Politics

इंडियन एक्सप्रेस का खुलासा: 2014 के बाद भ्रष्टाचार के आरोपी 25 विपक्षी नेता बीजेपी में शामिल, 23 को राहत

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

बोफोर्स के मामले में राजीव गांधी को केंद्र की सत्ता से बाहर करने को लेकर चर्चित अखबार ‘इंडियान एक्सप्रेस’ ने 2024 के आम चुनाव से पहले एक बड़ा खुलासा किया है. इसने एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है जिसमें दावा किया गया है कि बीजेपी में शामिल होते ही तमाम भ्रष्टाचारी ‘पाक-साफ’ हो जाते हैं. यही नहीं 23 को तो कथित तौर पर आरोपों से मुक्त कर दिया गया है.

इंडियान एक्सप्रेस मंे यह रिपोर्ट दीप्तिमान तिवारी की है. रिपोर्ट में कहा गया-2014 के बाद से, कथित भ्रष्टाचार के लिए केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करने वाले 25 प्रमुख राजनेता भाजपा में शामिल हो गए हैं. इसमंे 10 कांग्रेस से, राकांपा और शिवसेना से चार-चार, टीएमसी से तीन, टीडीपी से दो और एसपी और वाईएसआरसीपी से एक-एक नेता हैं.

रिपोर्ट में दावा किया गया, ‘‘ इनमें से 23 मामलों में, उनका राजनीतिक कदम राहत में बदल गया.तीन मामले बंद कर दिए गए हैं. 20 अन्य रुके हुए हैं या ठंडे बस्ते में है. स्विच के बाद इनके प्रति जांच एजेंसी की कार्रवाई निष्क्रियता रही है. इस सूची में शामिल छह राजनेता आम चुनाव से कुछ हफ्ते पहले अकेले इसी साल भाजपा में चले गए.

यह इसके बिल्कुल विपरीत है जब आरोपी विपक्ष में होता है. 2022 में द इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच से पता चला कि कैसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 95 प्रतिशत प्रमुख राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई की. 2014 के बाद, जब एनडीए सत्ता में आया, तो विपक्ष से थे.

विपक्ष इसे वॉशिंग मशीन कहता है. इस तंत्र के तहत भ्रष्टाचार के आरोपी राजनेताओं को अपनी पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने पर कानूनी परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता है.ऐसा नहीं है कि यह नया है. इसका पैमाना अभूतपूर्व है.

2009 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के वर्षों में, द इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच में फाइल नोटिंग से पता चला कि सीबीआई ने बसपा की मायावती और सपा के मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में अपना रुख बदल दिया था, जब दोनों नेताओं को सत्तारूढ़ यूपीए द्वारा करीब लाया जा रहा था.

नवीनतम निष्कर्षों से पता चलता है कि राज्य में 2022 और 2023 की राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान केंद्रीय कार्रवाई का एक बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र पर केंद्रित था.2022 में एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना से अलग होकर बीजेपी के साथ नई सरकार बना ली. एक साल बाद अजित पवार गुट एनसीपी से अलग हो गया. सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल हो गया.

रिकॉर्ड बताते हैं कि राकांपा गुट के दो शीर्ष नेताओं, अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल के सामने आए मामलों को बाद में बंद कर दिया गया. कुल मिलाकर, महाराष्ट्र के 12 प्रमुख राजनेता 25 की सूची में हैं, जिनमें से ग्यारह 2022 या उसके बाद भाजपा में चले गए, जिनमें एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के चार-चार शामिल हैं.

यह दूसरा मामलाा है जब जांच एजेंसियों पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगा है. इससे चुनावी बांड के मामले में एजेंसियों पर उंगली उठी थी. विपक्षी दलों का आरोप है कि एजेंसियां वूसली गैंग के तौर पर काम कर रही हैं. आरोपी नेताओं के बीजेपी के करीब सब कुछ साफ हो जाता है.