मलाला यूसुफजई विश्व स्कूल गर्ल्स कॉन्फ्रेंस में : मैं पाकिस्तान आकर बहुत खुश हूं
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मुस्लिम नाउ , इस्लामाबाद
इस्लामाबाद में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन, जो मुस्लिम बहुल देशों में लड़कियों की शिक्षा के अधिकारों पर केंद्रित है, में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भाग लिया. यह सम्मेलन इस्लामिक दुनिया में लड़कियों की शिक्षा की चुनौतियों और अवसरों पर संवाद और समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है.
पाकिस्तान लौटने पर मलाला की खुशी
मलाला ने इस अवसर पर कहा, “यह मेरे लिए सम्मान की बात है. मैं पाकिस्तान वापस आकर बेहद खुश हूं.” मलाला का यह बयान उनके लंबे समय बाद वतन लौटने की खुशी को दर्शाता है. 2012 में, जब मलाला मात्र 15 वर्ष की थीं, उन्हें स्वात घाटी में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकवादियों ने लड़कियों की शिक्षा के लिए उनके अभियान के चलते सिर में गोली मार दी थी. इस घातक हमले के बाद उनका इलाज ब्रिटेन में हुआ, और तब से वह वहीं रहती हैं.
सम्मेलन का उद्घाटन और मुख्य उद्देश्य
इस्लामाबाद में आयोजित इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार सुबह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने किया. सम्मेलन का शीर्षक था “मुस्लिम समाज में लड़कियों की शिक्षा: चुनौतियां और अवसर.
प्रधानमंत्री शरीफ ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना उनकी आवाज़ को दबाने और उनके उज्जवल भविष्य के अधिकार को छीनने के समान है.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम बहुल देशों को सामूहिक प्रयासों से इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए.
मलाला का सशक्त संदेश
मलाला यूसुफजई रविवार को सम्मेलन को संबोधित करेंगी. शुक्रवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने विचार साझा करते हुए लिखा, “मैं इस सम्मेलन में लड़कियों के स्कूल जाने के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी आवाज़ उठाऊंगी. साथ ही, यह चर्चा करूंगी कि तालिबान को अफगान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ उनके अपराधों के लिए जवाबदेह क्यों ठहराया जाना चाहिए.”
अफगानिस्तान का सम्मेलन में न शामिल होना
सम्मेलन में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को भी भाग लेने का निमंत्रण भेजा गया था. लेकिन, इस्लामाबाद से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर अफगान प्रतिनिधि शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए. इस पर पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री खालिद मकबूल सिद्दीकी ने कहा, “अफगानिस्तान की अनुपस्थिति इस्लामिक दुनिया में लड़कियों की शिक्षा पर चर्चा को एक महत्वपूर्ण पहलू से वंचित कर रही है.”इसपर पूरी खबर इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ें.
अफगानिस्तान वर्तमान में विश्व का एकमात्र देश है जहां लड़कियों और महिलाओं पर स्कूल और विश्वविद्यालय जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. 2021 में सत्ता में लौटने के बाद तालिबान ने अपने सख्त इस्लामी कानून लागू किए, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने “लिंग आधारित भेदभाव” करार दिया है.
पाकिस्तान में शिक्षा संकट की गंभीर स्थिति
पाकिस्तान स्वयं भी शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर संकट का सामना कर रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में गरीबी के कारण 26 मिलियन से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर हैं। शिक्षा पर प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा, “हमारी सरकार हर बच्चे को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, विशेष रूप से लड़कियों के लिए.”
मलाला का प्रेरणादायक सफर
मलाला यूसुफजई, जो आज महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों की वैश्विक प्रतीक बन चुकी हैं, ने इस्लामाबाद में अपनी उपस्थिति से सम्मेलन को खास बना दिया. 2014 में 17 वर्ष की आयु में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली मलाला दुनिया की सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं. उनका जीवन और संघर्ष दुनिया भर के लिए प्रेरणा बना हुआ है.
सम्मेलन की प्रमुख बातें
- सम्मेलन में मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने लड़कियों की शिक्षा के विरोध को “भटकाव” बताया और इस दिशा में जागरूकता फैलाने का आह्वान किया.
- शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सदस्य देशों ने साझा समाधान निकालने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
- रविवार को मलाला और अन्य शिक्षाविदों के विचारों को सुनने के लिए विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा.
मलाला की उपस्थिति और उनका संदेश
इस्लामिक दुनिया में लड़कियों की शिक्षा के मुद्दे को नई प्राथमिकता देगा और उन लोगों को प्रेरणा देगा जो इस दिशा में संघर्ष कर रहे हैं.