लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा से पहले सीएए लागू करने की तैयारी
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
केंद्र की बीजेपी सरकार लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा से पहले सीएए कानून लागू कर सकती है. दूसरी तरफ सीएए आंदोलन के दौरान गिरफ्तार अधिकांश मुस्लिम युवा नेता अब तक जेल में हैं.केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 तक, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के 1,414 गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को 1955 के नागरिकता अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी.
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), जिसे 2019 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था, अगले महीने लागू होने वाला है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ड्राई रन के साथ ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हो गए हैं. सीएए पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगा. मंत्रालय को सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले. इस कानून से मुसलमानों को दूर रखा गया है. समझा जा रहा है कि सीएए कानून लागू कर देश में एनआरसी लाने की तैयारी है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 तक, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के 1,414 गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान की गई.
10 फरवरी को, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीएए को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा.
शाह ने कहा, “सीएए कांग्रेस सरकार का वादा था. जब देश का विभाजन हुआ और उन देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ तो कांग्रेस ने शरणार्थियों को आश्वासन दिया कि भारत में उनका स्वागत है और उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी. अब वे पीछे हट रहे हैं. ”
उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को कुछ सरकार विरोधी तत्वों द्वारा उकसाया जा रहा है. दावा किया कि यह अधिनियम उनकी नागरिकता नहीं छीनेगा. उन्होंने कहा, सीएए बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने वाला कानून है.
जिला अधिकारियों को सीएए के लिए आधार तैयार करते हुए दीर्घकालिक वीजा देने की शक्ति प्रदान की गई है. पिछले दो वर्षों में, नौ राज्यों के कई जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने के लिए अधिकृत किया गया है.
दिलचस्प बात यह है कि नागरिकता संशोधन कानून में मुसलमानों का कोई जिक्र नहीं है. अधिनियम के इस पहलू ने 2019 में पूरे भारत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसमें नागरिकता देने के लिए धर्म को एक कारक बनाने के लिए भाजपा सरकार की आलोचना की गई.
आलोचकों ने मोदी सरकार के मुस्लिम समुदाय के प्रति सौतेला व्यवहार और भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमजोर करने का आरोप लगाया. इस बीच सीएए को लेकर मुसलमानों में एक बार सुगबुगाहट की खबर है.