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नहीं रहे गया हाई स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल सैयद अख़्तर मीरानी, दिल्ली के अपोलो में ली आख़िरी सांस

फैसल रहमानी / समी अहमद, गया, पटना

मिलनसार और समाजी शख़्सियत गया हाई स्कूल (बिहार) के पूर्व प्रिंसिपलसैयद अख़्तर मीरानी ने दिल्ली के अपोलो में सांसें लीं . कुछ दिन पहले सीने में दर्द हुआ. डॉक्टरों ने ओपेन हर्ट सर्जरी या स्टेंट लगाने की बात थी. फिर इनकी ओपेन हर्ट सर्जरी कराने का फ़ैसला लिया गया.

सर्जरी दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में हुई. दो दिन ठीक रहे। फिर प्रॉब्लम शुरू हो गई. बीपी डाउन। लंग्स का इंफ़ेक्शन हो गया. किडनी में भी दिक़्क़त शुरू हो गई. और आख़िरकार आज मौत ने उन्हें अपने आग़ोश में ले लिया.

अख़्तर अक़ील ज़ुबैर हाशमी के गहरे दोस्तों में से थे. वो गया शहर के गेवालबिगहा मोहल्ला में रहते थे. गया में जब तक रहे वो हमेशा यहां आते रहते थे. बड़े ही मुख़्लिस इंसान थे. इतनी मुहब्बत से मिलते थे कि उनके लिए इज़्ज़त और बढ़ जाती थी.

आज जब उनके रुख़सत होने की ख़बर मिली तो दिल रंजीदा हो गया. अल्लाह पाक उनकी मग़फ़िरत करे और जन्नत-उल-फ़िरदौस में आला मुक़ाम अता फ़रमाए.आमीन।

उनकी नमाज़-ए-जनाज़ा सोमवार यानी 20 मई को सुबह अलबा कॉलोनी, फुलवारी शरीफ़, पटना में अदा की जाएगी. उन्हें उनके आबाई गांव मीरां बिगहा, टेकारी, गया में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा.

सैयद अख़्तर नाम था इनका. गया में सरकारी टीचर थे. पटना में मेरे पड़ोसी. बिल्कुल एक दीवार से लगे. हर सुख-दुख के साथी. बेहद मिलनसार. बहुत ही मददगार. कुछ दिनों पहले सीने में दर्द हुआ. डॉक्टरों ने ओपन हार्ट सर्जरी या स्टेंट लगाने में से एक को चुनने को कहा.
. राय हुई ओपन हार्ट सर्जरी की। सर्जरी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हुई। दो दिन ठीक रहे. फिर प्रॉब्लम शुरू हुई। बीपी डाउन. लंग्स का इंफेक्शन. किडनी की दिक़्क़त. मौत ने अपना बहाना ढूंढ लिया.

अक्सर मस्जिद उनके साथ जाया करता था. मुझे पैदल जाता देख वह स्कूटर पर बिठा लेते. कोई नहीं मिलता तो मज़ाक़ में कहते, “एक सवारी, एक सवारी.” जब कभी बाहर जाते तो हम उनका इंतजार करते थे। एक फ़ादर फ़िगर थे.
पड़ोसी के लिहाज से मैं यतीम हो गया. उनसे हर परेशानी, हर सुख बांटा करता था. अब हम अकेले हो गए। मेरा पड़ोस सदा के लिए सूना हो गया। अल्लाह उन्हें जन्नत नसीब करे.

दोनों की फेसबुक वाल से