जेएमआई में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: ब्रह्मांडीय रहस्यों और नई भौतिकी की खोज पर विशेषज्ञों की गहन चर्चा
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
:जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र (सीटीपी) ने इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) के सहयोग से “आकाश पर तनाव और विसंगतियाँ: ब्रह्मांडीय पैमाने पर नए भौतिकी की खोज” विषय पर एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की। इस सम्मेलन का उद्घाटन जेएमआई के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने किया, जिन्होंने अपने प्रेरक भाषण में वैज्ञानिक अनुसंधान और ब्रह्मांडीय रहस्यों की खोज में विश्वविद्यालय की भूमिका को रेखांकित किया।
सम्मेलन का उद्देश्य और वैज्ञानिक महत्व
तीन दिवसीय इस सम्मेलन में विश्वभर के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, शोधकर्ता और विद्वान एकत्र हुए। सम्मेलन का उद्देश्य खगोल भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान में मौजूद अनसुलझे रहस्यों पर विचार-विमर्श करना और मानक मॉडल से परे नई भौतिकी की संभावनाओं का पता लगाना था। हबल तनाव, डार्क मैटर, डार्क एनर्जी और गुरुत्वाकर्षण के संशोधित सिद्धांत जैसे प्रमुख विषयों पर गहन चर्चा की गई।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. मजहर आसिफ ने सैद्धांतिक भौतिकी में जेएमआई के योगदान की सराहना करते हुए कहा, “जामिया मिलिया इस्लामिया को इस महत्वपूर्ण सम्मेलन की मेजबानी करने पर गर्व है, जो ब्रह्मांड विज्ञान और खगोल भौतिकी के बेहतरीन दिमागों को एक मंच पर लाता है। वैज्ञानिक अनुसंधान मानवता की प्रगति का एक महत्वपूर्ण आधार है, और हमारा विश्वविद्यालय इस दिशा में सतत प्रयासरत है।”

विज्ञान और आध्यात्मिकता का संगम
प्रो. आसिफ ने अपने भाषण में विज्ञान और धर्म के बीच एक रोचक समानता स्थापित की। उन्होंने कहा, “विज्ञान और धर्म विरोधी नहीं हैं, बल्कि ज्ञान प्राप्त करने और ब्रह्मांड को समझने के दो अलग-अलग मार्ग हैं। विज्ञान जहां भौतिक नियमों की खोज करता है, वहीं धर्म हमें नैतिक और दार्शनिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है।”
उन्होंने शोधकर्ताओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान में नैतिकता और आध्यात्मिकता का समावेश किया जाना चाहिए। “जिस तरह धार्मिक परंपराएँ सत्य की खोज को प्रोत्साहित करती हैं, उसी तरह विज्ञान उसे उजागर करने के उपकरण प्रदान करता है। हमें अपने अनुसंधान को केवल ज्ञान की सीमाओं तक नहीं, बल्कि मानवता की सेवा और नैतिक प्रगति के लिए भी समर्पित करना चाहिए,” उन्होंने जोड़ा।
सम्मेलन में प्रमुख वैज्ञानिकों की भागीदारी
इस सम्मेलन के अध्यक्ष और सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र के निदेशक प्रो. सुशांत घोष ने उद्घाटन सत्र में गर्मजोशी से भरा स्वागत भाषण दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सम्मेलन ब्रह्मांड विज्ञान और खगोल भौतिकी में अभूतपूर्व विचारों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है।
विज्ञान संकाय के डीन प्रो. सईद उद्दीन ने भी प्रतिष्ठित वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया और वैज्ञानिक अनुसंधान में जेएमआई की अग्रणी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हमारा विज्ञान संकाय अत्याधुनिक अनुसंधान और अंतःविषय सीखने के लिए प्रतिबद्ध है। गुरुत्वाकर्षण भौतिकी, ब्लैक होल अनुसंधान और ब्रह्मांड विज्ञान में हमारा योगदान सराहनीय है।”
सम्मेलन की मुख्य विषयवस्तु और चर्चाएँ
इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण तकनीकी सत्र, पूर्ण व्याख्यान और पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं। प्रमुख विषयों में शामिल थे:
- हबल तनाव: क्या हमारी ब्रह्मांडीय दूरी मापने की पद्धति सही है?
- डार्क मैटर और डार्क एनर्जी: क्या ये रहस्य वैज्ञानिक समझ से परे हैं?
- गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग और ब्रह्मांडीय विसंगतियाँ: क्या हमें ब्रह्मांड के बारे में पुनर्विचार करने की आवश्यकता है?
- संशोधित गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत: क्या आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत से आगे कोई नई भौतिकी मौजूद है?
सम्मेलन में युवा शोधकर्ताओं और छात्रों को अपने शोध कार्य प्रस्तुत करने और क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ चर्चा करने का अवसर मिला।

भविष्य की वैज्ञानिक दिशा
सम्मेलन के समापन सत्र में प्रो. सुशांत घोष ने कहा, “यह सम्मेलन केवल विचारों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि नई वैज्ञानिक खोजों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हम आशा करते हैं कि यहाँ हुई चर्चाएँ और निष्कर्ष ब्रह्मांड विज्ञान और सैद्धांतिक भौतिकी में नई संभावनाओं को जन्म देंगे।”
उन्होंने आयोजन समिति के सभी सदस्यों और आईयूसीएए को इस कार्यक्रम को सफल बनाने में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
काबिल ए गौर
जेएमआई में आयोजित यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन खगोल भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इसने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को ब्रह्मांडीय विसंगतियों और नई भौतिकी की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने के लिए एक सशक्त मंच प्रदान किया। इस सम्मेलन से निकले विचार और अनुसंधान न केवल वैज्ञानिक जगत को बल्कि भविष्य की खोजों और तकनीकी प्रगति को भी प्रभावित करेंगे।
जेएमआई की यह पहल विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और वैज्ञानिक उत्कृष्टता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो इसे वैश्विक शोध संस्थानों की अग्रणी श्रेणी में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी।