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केरल में तैयार हो रहा मुसलमानों का विशेष दस्ता, एक हाथ में होगा कुरान और दूसरे में कानून की किताब

ब्यूरो रिपोर्ट।
हिंदुत्वादियों की आंखों की किरकिरी केरल के कालीकट में मुस्लिम युवाओं का एक ऐसा दस्ता तैयार हो रहा है, जिनके एक हाथ में होगा कुरान और दूसरे हाथ में कानून की किताबें। ऐसे ही पचीस युवाओं के एक दस्ते ने कानून और आलिम की सनद लेकर व्यवहारिक जीवन में कदम रखा है।


  देश में ऐसे मुस्लिम युवाओं का दस्ता तैयार करने का बीड़ा उठाया है कालीकट की इस्लामी यूनिवर्सिटी जामिया मर्कजु सकाफती सुन्निया ने। करीब 42 वर्ष पहले एक मामूली इस्लामी अध्ययन केंद्र के तौर पर स्थापित यह शैक्षणिक संस्थान आज दक्षिण एशिया का प्रमुख इस्लामी संस्थान बन गया है। यहां फिल्हाल 45,000 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनमें 5,000 बच्चे निराश्रित, अनाथ हैं, जिनके रहने, खाने और शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी यहां के प्रबंधन की है। ये बच्चे कश्मीर सहित देश के विभिन्न प्रांतों के हैं। संस्थान की मंशा में में शामिल है अनाथ, निराश्रित और वंचिता बच्चों को उच्च शिक्षा देना और महिलाओं को सशक्त बनाना।
 दरअसल, जामिया मर्कज इस्लामी और आधुनिक शिक्षा का एक ऐसा संगम है जहां मुस्लिम युवाओं को वैश्विक स्तर की कानून, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान आदि के साथ इस्लामी तालीम दी जाती है। मर्कज की बुलियाद पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्ले. के चरित्र व चिंतन पर आधारित है। इसलिए यहां के छात्रों की यूनिफार्म भी अन्य शिक्षण संस्थानों से एक दम भिन्न है। यह शैक्षणिक संस्थान कट्टरवाद, उग्रवाद और सांप्रदायिकता का घोर विरोधी है, इसलिए पूरे साल गोष्ठी और सेमिनारों के माध्यम से इसके प्रति लोगों को जागरूक करता रहता है।


  जामिया मकर्ज के संस्थापकों मंें एक तथा चांसलर शेख अबूबक्र अहमद बताते हैं कि यहां के पाठयक्रम में इस्लामी और अधुनिक शिक्षा का सफल संयोजन है, इसलिए यहां से पास आउट छात्र न केवल किसी खास विषय मंे पारंगत होते हैं, इस्लामी अध्ययन पर भी उनकी पूरी पकड़ होती है। इस संस्थान से पहली बार 25 ऐसे आलिम पास होकर निकले हैं, जिनके पास आला दर्जे की कानून डिग्री है। इस समय यहां से कानून की डिग्री लेकर निकले 11 वकील करेल हाई कोर्ट में प्रैक्टिस भी कर रहे हैं। संस्थान और पास आउट वकीलों के बारे में इस रिपोर्टर ने यहां के मीडिया प्रभारी लुकमान सकाफी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, पर बात नहीं हो पाई।


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