अयोध्या राम मंदिर निर्माण में शामिल होने पर मौलाना उमेर इलियासी पर फतवा
Table of Contents
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम डॉ. इमाम उमैर अहमद इलियासी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला के प्राणप्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने पर फतवे का सामना करना पड़ रहा है.इलियासी ने समारोह में शामिल होने के बाद कहा कि उन्होंने देश के लिए और सद्भाव के लिए यह कदम उठाया. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पूर्वजों की पुण्यधारा के दर्शन करने का भी अधिकार है.
इलियासी के खिलाफ फतवा मुफ्ती साबिर हुसैनी की ओर से जारी किया गया है. हुसैनी ने कहा कि इलियासी का राम मंदिर के समारोह में शामिल होना इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने इलियासी से इस्तीफा देने की मांग की है.इलियासी के समर्थन में विहिप ने भी सामने आया है. विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि इलियासी के खिलाफ फतवा दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इलियासी को तुरंत इस फतवे को वापस लेना चाहिए.
इलियासी का फतवे पर प्रतिक्रिया
इलियासी ने फतवे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह किसी भी फतवे से नहीं डरते. उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी किया वह देश और मानवता के लिए था.
इलियासी ने कहा, “मैंने कुछ कॉल रिकॉर्ड की हैं जिनमें कॉल करने वालों ने मुझे जान से मारने की धमकी दी. जो मुझसे प्यार करते हैं, देश से प्यार करते हैं – वे मेरा समर्थन करेंगे. जो लोग समारोह में शामिल होने के लिए मुझसे नफरत करते हैं, उन्हें शायद पाकिस्तान चले जाना चाहिए. मैंने प्यार का पैगाम दिया है. कोई गुनाह नहीं किया. मैं माफी नहीं मांगूंगा या इस्तीफा नहीं दूंगा, वे जो चाहें कर सकते हैं.”
ALSO READ RSS के मौलाना उमेर इलियासी राम मंदिर समारोह मामले में क्यों दे रहे सफाई
इलियासी का समर्थन
इलियासी के समर्थन में कई लोगों ने सोशल मीडिया पर आवाज उठाई है. कई लोगों ने कहा है कि इलियासी ने एक सद्भावना का संदेश दिया है.एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “इलियासी ने एक साहसिक कदम उठाया है. उन्होंने दिखाया है कि भारत में सभी धर्मों के लोग शांति और सद्भाव से रह सकते हैं.”
एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा, “इलियासी के खिलाफ फतवा दुर्भाग्यपूर्ण है. हमें ऐसी आवाजों को बढ़ावा देना चाहिए जो सद्भाव और शांति का संदेश देती हैं.”
निष्कर्ष
इलियासी के खिलाफ जारी फतवा भारत में धार्मिक विभाजन को बढ़ाने का एक प्रयास है. इस फतवे से मुस्लिम समुदाय में असंतोष बढ़ सकता है.