Education

बदलते BHARAT के मुस्लिम बच्चों की बदलती तस्वीर

दंगाई घर में घुस आए। लूट-पाट की। सामानों में आग लगाई। परिवार के लोग किसी तरह जान बचाकर भागे। तब से जिंदगी परेशानी में गुजर रही है। इसके बावजूद नरगिस नसरीन ने सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में कामयाबी के झंडे गाडे़

देश की मुस्लिम युवा पीढ़ी बदल रही है। इस बार के बोर्ड रिजल्ट्स ने इसका एहसास शिद्दत से कराया। दस वीं एवं बारह वीं के बोर्ड इम्तीहान पास करने वाले कई मुस्लिम बच्चों की हैरान करने वाली कहानियां सामने आई हैं। पहले विरले देखने-सुनने को मिलता था कि दंगे में सारा सामान जल गया। पूरा परिवार दर-ब-दर की ठोकरें खा रहा है। न रहने का ठिकाना। न खाने का। फिर भी परिवार का कोई बच्चा बोर्ड परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर गया। इसी तरह जिंदगी फुटपाथ पर कट रही हो। न पढ़ने का माकूल सामान, न ट्यूशन और न ही जिंदगी की पटरी पर लेकर दौड़ने वाली बुनियादी वस्तुएं। फिर बच्चे ने बोर्ड एक्जाम में झंडे गाड़ दिए।
  बहरहाल, इस बार ऐसे बच्चों की लिस्ट लंबी है। फिल्हाल दो ऐसे बच्चों का यहां जिक्र किया जा रहा है। इस कड़ी में पहला नाम है आसमा सलीम शेख का। यह अपने पिता सलीम शेख के साथ मुंबई महानगर पालिका मुख्यालय के सामने वाली सड़क महापालिका मार्ग की फुटपाथ पर रहती हैं। इसे एक झुग्गी भी मुयस्सर नहीं। न ही शरीर पर ढंग के कपड़े। पैरों में चप्पलें भी नहीं। सामान के नाम पर बस इतना जिससे रोटी खाई जा सके और रात को तन पर रखकर सोया जा सके। ऐसे में आसमा सलीम शेख के पास पढ़ाई के लिए जरूरी सामान, ट्यूशन वगैरह की सुविधाओं की बात तो छोड़ ही दीजिए। उसने पूरी पढ़ाई रात में सड़कों पर सन्नाटा होने के बाद स्ट्रीट लाइट में की। बावजूद इसके वह 40 फीसदी अंकों के साथ महाराष्ट्र बोर्ड की दस वीं की परीक्षा पास कर गई। रिजल्ट 29 जुलाई को आया। तब से मीडिया वाले उसके पीछे पड़े हैं। आसमा को और अधिक नंबर की उम्मीद थी। बावजूद इसके वह और उसके पिता इतने से ही संतुष्ट हैं। पिता फुटपाथ पर नींबी पानी बेचते हैं। लॉकडाउन की वजह से पिछले पांच महीने से काम बंद है। आर्थिक तंगी ने घेर रखा है। सलीम शेख खुद पहली से आगे नहीं पढ़ पाए। मगर आसमा बुलंद हौंसले से कहती है कि बारह वीं में और बेहतर करेगी।


  अब मिलिए दिल्ली खजूरी खास की नरगिस नसरीन से। दिल्ली दंगे में घर का सारा सामान खाक हो गया। नरगिस की एक-एक किताब और कॉपी भी। दंगे के रोज दंगाई उसके घर में घुस आए। लूट-पाट की और पेट्रोल बम फेंक गए। घर के निचले हिस्से से आग की लपटें उठने पर सारे लोग भाग कर छत्त पर आए। मगर आस-पास की छतों से उनपर पत्थर बरसाने पर किसी तरह दूसरी छत्त पर कूद कर जान बचाई। घर में जो था सब राख हो गया। नरगिस की मां कहती हैं कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए कुछ जेवर जोड़कर रखे थे। दंगाई उसे भी लूट ले गए। ऐसे भागम-भाग में नरगिस नसरीन ने सीबीएसई की बारह वीं की परीक्षा 62 प्रतिशत अंकों के साथ पास की है। वह फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती है। अपने मां-बाप की शुक्रगुजार है कि उन्होंने हंगामी माहौल में भी उसके लिए पढ़ाई का रास्ता निकाला। अंत में मुंबई मालेगांव के उर्दू स्कूल के चपड़ासी की पुत्री का जिक्र जिसने एसएससी बोर्ड परीक्षा में संस्कृत विषय में 96 प्रतिशत सहित 89 प्रतिशत अंकों से कामयाबी के झंडे गाड़े हैं।

पाठकों सेः यदि आपके आस-पास भी विपरीत परिस्थितियों में बोर्ड इम्तीहानों में अच्छा करने वाले बच्चे हैं तो उनकी कहानी हममें लिख भेजिए अथवा उनका संपर्क नंबर दीजिए। ताकि उन्हें यहां छापकर दूसरे बच्चों को प्रेरित किया जा सके।
शुक्रिया

नोटः वेबसाइट आपकी आवाज है। विकसित व विस्तार देने तथा आवाज की बुलंदी के लिए आर्थिक सहयोग दें। इससे संबंधित विवरण उपर में ‘मेन्यू’ के ’डोनेशन’ बटन पर क्लिक करते ही दिखने लगेगा।
संपादक