Education

zafar sareshwala चले मदरसा शिक्षा की तस्वीर बदलने

पश्चिम बंगाल के मदरसों में सर्वाधिक बढ़िया काम हो रहा, यहां बड़ी संख्या में पढ़ते हैं हिंदू बच्चे

हिंदुस्तान के मदरसों की तस्वीर बदलने की कोशिश चल रही है। इसका बीड़ा उठाया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी तथा मौलाना आजाद नेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर जफर सरेसवाला (zafar sareshwala) ने। वह मदरसों को सेटेलाइट शिक्षा प्रणाली से जोड़ने की जुगत में हैं। साथ ही यहां से निकले वाले बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए यूनिवर्सिटी के ‘ब्रिज कोर्स’ से जोड़ा जाएगा। वैसे, मदरसा शिक्षा क्षेत्र में अभी सर्वाधिक बढ़िया काम ममता बनर्जी के प्रदेश पश्चिम बंगाल में हो रहा है। इस सूबे में कई ऐसे मदरसे हैं जहां मुस्लिम बच्चे जिनती संख्या हिंदू बच्चों की है। 
  जफर सरेसवाल के मुताबिक, केंद्र सरकार के सहयोग से वह और उनके कुछ दोस्तों ने देश के मदरसों की तस्वीर एवं उसमें पढ़ने वाले बच्चों की तकदीर बदलने की ठानी है। मुल्क के आठ मदरसे पायलट प्रोजेक्ट्स के तहत न केवल सेटेलाइट शिक्षा प्रणाली से जोडे़ गए, वहां के बच्चों को विज्ञान, गणित एवं अंग्रेजी की बुनियादी तालीम भी दी जा रही है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का मदरसा दायरतुल इस्लाहे चिराग-ए-उलूम भी शामिल है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने फरवरी में राज्यसभा को बताया था कि देश में मरदरसा शिक्षा प्रणाली से जुड़े मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 19,132 तथा गैर मान्यता प्राप्त की 4,878 है।

जरूरी आंकड़े

-उत्तर प्रदेश में मान्यता प्राप्त मदरसे सर्वाधिक
-यूपी में मान्यता प्राप्त मदरसों की तादाद 11,621 एवं गैर मान्यता प्राप्त की 2,907
-आंध्रप्रदेश में मान्यता प्राप्त मात्र 12, गैर मान्यता प्राप्त 246
-असम में मान्यता प्राप्त मदरसे 0, गैर मान्यता प्राप्त 179
-राजस्थान में मान्यता प्राप्त मदरसे 296
-पश्चिम बंगाल में 6000

मरदसा शिक्षा में प. बंगाल का जलवा

देखा जाए तो मौजूदा समय में मदरसों की सर्वाधिक अच्छी पढ़ाई पश्चिम बंगाल में है। विशेषकर बांकुड़ा, पुरूलिया,बीरभूम एवं वर्दमान जिले में। यहां के मदरसों में बड़ी संख्या में हिंदू बच्चे भी तालीम ले रहे हैं। पश्चिम बंगाल मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष अबू ताहिर कमरूद्दीन कहते हैं, इस वर्ष मदरसा बोर्ड की परीक्षा में 70 हजार बच्चे बैठे, जिनमें 18 फीसदी हिंदू बच्चे थे। मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। 2019 में मदरसा बोर्ड इम्तिहान में बैठने वालों में 12.77 बच्चे हिंदू थे। कुछ वर्षों में मदरसों में दाखिले का प्रतिशत 30 प्रतिशत तक बढ़ा है। पिछले साल मदरसा बोर्ड परीक्षा में मोहक, अर्पित साहा, पापिया साहा जैसी कई हिंदू छात्राओं ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। वर्दमान के केतुग्राम स्थित अगरडांग हाई मदरसा के 752 छात्रों में 45 प्रतिशत बच्चे हिंदू हैं।


गुजरात में प्रयोग कर चुके सरेसवाला

मौलाना आजाद नेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर जफर सरेसवाला कहते हैं,‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा है मदरसों में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों के एक हाथ में कुरान (QURAN) व दूसरे में कंप्यूटर(COMPUTER) हो।’’ मोदी के सहयोग से वह यह प्रयोग गुजरात में कर चुके हैं। ऐसी कोशिशों के तहत मदरसों को सेटेलाइट शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जा रहा ताकि वहां के बच्चों को 8, 9 एवं 10 क्लॉस (CLASS) स्तर के विज्ञान, गणित एवं अंग्रेजी की तालीम मिल सके। उन्हें आगे बढ़ाने के लिए मौलाना आजाद नेशनल यूनिवर्सिटी में बीए, बीकॉम एवं बीएससी का ब्रिज कोर्स शुरू किया गया है। वह कहते हैं, मदरसे में दस, ग्यारह वर्षों तक तालीम लेने के बाद जब बच्चे निकलते हैं आगे कुछ करने को नहीं रह जाता। उनके दावे के मुताबिक, मदरसा शिक्षा को लेकर उनकी यूनिवर्सिटी में जैसा प्रयोग चल रहा, पाकिस्तान यह काम 68 वर्षों में भी नहीं कर पाया।

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संपादक

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