रमज़ान के दौरान सहरी खाने के बाद सेक्स करना: जायज़ या नहीं ?
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मौलवी सिब्ते रजी
रमज़ान का महीना इस्लामिक कैलेंडर का एक बहुत ही पवित्र महीना है, जिसमें मुसलमान पूरे महीने उपवास रखते हैं, दिनभर खाने-पीने से परहेज करते हैं और विशेष इबादत (पूजा) करते हैं। इस महीने का एक महत्वपूर्ण पहलू सहरी (रात के भोजन) और इफ्तारी (दिन के भोजन) है। हालांकि, रमज़ान के दौरान अन्य धार्मिक नियमों और निर्देशों के साथ-साथ शारीरिक संबंधों के बारे में भी कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं।
सहरी का महत्व और उपवास की नीयत
सहरी खाना रमज़ान के रोज़े की शुरुआत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सहरी को सुन्नत माना जाता है और यह रोज़े के लिए शारीरिक तंदुरुस्ती बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। मुसलमान हर रोज़े के पहले भोर से पहले सहरी खाते हैं, जिससे उन्हें दिनभर उपवास रखने में सहायता मिलती है। सहरी खाने के दौरान इरादा करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इरादा किए बिना उपवास को स्वीकार नहीं किया जाता।
पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा था, “प्रत्येक कार्य इरादे पर निर्भर करता है।” इस हदीस का मतलब यह है कि हर इबादत (पूजा) को इरादा करने से ही पूरा किया जा सकता है। इसलिए, रमज़ान के रोज़े के दौरान सहरी खाने से पहले इरादा करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, ताकि उपवास पूरा हो सके।
रोज़े के दौरान शारीरिक संबंध
रमज़ान के दौरान दिन में शारीरिक संबंध या सेक्स करना वर्जित होता है, यानी उपवास के दौरान अपने पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए जा सकते। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर सेक्स करता है, तो उसका रोज़ा टूट जाता है और उसे कज़ा (फिर से उपवास रखना) और कफ़्फ़ारा (एक विशेष प्रकार का दान) करना पड़ता है।
यह नियम रमज़ान के दिन की अवधि के लिए है, अर्थात सूर्यास्त से लेकर भोर तक, जब लोग उपवास रखते हैं। इस दौरान शारीरिक संबंध या सेक्स पूरी तरह से निषिद्ध है। इसलिए, यदि कोई व्यक्ति सहरी के दौरान अपनी पत्नी के साथ सेक्स करता है, तो उसका रोज़ा टूट जाएगा, क्योंकि सहरी का समय फज्र (सुबह) से पहले होता है और उपवास शुरू हो चुका होता है।
रमज़ान की रात और सेक्स
रमज़ान की रात में यानी सूर्यास्त से लेकर भोर तक, शारीरिक संबंधों के लिए कोई निषेध नहीं है। इस समय के दौरान, पति-पत्नी के लिए एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाना पूरी तरह से जायज़ है।
अल्लाह तआला ने कुरआन में कहा है:
“रमज़ान की रातों में तुम्हारे लिए अपनी पत्नियों के पास जाना हलाल किया गया है। वे तुम्हारे लिए वस्त्र हैं और तुम उनके लिए वस्त्र हो। अल्लाह जानता है कि तुम अपने आप को धोखा दे रहे थे। फिर उसने तुम्हारी तौबा क़बूल कर ली और तुम्हें माफ़ कर दिया। तो अब तुम भी उनके साथ मिल जाओ और तलाश करो कि अल्लाह ने तुम्हारे लिए क्या लिखा है। और तब तक खाते-पीते रहो जब तक भोर की सफेद रेखा काली रेखा से अलग न हो जाए। फिर रात्रि तक व्रत पूरा करें।” (सूरा अल-बक़रा: 187)
इस आयत से यह स्पष्ट है कि रमज़ान की रातों में जब भोर का समय न हो, तब पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध वैध हैं और इससे उपवास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
सहरी के बाद सेक्स: क्या यह जायज़ है?
कुछ लोग यह मानते हैं कि सहरी खाने के बाद सेक्स करना जायज़ नहीं है, लेकिन यह गलत समझ है। सहरी के बाद, जब उपवास शुरू हो चुका है और भोर का समय हो जाता है, तो शारीरिक संबंध निषिद्ध हो जाते हैं। हालांकि, अगर सहरी से पहले या रमज़ान की रात में, यानी सूर्यास्त से लेकर भोर तक, शारीरिक संबंध बनाएं जाते हैं तो यह पूरी तरह से जायज़ होता है।
यहां यह समझना आवश्यक है कि यदि सहरी के बाद भोर से पहले शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं, तो उपवास पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर यह संबंध भोर के बाद बनाए जाते हैं, तो यह उपवास को प्रभावित करेगा और रोज़ा टूट जाएगा।
काबिल ए गौर
रमज़ान के दौरान सहरी खाने के बाद सेक्स करना तब तक जायज़ नहीं है, जब तक वह भोर से पहले किया जाए। अगर यह सहरी से पहले किया जाता है, तो यह पूरी तरह से जायज़ है, क्योंकि उस समय उपवास का आरंभ नहीं हुआ है। लेकिन यदि सहरी के बाद और भोर के बाद शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं, तो यह उपवास को तोड़ देगा और कज़ा तथा कफ़्फ़ारा अनिवार्य हो जाएगा।
इसलिए, इस महत्वपूर्ण महीने में उपवास और शारीरिक संबंधों के बारे में सही जानकारी रखना जरूरी है, ताकि आप अपने धार्मिक कर्तव्यों को सही ढंग से निभा सकें।