महाकुंभ 2025: प्रेम और भाईचारे का प्रतीक बना प्रयागराज का मुस्लिम समाज
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
महाकुंभ 2025 की शुरुआत से पहले देश में एक खास तरह का नरेटिव गढ़ने की कोशिश की गई थी. कुछ कट्टरपंथी तत्वों द्वारा माहौल बनाया गया कि यदि महाकुंभ में मुसलमान शामिल हुए या व्यापार करेंगे, तो मेला क्षेत्र अपवित्र हो जाएगा. सोशल मीडिया पर कई मुस्लिम विरोधी बयान फैलाए गए, जिससे कई मुस्लिम दुकानदारों को मेले में दुकानें लगाने से रोका गया. लेकिन प्रयागराज के मुस्लिम समाज ने इन नफरत भरे विचारों का जवाब प्रेम, सेवा और भाईचारे के संदेश से दिया.
प्रयागराज के मुसलमानों की सेवा भावना
कुछ भी करलो बुलडोजर चला दो ये अब्दुल नहीं सुधरेगा
— PrakasAc__parody (@Praakasss) January 30, 2025
यह वीडियो इलाहाबाद से है, अव्यवस्था के कारण इलाहाबाद के आसपास के रास्ते के मस्जिदों में श्रद्धालु लोग शरण लिए हुए हैं, मस्जिद के इमाम और वहाँ के स्थानीय लोग उन्हें खाना पानी और ठहरने की व्यवस्था दे रहे हैं, pic.twitter.com/wheMoRDWfv
महाकुंभ 2025 के दौरान जब श्रद्धालुओं को प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तब स्थानीय मुस्लिम समुदाय आगे आया और उन्होंने बिना किसी भेदभाव के श्रद्धालुओं की मदद की. कई इलाकों में मुसलमानों ने अपने घरों के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए, उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध कराया और उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखा.
प्रयागराज के विभिन्न मुस्लिम बहुल इलाकों से श्रद्धालुओं की सेवा करने की तस्वीरें और वीडियो सामने आ रही हैं. कई मुसलमानों ने अपने स्कूलों, कॉलेजों और इमामबाड़ों को श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए खोल दिया. इसके अलावा, कई लोग अपने स्तर पर गाड़ियां लगाकर श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.
रौशनबाग: भाईचारे की मिसाल
रौशनबाग, जो प्रयागराज का एक मुस्लिम बहुल इलाका है, वहां के स्थानीय मुस्लिम नागरिकों ने श्रद्धालुओं के लिए अपनी मदद का हाथ बढ़ाया. यहां के निवासियों ने न केवल अपने घरों के दरवाजे खोल दिए बल्कि फोन चार्जिंग, पानी, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं.
कासगंज से आई एक वृद्ध महिला, मुन्नी देवी, ने बताया कि जब वे रौशनबाग पहुंची, तो स्थानीय मुस्लिम समाज ने उन्हें विशेष सम्मान दिया और भोजन, पानी सहित सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान कीं. एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि भगदड़ में अपना सामान खो देने के बाद मुस्लिम भाइयों ने उन्हें पैसे देकर उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की.
मस्जिदों और इमामबाड़ों के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खुले
प्रयागराज के नघास सोहना क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद के इमाम वसीउल्लाह साहब ने भी महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं की सहायता के लिए अपने दरवाजे खोल दिए. उन्होंने कहा कि इस्लाम मानव सेवा का संदेश देता है और सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है. इस भावना को साकार करते हुए, उन्होंने स्वयं श्रद्धालुओं को रोटी और पानी बांटने का कार्य किया.
शिया समुदाय का योगदान
शिया समुदाय भी इस सेवा में बढ़-चढ़कर शामिल हुआ. प्रयागराज के शिया मुसलमानों ने अपने इमामबाड़ों को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया और उन्हें ठहरने और आराम करने की सुविधाएं प्रदान कीं. कई मुस्लिम परिवारों ने अपने स्कूल और कॉलेज को भी इस उद्देश्य के लिए उपलब्ध कराया.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें और वीडियो
सोशल मीडिया पर कई वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें मुस्लिम समुदाय के लोग महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं की सेवा करते नजर आ रहे हैं. कफील उल रहमान द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में एक मुस्लिम युवक श्रद्धालुओं को भोजन और पानी बांटते हुए दिख रहा है.
जिनको आने से रोका तुमने, उन्होंने ही अपने दिलों के दरवाजे खोल दिए तुम्हारे लिए. ♥️
— BITTU SHARMA- بٹو شرما (@common000786Om) January 31, 2025
इंसानियत 🙏 pic.twitter.com/6Tl7OrG6Cj
रजा अब्बास जैदी ने भी कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिनमें प्रयागराज के यादगारे हुसैनी कॉलेज में श्रद्धालुओं को ठहरने की व्यवस्था दिखाई गई. उन्होंने कहा कि यह सेवा धार्मिक मतभेदों से परे इंसानियत का प्रतीक है.
‘हिंदी हैं हम, वतन है हिंदुस्तान हमारा’
महाकुंभ के दौरान एक मुस्लिम महिला ने श्रद्धालुओं की सेवा करते हुए भावुक संदेश दिया, “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा.” इस वाक्य ने साफ कर दिया कि यह न केवल धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है, बल्कि मानवीय सेवा का भी सबसे बड़ा उदाहरण है.
बहुत बड़ा दिल मुस्लिम भाईयों का ।
— अश्विनी सोनी اشونی سونی (@Ramraajya) January 30, 2025
महाकुंभ में परेशान लोगों की सेवा करते देख भावुक हो गया।
कुछ नफरती चिंटू इन्हें दिनभर गालियां देते है पर ये लोग इंसानियत से मुँह नहीं मोड़ रहें। ❤️
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते है।❤️ pic.twitter.com/qXH5sgBBaO
प्रशासनिक अव्यवस्था के बीच राहत का संबल बने मुसलमान
महाकुंभ 2025 में अब तक 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच चुके हैं, जिससे प्रशासनिक चुनौतियां बढ़ गई हैं. श्रद्धालुओं ने शिकायत की कि उन्हें 15-15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है, शौचालयों की उचित व्यवस्था नहीं है कई जगह बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे समय में स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने अपनी मानवता और भाईचारे की मिसाल पेश की..
नफरत की राजनीति को करारा जवाब
इस समर्पण और सेवा ने उन संगठनों को पीछे धकेल दिया जो खुद को धर्म और समाज सेवा का प्रतिनिधि बताते हैं. नफरत फैलाने वालों ने भले ही मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिश की , लेकिन मुस्लिम समाज के प्रेम और भाईचारे ने उनके एजेंडे को विफल कर दिया.
पहली वीडियो : सैयद शाह हजरत अब्दुल जलील दरगाह/मदरसा, बहादुरगंज ,प्रयागराज ।
— खुरपेंच (@khurpenchh) January 31, 2025
दूसरी विडियो : अनवर मार्केट , जीटी रोड झूंसी , प्रयागराज ।
धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा जिन मुसलमानों को कुंभ में प्रतिबंधित करने की अपील की गई थी , उन लोगों ने कुंभ आए श्रद्धालुओं के लिए अपनी तरफ से रुकने… pic.twitter.com/Bfhhva7Wy6
महाकुंभ: सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, एकता और सौहार्द का संदेश
महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की जीवंत मिसाल भी है. इस आयोजन में मुस्लिम समाज ने यह साबित कर दिया कि धर्म से पहले इंसानियत है और प्रेम एवं भाईचारे से बड़ी कोई ताकत नहीं.
भारत की विविधता में एकता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है, और प्रयागराज में मुसलमानों द्वारा किए गए सेवा कार्यों ने इसे एक बार फिर सिद्ध कर दिया.