अल-जीरा की नरेंद्र मोदी के ‘मुस्लिम विरोधी’ रिपोर्ट से विदेशों में बिगड़ सकती है छवि
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
न्यूज आउटलेट्स ‘ अल-जजीरा’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुस्लिम विरोधी होने को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट में पेश की गई दलील और तथ्यों से विदेशों में खासकर दुनिया के मुस्लिम देशों में नरेंद्र मोदी की छवि को बड़ा नुक्सान पहुंच सकता है.
इस रिपोर्ट मंे कहा गया है-‘‘ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रविवार को विवादास्पद टिप्पणियों के बाद मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया जा रहा है, जिसमें उन्होंने समुदाय को घुसपैठियों के बराबर बताया और देश के आम चुनावों के बीच में मुस्लिम विरोधी प्रचार किया.
रिपोर्ट मंे आगे कहा गया है-‘‘पश्चिमी राज्य राजस्थान में एक भीड़ भरी रैली में बोलते हुए, मोदी ने मुसलमानों के स्पष्ट संदर्भ में कहा कि यदि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाला विपक्ष सत्ता में आता है, तो वह देश की संपत्ति उन लोगों के बीच वितरित कर देगा जिनके पास अधिक बच्चे हैं.
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क्या आपकी मेहनत की कमाई घुसपैठियों को दे दी जानी चाहिए? उन्होंने उत्साहित भीड़ से कहा. इससे पहले उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष मौका मिलने पर मंगलसूत्र भी छीन लेगा.वह शुभ हार जो एक पति हिंदू शादियों में अपनी पत्नी के गले में बांधता है.
राजस्थान में स्थानीय चुनाव अधिकारियों ने अल जजीरा से पुष्टि की कि उन्हें मोदी के खिलाफ कम से कम दो शिकायतें मिली हैं, जिसमें उनके चुनाव अभियान को निलंबित करने और उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई है.
‘Infiltrators’
— Al Jazeera English (@AJEnglish) April 22, 2024
India's PM Narendra Modi turned to old anti-Muslim tropes at an election rally, potentially signalling a shift campaign strategy, say analysts https://t.co/rSOTXtwbti pic.twitter.com/uyM4XmdxbT
राजस्थान की राजधानी जयपुर में भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की एक नोडल अधिकारी रेनू पूनिया ने खुलासा किया कि शिकायतें आजाद अधिकार सेना, जो कि एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल और एक स्थानीय गैर-लाभकारी संगठन से मिली है. भारत की चुनाव संहिता पार्टियों और राजनेताओं को ऐसे भाषणों और अभियानों में शामिल होने से रोकती है जिनका उद्देश्य धार्मिक या जातिगत मतभेदों को बनाए रखना है. लेकिन स्वतंत्र निगरानीकर्ताओं और कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से शिकायत की है कि चुनाव अधिकारी बहुत धीमी गति से कार्य करते हैं. खासकर जब मामलों में सरकार के शक्तिशाली अधिकारी शामिल होते हैं.
मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारत के हिंदू-बहुसंख्यक अधिकार में उसके सहयोगियों के कई नेताओं ने लंबे समय से देश के 200 मिलियन मुसलमानों को प्रभावी ढंग से बाहरी लोगों के रूप में चित्रित किया है. बांग्लादेश और म्यांमार से आए मुस्लिम शरण चाहने वालों और शरणार्थियों को विशेष रूप से घुसपैठियों के रूप में लक्षित किया जाता है.
रिपोर्ट मंे आगे कहा गया है-‘‘भाजपा और उसके सहयोगियों ने भी लंबे समय से एक साजिश सिद्धांत को आगे बढ़ाया है, जो बताता है कि भारतीय मुसलमान अंततः देश में हिंदुओं से अधिक बच्चे पैदा करने का इरादा रखते हैं. हकीकत में, सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में मुस्लिम प्रजनन दर सभी समुदायों के बीच सबसे तेजी से गिर रही है. यह पिछले तीन दशकों में लगभग आधी हो गई है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है-‘‘ मोदी ने स्वयं इस रूढ़िवादिता को बढ़ावा दिया है. 2002 में, गुजरात राज्य में एक मुस्लिम विरोधी नरसंहार के बाद, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया – कुख्यात रूप से राहत शिविरों को बच्चे पैदा करने वाली फैक्टरियों के रूप में मजाक उड़ाया था.
फिर भी, हाल के वर्षों में, जबकि उनकी पार्टी और गठबंधन सहयोगियों के अन्य लोग अक्सर खुली इस्लामोफोबिक टिप्पणी और यहां तक कि हिंसा में लगे हुए हैं, मोदी ने अर्थव्यवस्था और सामाजिक विकास के क्षेत्र में अपनी सरकार की दावा की गई उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया है. यह उनके 2024 के पुनः चुनाव अभियान का भी प्रमुख जोर है.
राजनीतिक टिप्पणीकार आसिम अली ने कहा कि मोदी की टिप्पणी भारत के हालिया इतिहास में एक मौजूदा प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया सबसे भड़काऊ बयान है. यह उनकी चुनावी पिच में एक महत्वपूर्ण बदलाव है. भारत अपने राष्ट्रीय चुनाव के सात चरणों में से दूसरे चरण में शुक्रवार, 26 अप्रैल को मतदान करने के लिए तैयार है. पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ था.
अली ने कहा,“पांच साल पहले, सवाल यह था कि मोदी चरमपंथी आवाजों को नियंत्रित क्यों नहीं कर रहे हैं. अब, पीएम मोदी सबसे चरमपंथी प्रचारक हैं.
अचेतन टिप्पणी या सच्चा स्वभाव?
अपने भाषण में मोदी कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र का जिक्र कर रहे थे, जो असमानता पर बढ़ती चिंताओं और विपक्षी दल के पिछले बयानों के बीच धन पुनर्वितरण का वादा करता है.
नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) अनुसंधान कार्यक्रम लोकनीति नेटवर्क के राष्ट्रीय समन्वयक संदीप शास्त्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मोदी की टिप्पणियां एक चूक थीं.और अभियान रणनीति में कोई सचेत बदलाव नहीं. सीएसडीएस सर्वेक्षण के अनुसार, भाजपा को प्रमुख विपक्षी गठबंधन पर 12 प्रतिशत वोट का लाभ है.
शास्त्री ने कहा, मुझे नहीं लगता कि जमीनी हालात के कारण मोदी को किसी भी तरह की जल्दबाजी की जरूरत थी. उन्होंने कहा कि वह इस बयान से निजी तौर पर निराश हैं. शास्त्री ने 2019 का चुनाव जीतने के बाद मोदी के दावे का जिक्र करते हुए कहा, यह एक बेहोश टिप्पणी हो सकती है. क्षण भर की हड़बड़ी में या अभियान के उत्साह में की गई. उन्होंने कहा, उस पृष्ठभूमि में, रविवार की टिप्पणियों से बचना ही बेहतर है.अगर इरादा वही है जो भाषण से पता चलता है, तो यह बहुत बड़ी चिंता की बात है.
बाजार जाने से डर लगता है
राजस्थान में 35 वर्षीय ठेकेदार अशफाक हुसैन रविवार की टिप्पणियों के बारे में मोदी या भाजपा से किसी स्पष्टीकरण का इंतजार नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने काफी कुछ देखा है.हुसैन अपने किशोर बेटे के साथ बैठे थे जब उनके स्मार्टफोन पर मोदी के भाषण का एक टुकड़ा आया. उन्होंने फीड को तेजी से स्क्रॉल किया. उन्होंने कहा, हमारे पीएम हमारे लिए घुसपैठियों जैसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. मुझे शर्म आती है और यह दुखदायी है.
राजस्थान में हाल के वर्षों में लिंचिंग सहित मुस्लिम विरोधी घृणा अपराधों की एक श्रृंखला देखी गई है.मोदी का भाषण, मेरे परिवार की सुरक्षा को खतरे में डालता है. ऐतिहासिक भाईचारे को मिटाकर हमारे समाज को और विभाजित करता है.उन्हांेने कहा, “मुझे शाम को अकेले बाजार जाने में भी डर लगता है. लोग नाम पुकारते हैं और भड़काने की कोशिश करते हैं, जो कभी भी लिंचिंग में बदल सकता है.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जफर इस्लाम ने कहा कि मोदी की टिप्पणियों की गलत व्याख्या की जा रही है. उन्हांेने कहा,“हमें इसे सही संदर्भ में समझने की जरूरत है. अतीत में, बहुत सारे लोग बाहर से आए हैं. समाज में घुल-मिल गए हैं. संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने दलील देकर समझाने की कोशिश की कि मोदी घुसपैठियों की बात करते समय भारत में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों का जिक्र कर रहे थे, न कि भारतीय मुसलमानों का.
इस्लाम ने दावा किया कि भारतीय मुसलमानों को मोदी के तहत सरकारी योजनाओं से लाभ हुआ है . विपक्षी दल धार्मिक अल्पसंख्यकों को वोट देने के लिए डराने-धमकाने पर निर्भर हैं.लेकिन कांग्रेस पार्टी के प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी का घृणास्पद भाषण ध्यान भटकाने के लिए एक जानबूझकर की गई चाल था.
इस भाषण को सुनकर बताइए इस आदमी से ज़्यादा बेशर्म आदमी देखा है? pic.twitter.com/H8tyONwuC7
— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) April 21, 2024
राजनीतिक टिप्पणीकार अली इससे सहमत हैं. उन्होंने कहा, विपक्ष जाति जनगणना की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है , जो भारत में विभिन्न जातियों की आबादी की गणना है. कांग्रेस का दावा है कि इससे पता चलेगा कि कैसे वंचित जातियों को पर्याप्त सकारात्मक अधिकार से वंचित रखा गया है. “विपक्ष को जवाब देने के लिए, पाठ्यपुस्तक की राजनीति कहती है कि आपको एक बलि का बकरा चाहिए और भाजपा के लिए, यह मुसलमान रहे हैं. ”
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 22, 2024
अली ने कहा, भाषण इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि मोदी ने मुसलमानों को हिंदुओं की पहचान के लिए खतरनाक बताने की कोशिश की है.अली ने कहा, मंगलसूत्र को पवित्र माना जाता है. यह एक गहरा मनोवैज्ञानिक हमला था, जो यह एहसास दिलाता है कि मुसलमान आपके निजी, घरेलू स्थान को खतरे में डाल देंगे.यह भारतीय राजनीति के लिए बहुत खतरनाक क्षण है.
PM Sir, this country has given you two terms of absolute power, given you so much love, respect and popularity. What's your compulsion to talk like this? How helpless are you to spread hatred towards a community in your speeches, sir! What's your insecurity as a leader? Please… pic.twitter.com/Ijc9uziTgT
— Satish Acharya (@satishacharya) April 22, 2024
हालांकि, मोदी के इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है. विपक्ष न केवल बीजेपी के कई नेताओं की सनतानों संख्या में जुटा है. सोशल मीडिया पर भी इनकी जमकर आलोचना हो रही है. मोदी के इस बयान पर कई की तो बेहद शर्मनाक टिप्पणी है. जाहिर सी बात है, ऐसी बातें मोदी की छवि को साफ नहीं, धुंधला ही करेगी.
स्रोतरू अल जजीरा