अनुच्छेद 370 का मतलब क्या I What was Article 370 means for?
Table of Contents
मुस्लि नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
कश्मीर के एक वर्ग को भले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई तरह की खामियां लगे, पर केंद्र की मोदी सरकार के हक में फैसला आने के बाद एक अध्याय समाप्त हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करने के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार के निर्णय को बरकरार रखा है.
रहा सवाल कि अनुच्छेद 370 का मतलब क्या है और इसे हटाने को केंद्र की भारतीय जनता पार्टी क्यों अपनी उपलब्धि बता रही है? इस सवाल को जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि अनुच्छेद 370 का मतलब क्या है, जिसको हटाने को लेकर बीजेपी इतना कूद रही है?
अनुच्छेद 730 का मतलब अलग संविधान, अलग झंडा
तो चलिए समझते हैं कि अनुच्छेद 370 का मतलब क्या है , इसके लागू होने पर किसी प्रदेश को लाभ कैसे पहुंचता है ? एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के चलते जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था. यह प्रदेश भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित एक बड़ा क्षेत्र है जो भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच विवाद का विषय बना हुआ है. जम्मू और कश्मीर को 17 नवंबर 1952 से 31 अक्टूबर 2019 तक भारत सरकार द्वारा विशेष दर्जा दिया हुआ था. 2019 में केंद्र ने जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा छीन लिया. अनुच्छेद 370 के तहत विशेषाधिकार मिलने से इस सूबे को अलग संविधान, एक राज्य, एक ध्वज और आंतरिक प्रशासन की स्वायत्तता की शक्ति मिली हुई थी.
पाकिस्तान बोला, भारत का कश्मीर पर फैसला एकतरफा Pakistan said, India’s decision on Kashmir is one-sided
अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान के भाग में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान शीर्षक से तैयार किया गया था. इसमें कहा गया कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को यह सिफारिश करने का अधिकार होगा कि भारतीय संविधान राज्य पर किस हद तक लागू होगा. ऐसे में राज्य विधानसभा धारा 370 को पूरी तरह से निरस्त भी कर सकती है. ऐसा होने पर भारतीय संविधान की सभी धाराएं अपने आप जम्मू-कश्मीर पर भी प्रभावी हो जाएंगी.
बताया गया कि राज्य संविधान सभा बुलाने के बाद, उसने भारतीय संविधान के उन प्रावधानों की सिफारिश की जो राज्य पर लागू होने चाहिए, जिसके आधार पर 1954 का राष्ट्रपति आदेश जारी किया गया.
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद हटते ही लगा राष्ट्रपति शासन
5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने 1954 के आदेश को खत्म करते हुए एक राष्ट्रपति आदेश जारी किया. इसके बाद भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू और कश्मीर पर लागू होने लगे. यह आदेश भारत की संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित हुआ था. इसके अलावा संसद में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 भी पारित कर दिया गया, जिससे जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया. इसमें से एक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं दूसरा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख है.
संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के हक में फैसला सुनाया. साथ ही अगले साल पहले छह महीने में चुनाव कराने की भी नसीहत दी. जब कश्मीर को अनुच्छेद 730 के तहत विशेष दर्जा मिला हुआ था तो इसके प्रशासन को केवल तीन मामलों रक्षा, विदेशी और संचार की नीतियां बाकी देशों की तरह लागू करने की छूट थी.
अनुच्छे 370 हटाने से कश्मीर में बड़ा बदलाव
पीआईबी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुच्छेद 370 स्वायत्तता के संदर्भ में जम्मू और कश्मीर राज्य की विशेष स्थिति और राज्य के स्थायी निवासियों के लिए कानून बनाने की क्षमता को स्वीकार करता है.
प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा इस संदर्भ मे ं 03 फरवरी 2021 की शाम 4ः43 बजे जारी एक बयान में अनुच्छेद 370 हटाने के प्रभाव के बारे में खास तौर से जिक्र किया है. कहा, ‘‘पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के संवैधानिक परिवर्तन और पुनर्गठन के बाद, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पूरी तरह से राष्ट्र की मुख्यधारा में एकीकृत हो गए हैं. परिणामस्वरूप, भारत के संविधान में निहित सभी अधिकार और सभी केंद्रीय कानूनों का लाभ जो देश के अन्य नागरिकों को मिल रहा है. अब देश के उन तमाम अधिकारों का लाभ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को मिल रहा है, जो देश के अन्य हिस्से के लोगों को मिलता रहा है.
इसमें आगे कहा गया है, इस बदलाव से दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों में सामाजिक-आर्थिक विकास हुआ है. केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लोगों का सशक्तिकरण, अन्यायपूर्ण कानूनों को हटाना, सदियों से भेदभाव झेल रहे लोगों के लिए समता और निष्पक्षता लाना, जिन्हें अब व्यापक विकास के साथ उनका हक मिल रहा है. ऐसे कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हैं जो दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों को शांति और प्रगति के पथ पर ले जा रहे हैं.
इसके अलावा सरकारी बयान में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पड़ने वाले अन्य प्रभावों का जिक्र करते हुए कहा गया, ‘‘पंचों और सरपंचों, ब्लॉक विकास परिषदों और जिला विकास परिषदों जैसे पंचायती राज संस्थानों के चुनावों के संचालन के साथ, अब जम्मू और कश्मीर में जमीनी स्तर के लोकतंत्र की 3-स्तरीय प्रणाली स्थापित हो गई है.