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भारत-यूएई संबंधों में रक्षा और ऊर्जा सहयोग के नए युग की शुरुआत

मुस्लिम नाउ ब्यूूरो, नई दिल्ली

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच द्विपक्षीय और व्यापारिक संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ गया है. अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की भारत यात्रा के दौरान कई अहम समझौते हुए हैं. खासकर, दोनों देश परमाणु ऊर्जा और पेट्रोलियम के क्षेत्रों में अपने सहयोग को और मजबूती देंगे.

भारत के न्यूक्लियर पावर कोऑपरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और एमिरेट्स न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी (ईएनईसी) के बीच यूएई में स्थित बराक परमाणु संयंत्र के रखरखाव को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. इसके अलावा, एलएनजी की आपूर्ति के लिए इंडियन ऑयल और अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के बीच भी एक समझौता हुआ. भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इन समझौतों से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे.

भारत और यूएई के बीच बढ़ता व्यापारिक सहयोग

हाल के वर्षों में भारत और यूएई के संबंधों ने नई ऊंचाइयां छुई हैं. 2022-23 में दोनों देशों के बीच व्यापार 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इसके अलावा, यूएई भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने वाले शीर्ष चार देशों में शामिल है. यूएई में करीब 35 लाख भारतीय रहते हैं, जो इन संबंधों को और मजबूत बनाते हैं.

शेख खालिद की इस यात्रा के दौरान फूड पार्क समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी समझौते हुए. दिल्ली आगमन पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने उनका स्वागत किया. उनके सम्मान में भारत सरकार की ओर से विशेष सरकारी सम्मान भी दिया गया.

राष्ट्रपति भवन में हुई मुलाकात

भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में शेख खालिद का स्वागत किया और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक साझेदारी की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत और यूएई के बीच लोगों से लोगों का जुड़ाव इस रिश्ते की नींव है. यूएई में 3.5 लाख से अधिक भारतीय रहते हैं और वहां के नेतृत्व ने भारतीय नागरिकों के कल्याण के लिए विशेष ध्यान दिया है.

सैन्य और सामरिक सहयोग

भारत और यूएई के बीच रक्षा और सामरिक सहयोग में भी तेजी देखी गई है. दोनों देशों के बीच जनवरी 2024 में राजस्थान में पहला द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास ‘सहारा साइक्लोन’ आयोजित हुआ. इसके अलावा, यूएई ने भारत के समर्थन से 2023 में एससीओ और ब्रिक्स जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी भागीदारी की.

यह यात्रा भारत-यूएई संबंधों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षेत्रों में नए रास्ते खुलेंगे।