Religion

राजस्थान में सूर्य नमस्कार के खिलाफ याचिका खारिज

फरहान इसराइली / जयपुर.

राजस्थान हाईकोर्ट ने 15 फरवरी से प्रदेश के स्कूलों में सूर्य नमस्कार अनिवार्य करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश राजस्थान मुस्लिम फोरम की याचिका पर दिए.अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता पंजीकृत संस्था नहीं है. ऐसे में उसकी याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती. सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि याचिकाकर्ता संस्था कब पंजीकृत हुई थी. इस पर अदालत को बताया गया कि संस्था का पंजीकरण नहीं है इस पर अदालत ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज कर दिया.

याचिका में कहा गया कि शिक्षा विभाग ने गत दिनों एक आदेश जारी कर प्रदेश के स्कूलों में सूर्य नमस्कार करना अनिवार्य कर दिया है. इसकी शुरुआत 15 फरवरी को सूर्य सप्तमी से की जा रही है. याचिका में कहा गया कि सूर्य नमस्कार वास्तव में सूर्य की वंदना करने के समान है.

वहीं, इस्लाम में अल्लाह के अलावा अन्य किसी की भी वंदना करने की अनुमति नहीं है संविधान के तहत हर व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है. ऐसे में राज्य सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह हर छात्र को सूर्य नमस्कार करने के लिए बाध्य करे.

राजस्थान सरकार का यह आदेश संविधान में निहित धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार सूर्य नमस्कार को वैकल्पिक तो कर सकती है, लेकिन उसे यह अधिकार नहीं है कि वह धर्म विशेष के विद्यार्थियों पर गैर-इस्लामिक गतिविधि में शामिल होने की बाध्यता करे। इसलिए शिक्षा विभाग के इस आदेश को रद्द किया जाए जिस पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि राजस्थान शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर 15 फरवरी से प्रदेश की स्कूलों में सूर्य नमस्कार अनिवार्य किया है.

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जमियत उलेमा-हिन्द ने की सूर्य नमस्कार के बहिष्कार की अपील

जमियत उलेमा-हिन्द ने प्रस्ताव पास करके मुस्लिम समुदाय से स्कूलों मे सूर्य सप्तमी के उपलक्ष्य में हो रहे सूर्य नमस्कार के आयोजन के बहिष्कार की अपील की है. संगठन का कहना है कि इस तरह का आदेश धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप और संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंखन हैं.

संगठन के प्रदेश महासचिव अब्दुल वाहिद खत्री के अनुसार जमियत उलेमा-हिन्द की राज्य कार्यकारिणी ने स्पष्ट किया है कि बहुसंख्यक हिन्दु समाज में सूर्य की भगवान/देवता के रूप में पूजा की जाती है. इस अभ्यास में बोले जाने वाले श्लोक और प्रणामासन्न, अष्टांगा नमस्कार इत्यादि क्रियाएं एक इबादत का रूप है और इस्लाम धर्म में अल्लाह के सिवाय किसी अन्य की पूजा अस्वीकार्य है। इसे किसी भी रूप या स्थिति में स्वीकार करना मुस्लिम समुदाय के लिए सम्भव नहीं है.

संगठन ने मुस्लिम समुदाय से 15 फरवरी को विद्यार्थियों को स्कूल नहीं भेजने की अपील करते हुए इस आयोजन का बहिष्कार करने के लिए कहा हैं.