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770 किलो विस्फोटक, खामोश मीडिया, लापरवाह एजेंसियां: केरल में बड़ा सवाल!

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

चार दिन पहले केरल के  आरएसएस कार्यकर्ता के कब्जे से 770 किलो विस्फोटक बरामद किए जाने की खबर अब तक मेन स्ट्रीम मीडिया की सुर्खी नहीं बन पाई है. मजे की बात है कि ‘गड़े मुर्दे’ उखाड़ने में माहिर केंद्र की खुफिया एजेंसियांे ने भी इस मामले में अब तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है. इसके उलट दक्षिण भारत में हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए जब एजेंसियों ने जांच की और ‘ आतंकवादी कारस्तानियों’ का खुलासा किया.

मगर इस मामले में चुप्पी से अब सोशल मीडिया में सवाल उठ रहे हैं. इतिहासकार और कांग्रेस की नीतियों के हिमायती अशोक पांडेय ने तो इसपर एक पूरा वीडियो तैयार किया है. इस बारे में सोशल मीडिया में उन्हांेने जो बातें शेयर की हैं, उसके अनुसार, केरल में बम-बारूद से आरएसएस का रिश्ता पुराना है. कन्नूर के कृष्ण, संतोष, दिलीप आदि ऐसे कई नाम गिनाए, जिनका नाम किसी न किसी बम विस्फोट से जुड़ा है. पांडेय ने एक खबर के हवाले से कहा है कि आरएसएस कार्यकर्ता दिलीप की मौत बम विस्फोट में हुई है.

इसी तरह एक वीडियो एक्स पर सिकंदर नाम के एक ट्विटर हैंडल से साझा किया है, जिसमें कांग्रेस के अब्बास शरीफ खान कहते सुनाई देते हैं-‘‘इस खबर ने आरएसएस-भाजपा के राष्ट्रवाद की पोल खोलकर रख दी है.’’ उन्होंने भी अपने वीडियो में इस खबर को मेन स्ट्रीम मीडिया में नहीं दिखाए जाने पर चिंता जाहिर की है.

’मकतूब’ नामक एक मीडिया आउटलेट ने इसपर विस्तृत खबर छापी है. खबर में कहा गया है-‘‘हाल के एक ऑपरेशन में, केरल पुलिस ने कन्नूर जिले के पोयिलूर में एक स्थानीय आरएसएस नेता और उनके रिश्तेदार के आवास से 770 किलोग्राम विस्फोटक के बड़े जखीरे का भंडाफोड़ किया है.’’

खबर में आगे कहा गया है-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थानीय नेता वदकयिल प्रमोद और उनके रिश्तेदार वडकायिल शांता के घरों में यह छिपाव उजागर हुआ. प्रमोद फिलहाल फरार है.

कोलावेल्लुर पुलिस ने मकतूब को बताया, कोलावेल्लुर पुलिस इंस्पेक्टर सुमीत कुमार और सब-इंस्पेक्टर सोबिन के नेतृत्व में यह ऑपरेशन गोपनीय जानकारी के आधार पर शुरू किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण जब्ती हुई.

पुलिस ने कहा,“प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि विस्फोटकों का उद्देश्य अवैध वितरण था. नतीजतन, हमने घटना के संबंध में दो मामले दर्ज करते हुए कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है. हम इन संबंधित घटनाक्रमों के बीच क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास बढ़ा रहे हैं. ”

इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटकों की बरामदगी से स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है. खासकर लोकसभा चुनाव नजदीक आने के कारण.पिछले साल कन्नूर में एरानजोलिपालम के पास बम बनाने के दौरान विस्फोट होने से आरएसएस से जुड़ा एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था. घटना में विष्णु (20) की हथेलियां टूट गईं और बिखर गईं थीं. विस्फोट विष्णु के घर के पास एक खेत में हुआ जब वह बम बनाने की प्रक्रिया में था.

30 दिनों में यह दूसरी घटना थी, जब हिंदुत्व कैडरों को बम बनाते समय जख्मी हुए हैं.केरल पुलिस की मानें तो 770 किलो विस्फोटक वितरण के लिए मंगाया गया था. सवाल उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक किस उद्देश्य के लिए जमा किया गया था ? इतनी भारी मात्रा में बारूद से तो किसी एक मोहल्ले का सफाया हो सकता है.

एक संगठन की दलील है कि यह विस्फोटक आतिशबाजी बनाने के लिए एकत्रित किया गया था. यदि इसमें सच्चाई है भी तो क्या इतना भारी मात्रा में विस्फोटक रखने का लाइसेंस दिया जाता है ? यदि भूलवश भी उसमें आग लग गई होती तो क्या होता ? उसपर से खुफिया एजेंसियों की खामोशी ! ऐसे कई महत्वपूर्ण सवाल हैं, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. मजे की बात है कि इस मामले में केंद्र की किसी अधिकारिक एजेंसी कोई बयान भी सामने नहीं आया है ताकि लोगों की चिंता दूर हो सके.

मगर इस मामले में चुप्पी से अब सोशल मीडिया में सवाल उठ रहे हैं. इतिहासकार और कांग्रेस की नीतियों के हिमायती अशोक पांडेय ने तो इसपर एक पूरा वीडियो तैयार किया है. इस बारे में सोशल मीडिया में उन्हांेने जो बातें शेयर की हैं, उसके अनुसार, केरल में बम-बारूद से आरएसएस का रिश्ता पुराना है. कन्नूर के कृष्ण, संतोष, दिलीप आदि ऐसे कई नाम गिनाए, जिनका नाम किसी न किसी बम विस्फोट से जुड़ा है. पांडेय ने एक खबर के हवाले से कहा है कि आरएसएस कार्यकर्ता दिलीप की मौत बम विस्फोट में हुई है.

इसी तरह एक वीडियो एक्स पर सिकंदर नाम के एक ट्विटर हैंडल से साझा किया है, जिसमें कांग्रेस के अब्बास शरीफ खान कहते सुनाई देते हैं-‘‘इस खबर ने आरएसएस-भाजपा के राष्ट्रवाद की पोल खोलकर रख दी है.’’ उन्होंने भी अपने वीडियो में इस खबर को मेन स्ट्रीम मीडिया में नहीं दिखाए जाने पर चिंता जाहिर की है.

’मकतूब’ नामक एक मीडिया आउटलेट ने इसपर विस्तृत खबर छापी है. खबर में कहा गया है-‘‘हाल के एक ऑपरेशन में, केरल पुलिस ने कन्नूर जिले के पोयिलूर में एक स्थानीय आरएसएस नेता और उनके रिश्तेदार के आवास से 770 किलोग्राम विस्फोटक के बड़े जखीरे का भंडाफोड़ किया है.’’

खबर में आगे कहा गया है-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थानीय नेता वदकयिल प्रमोद और उनके रिश्तेदार वडकायिल शांता के घरों में यह छिपाव उजागर हुआ. प्रमोद फिलहाल फरार है.

कोलावेल्लुर पुलिस ने मकतूब को बताया, कोलावेल्लुर पुलिस इंस्पेक्टर सुमीत कुमार और सब-इंस्पेक्टर सोबिन के नेतृत्व में यह ऑपरेशन गोपनीय जानकारी के आधार पर शुरू किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण जब्ती हुई.

पुलिस ने कहा,“प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि विस्फोटकों का उद्देश्य अवैध वितरण था. नतीजतन, हमने घटना के संबंध में दो मामले दर्ज करते हुए कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है. हम इन संबंधित घटनाक्रमों के बीच क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास बढ़ा रहे हैं. ”

इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटकों की बरामदगी से स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है. खासकर लोकसभा चुनाव नजदीक आने के कारण.पिछले साल कन्नूर में एरानजोलिपालम के पास बम बनाने के दौरान विस्फोट होने से आरएसएस से जुड़ा एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था. घटना में विष्णु (20) की हथेलियां टूट गईं और बिखर गईं थीं. विस्फोट विष्णु के घर के पास एक खेत में हुआ जब वह बम बनाने की प्रक्रिया में था.

30 दिनों में यह दूसरी घटना थी, जब हिंदुत्व कैडरों को बम बनाते समय जख्मी हुए हैं.केरल पुलिस की मानें तो 770 किलो विस्फोटक वितरण के लिए मंगाया गया था. सवाल उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक किस उद्देश्य के लिए जमा किया गया था ? इतनी भारी मात्रा में बारूद से तो किसी एक मोहल्ले का सफाया हो सकता है.

एक संगठन की दलील है कि यह विस्फोटक आतिशबाजी बनाने के लिए एकत्रित किया गया था. यदि इसमें सच्चाई है भी तो क्या इतना भारी मात्रा में विस्फोटक रखने का लाइसेंस दिया जाता है ? यदि भूलवश भी उसमें आग लग गई होती तो क्या होता ? उसपर से खुफिया एजेंसियों की खामोशी ! ऐसे कई महत्वपूर्ण सवाल हैं, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. मजे की बात है कि इस मामले में केंद्र की किसी अधिकारिक एजेंसी कोई बयान भी सामने नहीं आया है ताकि लोगों की चिंता दूर हो सके.

आरएसएस का बचाव करते हुए प्रोपगंडा चैनल ‘ऑपइंडिया ’ ने अपनी वेबसाइट पर एक लंबी चैड़ी रिपोर्ट लिखी है और बचाव में कई दलील दिए हैं. बावजूद इसके घटना से संबंधित उठाए जाने वाले सवाल जवाब अपनी जगह माकूल बने हुए हैं.

‘ओप इंडिया’ की रिपोर्ट में कहा गया है–
30 मार्च को केरल कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पोस्ट के मुताबिक, छापेमारी के दौरान 770 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किया गया. हालाँकि, यह एक झूठा दावा है, क्योंकि पुलिस को हिंदू त्योहार में इस्तेमाल होने वाली आतिशबाजी मिली, न कि आतंकवादी कृत्यों के लिए विस्फोटक, जैसा कि पार्टी ने दावा किया था.

केरल कांग्रेस ने लिखा, ”भाजपा के लोग अक्सर आतंक फैलाने और राज्य के खिलाफ साजिश रचने की ऐसी ही घटनाओं में पकड़े गए हैं.” उन्होंने कहा, “इतने भारी विस्फोटकों को इकट्ठा करने के नवीनतम प्रयास के पीछे भाजपा का वास्तविक उद्देश्य क्या था? क्या यह चुनाव से पहले आतंकित करने और राजनीतिक और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए था? क्या राष्ट्रीय जांच एजेंसी जांच अपने हाथ में लेगी?”

पोस्ट के साथ, कांग्रेस ने हालिया और कुछ पुरानी रिपोर्टों के स्क्रीनशॉट जोड़े, जिसमें दावा किया गया कि बरामद “विस्फोटक” आतंकवादी गतिविधियों के लिए थे.

कई अन्य सोशल मीडिया हैंडल ने भी इसी तरह के पोस्ट किए. एक सैफुद्दीनइंडिया ने लिखा, “पनुर में #RSS नेता के घर से 770 किलो विस्फोटक बरामद, #भाजपा क्षेत्रीय नेता वांछित।” उन्होंने हिटलर के रूप में पीएम मोदी और उनके सहयोगी के रूप में एचएम अमित शाह की एक कंप्यूटर-निर्मित छवि साझा की.

कांग्रेस समर्थक विजय थोट्टाथिल ने लिखा, “हेडलाइन में कहा गया है कि केरल के कन्नूर के पनूर में आरएसएस नेता प्रमोद और उनके रिश्तेदार के घर से 770 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किया गया. तब से तथाकथित नेता भूमिगत है, और पुलिस तलाश कर रही है! मुझे लगता है कि योजना पूरे कन्नूर शहर पर बमबारी करने की थी। आतंकवादियों को जल्द गिरफ्तार कर सजा दी जानी चाहिए.”

खुद को आरजे बताने वाली कुख्यात प्रचारक सईमा ने भी इसे उठाया. उन्होंने लिखा, ”क्या आपको इस खबर के बारे में पता चला? उसे मिस मत करना.” उन्होंने वर्थभारती की एक रिपोर्ट का लिंक भी साझा किया. गौरतलब है कि कई रिपोर्ट्स में कहा गया था कि पुलिस ने आरएसएस नेता के घर से विस्फोटक बरामद किया है.

दिलचस्प बात यह है कि जब ऑपइंडिया ने सईमा द्वारा साझा किए गए लिंक पर दौरा किया, तो रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि पोर्टल ने कोलावल्लूर SHO के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी, जिन्होंने कहा था कि वसूली की रिपोर्ट सच थी. हालाँकि, उन्होंने कहा कि “विस्फोटक” 14 अप्रैल को आने वाले उगादी त्योहार के लिए पटाखे थे, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए साल का दिन है. रिपोर्टों से पता चलता है कि वेदक्केल प्रमोद ने त्योहार के दौरान लोगों के बीच वितरित करने के लिए आतिशबाजी का भंडारण किया था.

इसके अलावा, आगे शोध करने पर, हमें ओनलीफैक्ट्स की एक रिपोर्ट मिली जिसमें उल्लेख किया गया था कि पुलिस द्वारा बरामद की गई सामग्री आतिशबाजी थी और आगामी विशु उत्सव के लिए थी. यह त्योहार मलयाली नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और स्थानीय लोगों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है. ऑपइंडिया ने कोलावेलोर पुलिस से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका.

पुलिस ने प्रमोद को गिरफ्तार कर लिया और सामान जब्त कर लिया क्योंकि उसने आतिशबाजी भंडारण के लिए आवश्यक लाइसेंस नहीं लिया था, जिससे वे अवैध हो गए। इसलिए, जबकि आरएसएस कार्यकर्ता ने आगामी हिंदू नववर्ष उत्सव के लिए अवैध रूप से आतिशबाजी का भंडारण करके अपराध किया था और इसलिए उसे गिरफ्तार कर लिया गया था, वे विस्फोटक नहीं थे जिनका उपयोग आतंकवादी कृत्य में किया जाना था जैसा कि कांग्रेस पार्टी और अन्य लोग आरोप लगा रहे हैं.