सऊदी अरब ने नेतन्याहू के विस्थापन प्रस्ताव को किया खारिज, अरब देशों का आपातकालीन शिखर सम्मेलन
Table of Contents
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,रियाद/काहिरा/यरुशलम
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा फिलिस्तीनी लोगों को उनकी भूमि से विस्थापित करने के सुझाव पर सऊदी अरब और अन्य अरब देशों ने कड़ा विरोध जताया है. सऊदी विदेश मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए इसे “गाजा में फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ इज़रायली अपराधों से ध्यान हटाने का एक प्रयास” बताया.
बयान में कहा गया कि नेतन्याहू और अन्य इज़रायली अधिकारियों द्वारा दिए गए ऐसे बयान फिलिस्तीनियों के जातीय सफाए (Ethnic Cleansing) की नीयत रखते हैं, जिसे किंगडम पूरी तरह नकारता है.
सऊदी अरब का कड़ा रुख
सऊदी विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में कहा, “सऊदी अरब इस चरमपंथी मानसिकता को खारिज करता है जो यह नहीं समझती कि फिलिस्तीनी भूमि का उनके लोगों के साथ कितना गहरा ऐतिहासिक, कानूनी और भावनात्मक संबंध है.” मंत्रालय ने आगे कहा कि इज़रायल की यह प्रवृत्ति दिखाती है कि वह फिलिस्तीनियों को “अप्रवासी” मानता है जिन्हें जब चाहे निष्कासित किया जा सकता है.
बयान में आगे कहा गया, “सऊदी अरब दृढ़ता से मानता है कि फिलिस्तीनी लोगों का अपनी भूमि पर रहने का अधिकार है. उनकी भूमि उनसे छीनी नहीं जा सकती. चाहे इसमें जितना भी समय लगे.” किंगडम ने नेतन्याहू के इस प्रस्ताव को “चरमपंथी विचार” करार देते हुए कहा कि इस मानसिकता ने ही दशकों से शांति प्रक्रिया को बाधित किया है.
अरब देशों में तीखी प्रतिक्रिया
सऊदी अरब के साथ अन्य अरब देशों ने भी नेतन्याहू के इस बयान की कड़ी निंदा की है. मिस्र, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) ने इज़रायली प्रधानमंत्री के इस विचार को “गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ” करार दिया है. मिस्र ने इसे “सऊदी संप्रभुता का सीधा उल्लंघन” बताया और कहा कि यह उसकी “लाल रेखा” है.
जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इस बयान को “अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता का स्पष्ट उल्लंघन” कहा. मंत्रालय के प्रवक्ता सूफियान कुदाह ने कहा कि “नेतन्याहू के इस बयान से क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर खतरा है.”
यूएई ने नेतन्याहू की टिप्पणियों को “पूरी तरह अस्वीकार्य” बताया और सऊदी अरब के साथ एकजुटता व्यक्त की. वहीं, कतर ने नेतन्याहू की टिप्पणी को निंदनीय करार देते हुए इसे “मध्य पूर्व में शांति प्रयासों के लिए गंभीर बाधा” बताया. खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के महासचिव जसीम अल-बुदैवी ने कहा कि जीसीसी देशों ने हमेशा फिलिस्तीनियों के 1967 से पहले की सीमाओं के भीतर एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना का समर्थन किया है.
नेतन्याहू के बयान का वैश्विक असर
अरब दुनिया में विरोध के अलावा नेतन्याहू के इस बयान ने वैश्विक स्तर पर भी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है. वॉशिंगटन में ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों ने इज़रायली प्रधानमंत्री के इस बयान से खुद को अलग करने का प्रयास किया. हालांकि, हाल ही में ट्रम्प ने गाजा पर अमेरिकी प्रशासन के नियंत्रण की संभावना जताई थी, जिससे अरब देशों में व्यापक विरोध हुआ था.
अरब देशों का आपातकालीन शिखर सम्मेलन

मिस्र 27 फरवरी को अरब देशों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है, जिसमें “फिलिस्तीनी क्षेत्रों से संबंधित नवीनतम गंभीर घटनाक्रमों” पर चर्चा की जाएगी. यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब मिस्र अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाजा पट्टी से फिलिस्तीनियों को जबरन विस्थापित करने की योजना के खिलाफ क्षेत्रीय समर्थन जुटा रहा है. मिस्र के विदेश मंत्रालय ने इस बैठक को बुलाने के पीछे मुख्य कारण यह बताया कि “फिलिस्तीनियों को उनकी भूमि से जबरन हटाने के किसी भी प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज किया जाए.”
गाजा युद्धविराम वार्ता में नया मोड़
रविवार को इज़रायली प्रतिनिधिमंडल गाजा युद्धविराम वार्ता के लिए कतर पहुंचा. इज़रायली सेना ने समझौते के तहत गाजा में एक प्रमुख क्रॉसिंग पॉइंट से वापसी पूरी कर ली. समझौते के तहत हमास 33 इज़रायली बंधकों को रिहा करेगा, जिसके बदले में इज़रायल 2,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा.
हालांकि, नेतन्याहू के कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि वर्तमान वार्ता केवल तकनीकी मुद्दों पर केंद्रित होगी, न कि बड़े राजनीतिक विषयों पर, जिनमें युद्ध के बाद गाजा का प्रशासन शामिल है.
गाजा में जारी संघर्ष विराम के बावजूद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. इज़रायली हमलों में अब तक 48,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.
गाजा में मानवीय संकट गहराया
गाजा में हालात बेहद खराब हो चुके हैं. 15 महीने से अधिक के युद्ध के बाद उत्तरी गाजा का अधिकांश हिस्सा बंजर भूमि में तब्दील हो चुका है. हजारों फिलिस्तीनी अपने घरों को छोड़कर शरण लेने पर मजबूर हैं, जबकि कई लोग मलबे के बीच रहने को मजबूर हैं.
शनिवार को रिहा किए गए तीन इज़रायली बंधकों की तस्वीरें सामने आईं, जिनमें वे बेहद कमजोर और कुपोषित नजर आ रहे थे. उनके परिवारों ने इज़रायली सरकार से हमास के खिलाफ और सख्त रुख अपनाने की मांग की है.
गाजा में संघर्ष विराम लागू होने के बावजूद, इज़रायली सेना ने रविवार को खान यूनिस के पास और गाजा सिटी में दो अलग-अलग हमलों में एक बुजुर्ग महिला सहित चार फिलिस्तीनियों को मार गिराया. इज़रायली सेना ने स्वीकार किया कि उसने “कई संदिग्धों” पर गोलियां चलाईं, लेकिन इस घटना पर कोई विस्तृत टिप्पणी नहीं दी.
बेंजामिन नेतन्याहू के विवादास्पद बयान ने अरब दुनिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है. सऊदी अरब सहित अधिकांश अरब देशों ने इस बयान को पूरी तरह अस्वीकार्य करार देते हुए इसे क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताया है. वहीं, गाजा में जारी युद्धविराम के बावजूद वहां के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. आने वाले दिनों में अरब शिखर सम्मेलन और गाजा युद्धविराम वार्ता के नतीजे इस पूरे परिदृश्य की दिशा तय करेंगे.