Mewati gharana पंडित जसराज के निधन से नहीं दिख रहा इसे आगे बढ़ाने वाला
शास्त्रीय संगीत के सुप्रसिद्ध गायक पंडित जसराज के सोमवार को निधन के साथ ही हरियाणा का ‘मेवाती घराना’ अभिभावक शून्य हो गया। उनके बाद अब ऐसा कोई नहीं जो संगीत की इस विद्या को आगे बढ़ा सके। पंडित जसराज के बाद उम्मीद की किरण के तौर पर उनकी भतीजी सुलक्ष्णा पंडित हैं, पर उम्रदराज होने से वह भी अब इस लायक नहीं रहीं। वह 66 वर्ष की उम्र्र पार कर चुकी हैं।
हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के मेवाती मुस्लिम बहुल क्षेत्र मेवात की गोकशी, ठगी व वाहन चोरी की कुछ घटनाओं को लेकर तस्वीर बिगाड़ दी गई है। जब कि यह क्षेत्र कला-साहित्य एवं संगीत के लिए देश-विदेश में अलग पहचान रखता है। उर्दू गजलों की जान मिर्जा गालिब की ससुराल मेवात में ही थी। इंडियन आयडल चैंपियन सलमान अली भी इसी क्षेत्र से आते हैं। मेवात में गायकी का जबर्दस्त चलन है। कई पुश्तों से यहां मिरयासे की परंपरा चली आ रही है। सलमान अली सहित आज के कई युवा गायक उसी परिवार से आते हैं।
पंडित जसराज और मेवाती घराना
पंडित जसराज ने ठुमरी और ख्याल गायकी में थोड़ा परिवर्तन कर संगीत का ‘मेवाती घराना’ स्थापित किया था। कभी यह घराना ‘जयपुर घराने’ को टक्कर देता था। पंडित जसराज मूलरूप से हरियाणा के फतेहाबाद के पिलीमंदौरी गांव के थे। वह मेवाती संगीत से बहुत प्रभावित थे। उनके पिता भी संगीतज्ञ थे तथा बड़े भाई व सुलक्ष्णा पंडित के पिता प्रताप नारायण पंडित शास्त्रीय संगीत के अच्छे ज्ञाता। सुलक्ष्णा के तीन भाई मंधीर, जतिन एवं ललित बॉलीवुड के चर्चित संगीतकार हैं। इसके अलावा उनकी भतीजी श्रद्धा एवं श्वेता पंडित प्लेबैक सिंगर हैं। एक भतीजा यशपाल पंडित टीवी एक्टर है। सुलक्ष्णा भी कई फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। मगर उन्होंने अपने चाचा पंडित जसराज की परंपरा को सदैय आगे बढ़ाया। वह कई फिल्मों में लता मंगेश्कर, मोहम्मद रफी,किशोकर कुमार, शैलेंद्र सिंह, येसुदास, महेंद्र कपूर, उदित नारायण जैसे दिग्गज गायकों के साथ गाना गा चुकी हैं।
नहीं कोई घराने को आगे बढ़ाने वाला
पंडित जसराज के पिता का निधन, जब वह चार वर्ष के थे तभी हो गया था। चार वर्ष की उम्र से उन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। तबलावादन बड़े भाई से सीखा, जबकि गायकी की प्रारंभिक शिक्षा मीर उस्मान अली खान से ली। वह बेगम अख्तर की ख्याल गायकी से बेहद प्रभावित थे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा के लिए हैदराबाद, गुजरात सहित कई शहरों एवं प्रदेश के चक्कर काटे। उनकी शादी सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देश वी शांताराम की पुत्री से हुई थी। 1946 में कोलकाता रेडियो स्टेशन पर क्लॉसिक गायक की नौकरी लगने पर वह वहां जा बसे। उन्होंने अठराह वर्ष की उम्र में तत्कालीन नेपाल नरेश त्रिभूवन बीर बिक्रम शाह के लिए काठमांडू में पहला कॉन्सर्ट किया था। पद्मश्री, पद्म भूषण,संगीत कला अकादमी जैसे दर्जनों प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित पंडित जसराज जहां भी रहे ‘मेवाती घराना’ को आगे बढ़ाते रहे। उनके टोरंटो सहित कई देशों में संगीत इंस्टीट्यूट हैं, जहां युवाओं को मेवाती घराने’ की शिक्षा दी जाती है। इसके बावजूद उनके निधन के बाद अभी ऐसा कोई नहीं दिखता जो इस परंपरा को
आगे ले जाने का माददा रखता हो। उनके परिवार के अधिकांश बच्चों का बॉलीवुड से रिश्ता गहराने के बाद तो उम्मीद खत्म सी हो गई है।
मलिक असगर हाशमी
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संपादक