Muslim World

मुसलमानों ने Golden Temple के लिए दान किया 330 क्विंटल गेहूं, नफरतियों को लगी मिर्ची

ब्यूरो रिपोर्ट।
नफरत की खेती करने वाले हमेशा मुसलमानों की छवि बिगाड़ने में लगे रहते हैं। ऐसे ही लोग अब पंजाब के उन मुसलमानों के पीछे पड़ गए जिन्होंने हाल में अमृतसर के गोल्डन टेंपल के लंगर के लिए 330 क्विंटल गेहूं और डेढ़ लाख रूपये दान किए हैं। उन्हें शर्मिंदा करने के लिए क्या कुछ नहीं कहा जा रहा। कई तो इसमें साजिश ढूंढ रहे हैं। सवाल किया जा रहा है, ‘‘ आखिर मुस्लिमों एवं सिखों के बीच क्या खिचड़ी पक रही हैं ?’’
  आमतौर से सिखों के सबसे बड़े धर्मस्थल गोल्डन टेम्पल के दर्शनार्थियों के लिए चौबीस घंटे लंगर खुला रहता है। इसका संचालन गोल्डन टेम्पल कम्यूनिटी किचन ‘गुरू रामदास लंगर’ द्वारा किया किया जाता है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा तथा हैसियत के हिसाब से इसके लिए सहायता करते हैं। इस क्रम में अमृतसर जिले के मलेरकोटला के मुसलमानों ने ‘सिख-मुस्लिम सांझा मंच’ के बैनर तले 330 क्विंटल गेहूं गोल्डन टेम्पल को दान किया। इसके अलावा मुस्लिम परिवारों से एकत्रित डेढ़ लाख रूपये की धनराशि भी टेम्पल के मुख्य प्रबंधक मुख्तियार सिंह एवं अतिरिक्त प्रबंधक राजिंदर सिंह को भेंट की गई। मंच का प्रतिनिधित्व इसके अध्यक्ष नासिर अख्तर ने किया। इस अवसर पर उनके साथ मलेरकोटला के अनवर खान, साबिर खान, मोहम्मद इरफान, मोहम्मद लियाक़त, सादिक़ अली और मोहम्मद अनीस भी मौजूद थे। गोल्डन टेंपल की ओर से उन्हें लंगर चखाया गया तथा सरोपा भेंट कर सम्मानित किया गया।
 इस बारे में जानकारियां सामने आते ही वे लोग सक्रिय हो गए जो नहीं चाहते कि मुस्लिम-सिख भाईचारा बढ़े। इस वक्त ऐसे ही लोग लंगर चखते मुसलमानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर भद्दी एवं आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे हैं। केशव गर्ग ने दो काटूर्न पोस्ट किए हैं। एक में सीएए आंदोलन के दौरान सिखों द्वारा मुसलमानों को लंगर परोसते और दूसरे में आतंकवादियों द्वारा काबुल के गुरूद्वारे में गोलियां बरसाते दिखाया गया है। ‘वंदेभरत’ के ट्वीटर एकाउंट से लंगर के लिए अनाज भेंट करने वालों से पूछा गया है कि उनका पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के सिखों एवं हिंदुओं के बारे में क्या ख्याल है ? सोशल मीडिया पर ऐसे ही कई और बिना सिर-पैर के प्रश्न उठाए जा रहे हैं। सवाल है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं से पंजाब के मुसलमानों का क्या वास्ता ?


  हालांकि, देश-समाज में नफरत फैलाने वाले गिरोह को सोशल मीडिया पर करारा जवाब भी मिल रहा है।  ऐसे लोगों में शामिल दिग्विजय सिंह ने नफरतियों को जवाब देते हुए ट्वीट किया है-‘‘यही है भारत।’’ अशोक सिंह गर्चा ने याद दिलाया है कि गोल्डन टेम्पल की नींव एक मुसलमान सैन मियां ने रखी थी। देश बटवारे से पहले टेंपल के कीर्तन में मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल होते थे। राहिल हुसैन ने ट्वीटर किया है,‘‘ सिख और मुसलमान मानव सेवा के प्रतीक हैं।’’ कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन के दौरान यह नजरा हिंदुस्तान भर में देखने को मिला। मुसलमानों ने ईद न मनाकर इस त्योहार पर खर्च होने वाले तमाम पैसे निर्धनों की सेवा पर खर्च कर दिए। कहीं लंगर लगाया तो कहीं राशन बांटे। दूसरी तरफ देश वासियों का आपदा में साथ देने का ढिंढोरा पीटने वाला एक बहुप्रचारित संगठन लॉकडान की शुरूआत में तो सक्रिय नजर आया। फिर उसके लोग लापता हो गए।
ALSO READ

नोटः वेबसाइट आपकी आवाज है। विकसित व विस्तार देने तथा आवाज की बुलंदी के लिए आर्थिक सहयोग दें। इससे संबंधित विवरण उपर में ‘मेन्यू’ के ’डोनेशन’ बटन पर क्लिक करते ही दिखने लगेगा।
संपादक