Yousaf Raza Gilani आदर्श कवि, महान विपक्षी नेता
हामिद मीर
यूसुफ रजा गिलानी अच्छे व्यक्ति हैं’ 1985 में, जनरल जिया-उल-हक ने गैर-पक्षपातपूर्ण चुनावों के माध्यम से पाकिस्तानी राजनीति में कई बीमारियों की शुरुआत की थी. इन गैर-पक्षपातपूर्ण चुनावों में, यूसुफ रजा गिलानी नेशनल असेंबली के सदस्य बने और नवाज शरीफ पंजाब विधानसभा के सदस्य. बाद में, प्रधानमंत्री मुहम्मद खान जुनेजो ने यूसुफ रजा गिलानी को केंद्रीय मंत्री बनाया. जनरल जिया-उल-हक ने नवाज शरीफ को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया.
जनरल जिया की अगुवाई में बनी थी मुस्लिम लीग.गिलानी और जिया का इसमें अलग स्थान था. 1988 के चुनावों से पहले, गिलानी पीपीपी में शामिल हो गए. जब पार्टी के टिकट तय किए जा रहे थे, पीपीपी मुल्तान जिला अध्यक्ष अल्ताफ खोखर ने यूसुफ रजा गिलानी के बजाय रियाज कुरैशी को टिकट देने की सिफारिश की, लेकिन फैसला गिलानी के पक्ष में गया. चुनाव में, नवाज शरीफ भी गिलानी के खिलाफ कूदे, लेकिन मुल्तान में उन्हें यूसुफ रजा गिलानी ने हरा दिया. जब मोहतरमा बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री बनीं, उन्होंने गिलानी को उनके अनुरोध पर वही मंत्रालय दिए, जो जनरल जिया के कार्यकाल में था। पंजाब में नवाज शरीफ फिर से मुख्यमंत्री बने. मोहतरमा बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ के बीच भयंकर टकराव हुआ. यह कोई रहस्य नहीं कि नवाज शरीफ को कुछ शक्तिशाली संस्थाओं का समर्थन था, लेकिन गिलानी के चमत्कार को देखें कि वह केंद्र और पंजाब में सामंजस्य बनाने के लिए नवाज शरीफ के पास पहुंचे गए. यह वह समय था जब केंद्र सरकार शरीफ परिवार के व्यवसाय को नष्ट करने पर आमादा थी. पंजाब सरकार ‘‘जग पंजाबी जग‘‘ का नारा लगा रही थी.
नवाज शरीफ केंद्र सरकार के साथ सुलह के लिए तैयार थे, लेकिन वह पार्टियों के बीच एक गारंटर की तलाश कर रहे थे. उन दिनों में, राष्ट्रपति बहुत शक्तिशाली था. गुस्से में विधानसभाओं को भंग कर दिया. नवाज शरीफ ने तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान को विश्वसनीय गारंटर नहीं माना, इसलिए उन्होंने यूसुफ रजा गिलानी को अपना गारंटर बनाया.केवल शर्त यह थी कि यदि प्रधानमंत्री ने पंजाब सरकार के साथ अपना वादा फिर से तोड़ दिया, तो गिलानी को पीपीपी छोड़ना होगा.
जब मोहतरमा बेनजीर भुट्टो को पता चला कि नवाज शरीफ ने यूसुफ रजा गिलानी को अपना गारंटर बनाया है, तो वह चैंक गईं.जब भी गिलानी ने अपनी उपलब्धियों से उन्हें
आश्चर्यचकित किया, वह बड़ी मासूमियत से पूछती थीं
कि यह कैसे हुआ. विवरण में जाने के बजाय, गिलानी ने कुछ कविताएं पढ़ीं. वह अच्छे कवि हैं. मोहतरमा गिलानी समझने लगीं थीं कि उनके पास न केवल आध्यात्मिक शक्ति ह. वे अच्छे कवि भी है. गिलानी की एक और उपलब्धि यह थी कि प्रधानमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री के गारंटर बनने के बाद भी दोनों के बीच चीजें ठीक नहीं हुईं.न तो गिलानी ने पीपीपी छोड़ा, न ही नवाज शरीफ ने शक्तिशाली संस्थानों के साथ साजिश रची और आखिरकार राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने बेनजीर भुट्टो की सरकार को बर्खास्त कर दिया.
1990 में नवाज शरीफ प्रधानमंत्री बने. 1993 में, गुलाम इशाक खान ने उन्हें चलता किया और नए चुनावों में, बेनजीर भुट्टो फिर से प्रधानमंत्री बनीं.
इस बार उन्होंने यूसुफ रजा गिलानी को नेशनल असेंबली का स्पीकर बनाया. एक दिन प्रधानमंत्री ने शेख जैन बिन सुल्तान अल नाहयान के सम्मान में एक लंच दिया. प्रधानमंत्री अतिथि के दाईं ओर और गिलानी बाईं ओर बैठे थे.
प्रधानमंत्री ने गर्व से शेख जायद से कहा कि मेरे अध्यक्ष एक बड़े आध्यात्मिक परिवार से हैं. वे एक बहुत अच्छे कवि भी है. शेख जायेद ने तुरंत पूछा, ‘‘आप कविता अंग्रेजी में लिखते हैं या उर्दू में?‘‘ गिलानी ने उत्तर दिया, ‘‘मैं दोनों भाषाओं में कविता लिखता हूँ.‘‘
शेख जायद ने पूछा, ‘‘क्या आप रोमांटिक कविता लिखते हैं?‘‘ गिलानी ने जवाब में कहा नहीं. शेख जायद ने उन्हें कविता पाठ करने को कहा. उन्होंने वैसा ही किया.
सवाल यह था कि इस कविता का अनुवाद कौन करेगा? इस कविता का अनुवाद आसिफ अली जरदारी ने किया. शेख साहब ने जो समझा, उसे जानकर उन्होंने कहा, “मिस्टर स्पीकर! आपकी कविता में बहुत घमंड है. ” प्रधानमंत्री ने स्थिति की नाजुकता को भांप लिया था और विषय को बदल दिया था.
इस कहानी का चरमोत्कर्ष यह है कि जब शेख जायद को हवाई अड्डे पर विदाई दी जा रही थी, तो उन्होंने गिलानी से कहा कि वह अपने दीवान भेजदें. गिलानी मुस्कुराए और इसे भेजने का वादा किया.
अतिथि के चले जाने के बाद, पंजाब के राज्यपाल चैधरी अल्ताफ हुसैन ने उन्हें सलाह दी कि वे बाजार से किसी का दीवान खरीदें, उस पर अपनी तस्वीर लगाएं और भेजें. यह ज्ञात नहीं है कि गिलानी ने इस सलाह का पालन किया या नहीं. मैंने इस घटना को नहीं सुनाया, क्योंकि यह तुच्छ व्यक्ति उसे एक नकली कवि के रूप में चित्रित करना चाहता है. यह घटना उनके द्वारा अपनी पुस्तक ‘‘वॉयस फ्रॉम युसुफ‘‘ में लिखी गई थी. मैं सिर्फ उनकी उपलब्धियों का वर्णन कर रहा हूं.
एक बार जब नवाज शरीफ ने उन्हें अपना गारंटर बनाया था तो वह नवाज शरीफ थे जिन्होंने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जरिए अयोग्य ठहराया था. कुछ साल बीत गए और 3 मार्च, 2021 को नवाज शरीफ के समर्थन से वही गिलानी सीनेटर बन गए. नवाज शरीफ ने अपनी सभी गलतियों का प्रायश्चित करने की कोशिश की, लेकिन गिलानी ने सीनेट में विपक्ष के नेता बनने में रुचि खो दी. राजा परवेज अशरफ ने पीएमएल-एन से वादा किया था कि अगर गिलानी पीडीएम के उम्मीदवार हैं, तो विपक्षी नेता पीएमएल-एन से होंगे. गिलानी अपनी पार्टी की गलती के कारण सीनेट का चुनाव नहीं जीत सके.
लेखक पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हैं