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि एक संदेश था – कि कश्मीर बदल रहा है। एक ओर जहां वर्दी में खड़े युवा गर्व से मुस्कुरा रहे थे, वहीं दूसरी ओर उनके माता-पिता की आंखें यह कह रही थीं – “अब हमारा बच्चा देश की सेवा करेगा, और कश्मीर का भविष्य उज्ज्वल होगा।”