Education

COVID-19 का असर नहीं, रहमानी प्रोग्राम ऑफ एक्सीलेंस के 170 छात्र जेईई मेन्स परीक्षा में सफल

जुनैद को भौतिकी में 100 प्रतिशत अंक , रेहान ने 311 अखिल भारतीय रैंक हासिल की

रहमानी प्रोग्राम ऑफ एक्सीलेंस के 170 छात्र और  छात्राओं ने इंजीनियरिंग  की प्रवेश परीक्षा  ज्वाइंट एंटरेंस एग्जामिनेशन  मेंस  में कामयाबी हासिल की और 2019 के अपने प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया। है। छात्रों को उल्लेखनीय कामयाबी के अलावा अच्छे रैंक भी मिले हैं। रेहान खान ने अखिल भारतीय रैंक 311 और जनरल ईडब्ल्यूएस रैंक 36 हासिल की, जबकि मोहम्मद जाबिर ने  86 और जीशान खतीब ने 344 कैटेगरी  रैंक हासिल किए। जुनेद सलीम भौतिकी में 100 परसेंटाइल लाने में कामयाब रहे। इन छात्रों की अच्छी संख्या को  इंस्टीट्यूट आफ नेशनल इंर्पोटेंस में अपनी मनपसंद सीट मिलेगी। प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट का विश्लेषण अभी भी किया जा रहा है।

कोविड-19 की महामारी के दौरान इस रिजल्ट से रहमानी प्रोग्राम ऑफ एक्सीलेंस की पूरी टीम बहुत खुश है। महामारी की वजह से तमाम शिक्षा केंद्र बंद थे जिसके कारण बच्चों में एक भ्रम की स्थिति थी,  उनकी रूचि में कमी थी और वे निराश थे,  इसलिए भी इस नतीजे से तमाम लोगों में बहुत उत्साह है। शिक्षा केंद्रों के बंद होने के बाद तमाम क्लासेस ऑनलाइन कर दी गई थी और सुनिश्चित किया गया कि अधिकांश छात्रों के पास कम से कम इस्तेमाल करने के लिए एक फोन हो जिस पर छात्र क्लास कर सकें और इम्तिहान दे सकें। इन प्रयासों के बावजूद छात्रों के प्रदर्शन में निश्चित तौर से कमी दिखी। संसाधनों की कमी जैसे कि कंप्यूटर,  स्थिर इंटरनेट कनेक्टिविटी,  बिजली,  वगैरह  इस पूरी प्रक्रिया में चुनौती बने रहे।

  रियायती शुल्क संरचनाओं पर अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान का अवसर    

ज्वाइंट एंटरेंस एग्जामिनेशन, जिसे जेईई मेन्स के रूप में जाना जाता है, हर साल दो बार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी या एनटीए द्वारा आयोजित की जाती है। तकरीबन 10 लाख छात्र हर जेईई के महान में बैठते हैं और सितंबर के  इस सेशन में  8 लाख छात्रों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। लगभग दो सौ और पैंतालीस हजार सार्वजनिक और निजी इंजीनियरिंग सीटें इस परीक्षण के माध्यम से उपलब्ध हैं, और लगभग तीस हजार को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों से संबंधित प्रीमियम सीटें माना जाता है। INI श्रेणी की स्थापना भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी, ताकि उन शैक्षिक संस्थानों की पहचान की जा सके और उन्हें ज्यादा बजट दिया जा सके जोकि भारतीय नवाचार की निरंतर सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। सफल छात्रों को शीर्ष स्तर की शिक्षा, सबसे पर्याप्त शोध सुविधाएँ, व्यावहारिक रूप से मुफ्त या अत्यधिक रियायती शुल्क संरचनाओं पर अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान के अवसर मिलते हैं।

 सफलता का श्रेय  अभयंद पूर्व डीजीपी बिहार  को

रहमानी फाउंडेशन  सफलतापूर्वक शैक्षणिक निराशा को  दूर कर रहा है| हजरत अमीर-ए-शरीयत मौलाना मोहम्मद वाली रहमानी, जो इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के संस्थापक हैं, इस सफलता का श्रेय  अभयंद जी (पूर्व डीजीपी बिहार) के मार्गदर्शन और निरंतर  प्रयास  एवं प्रबंधन और कर्मचारियों के परिश्रम को देते हैं . का यह भी मानना है कि ऐसे परिणाम छात्रों एवं परिजनों की भागीदारी के  बिना असंभव  है। विशेष कर तब जब रहमानी30 का एजुकेशनल मॉडल आम शिक्षा विधि से बहुत अलग है जो कि छात्रों को  सोचने और सीखने के लिए तैयार करता है।

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संपादक

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