भारत में सांप्रदायिक तनाव: होली और रमजान के संयोग से बढ़ी नफरत की लहर
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नई दिल्ली, मुस्लिम नाउ ब्यूरो
भारत हमेशा से अपनी गंगा-जमुनी तहजीब, सांस्कृतिक सौहार्द और धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन बीते कुछ वर्षों से देश का सामाजिक ताना-बाना कमजोर होता नजर आ रहा है। त्योहार, जो कभी भाईचारे और खुशियों के प्रतीक हुआ करते थे, अब नफरत और हिंसा की आग में झोंक दिए जा रहे हैं।
यह वीडियो मध्य प्रदेश के महू का है। वीडियो में दंगाइयों को साफ़ देखा जा सकता है। pic.twitter.com/w07MDZMzI8
— Wasim Akram Tyagi (@WasimAkramTyagi) March 12, 2025
इस साल होली और रमजान का दूसरा जुमा एक साथ पड़ा, और इसके साथ ही देश के कई हिस्सों से सांप्रदायिक तनाव, हिंसा और धार्मिक स्थलों पर हमले की घटनाएं सामने आईं। सवाल उठता है कि क्या यह सब महज संयोग है, या इसके पीछे कोई साजिशन षड्यंत्र है?
सांप्रदायिक घटनाओं का सिलसिला
महाराष्ट्र के रत्नागिरी (राजापुर) में होली शिमगा उत्सव के दौरान एक उग्र भीड़ ने मस्जिद का गेट तोड़ने की कोशिश की। जब मस्जिद में तरावीह की नमाज अदा की जा रही थी, तभी नारेबाजी के साथ गुलाल फेंकने की घटनाएं भी सामने आईं। इस दौरान मौके पर पुलिस भी थी, लेकिन वह तमाशबीन बनी रही।
मध्य प्रदेश के महू में भी इसी तरह की स्थिति देखी गई, जहां एक धार्मिक जुलूस के दौरान मस्जिद के बाहर तोड़फोड़ और हमले की घटनाएं दर्ज की गईं। स्थानीय लोगों का दावा है कि मस्जिद में पटाखे फेंके गए और जानबूझकर तनाव भड़काने की कोशिश की गई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मस्जिद के गेट पर हमला हुआ और धार्मिक नारे लगाए गए।
उत्तर प्रदेश के संभल में होली से पहले 1,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि मस्जिदों के बाहर लेखपाल और पुलिस बल तैनात किए गए। सवाल यह उठता है कि क्या देश में पहली बार होली मनाई जा रही थी, जो इतनी सुरक्षा की जरूरत पड़ी?
मस्जिदों का रहना बहुत जरूरी है क्योंकि बिना मस्जिदों के तुम्हारे त्यौहार मनते ही कहां है..
— Kavish Aziz (@azizkavish) March 13, 2025
महाराष्ट्र के रत्नागिरी में होली उत्सव के दौरान मस्जिद का गेट तोड़कर घुसने की कोशिश की जा रही है….
मस्जिद में तरावीह की नमाज हो रही थी मौके पर पुलिस भी थी लेकिन इस भीड़ को कोई ना रोक सका pic.twitter.com/VmAOPojNV0
राजनीति और प्रशासन की चुप्पी
इन घटनाओं के बावजूद राजनीतिक दल खामोश हैं। नफरत फैलाने वाले अपने मकसद में कामयाब होते नजर आ रहे हैं, जबकि शांति और भाईचारे की अपील करने वालों की आवाज दबाई जा रही है।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, एक शहर में बंद पड़े एक मंदिर को जबरन खोला गया, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की गई कि उस पर किसी खास समुदाय ने कब्जा कर रखा था। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर वहां रहने वाले लोगों के पलायन के कारण वर्षों से बंद पड़ा था। बावजूद इसके, पुलिस की भारी तैनाती कर इसे जबरन विवादित मुद्दा बना दिया गया।
हिन्दुओं के लिए मस्जिद में🚨
— Deepak Sharma (@SonOfBharat7) March 13, 2025
खौलता हुआ पानी… लाल मिर्च का घोल मिला
देख रहे हो हिन्दुओं, तुम्हारे प्रति प्यार कितना है
भारत माता की जय बोलने वालों को तड़पा तड़पा के मारने की साज़िश रची जा चुकी थी
अगर न होती मोहन यादव जी की पुलिस
तो न जाने कितने हिंदू खौलते पानी में मरते✍️… pic.twitter.com/lyasXrS7Yl
मुसलमानों को टारगेट करने की कोशिश?
इन घटनाओं के बीच कई वीडियो और पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें एक विशेष समुदाय को निशाना बनाकर गलत नैरेटिव गढ़े जा रहे हैं।
उदाहरण के लिए, “मस्जिद में लाल मिर्च वाला खौलता पानी हिंदुओं पर फेंका गया” जैसी झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जबकि किसी भी आधिकारिक जांच में इसकी पुष्टि नहीं हुई है। इसी तरह, “भारत माता की जय बोलने वालों को साजिश के तहत मारने की योजना थी” जैसे झूठे दावे कर माहौल और अधिक जहरीला बनाया जा रहा है।
In Rajapur, Ratnagiri (Maharashtra), people were celebrating the Holi Shimga festival. During the festivities, a Hindutva mob chanted religious slogans and broke the mosque gate. While Taraweeh prayers were being offered, the crowd threw gulal. The police were present at the… pic.twitter.com/ypcHGI0K5l
— Shams Tabrez Qasmi (@ShamsTabrezQ) March 13, 2025
क्या देश को बांटने की साजिश हो रही है?
देशभर में हो रही इन घटनाओं को देखकर यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या भारत को पड़ोसी देशों की तरह हिंसा और कट्टरता की ओर धकेला जा रहा है? क्या एक खास समुदाय को डराकर हाशिए पर लाने की कोशिश की जा रही है?
हकीकत यह है कि भारत में 22 करोड़ मुस्लिम आबादी को हाशिए पर डालना न तो संभव है और न ही लोकतंत्र के लिए सही। लेकिन जिस तरह से हिंसा भड़काने की कोशिशें हो रही हैं, वह देश की धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समरसता के लिए खतरे की घंटी है।
Heavy security has to be deployed in Muslim-majority Sambhal so that Hindus can celebrate Holi.
— Ashok Singhal (@TheAshokSinghal) March 13, 2025
This is why Demography is Destiny. pic.twitter.com/XH5RJOZDDs
अब आगे क्या?
- सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए सरकार और प्रशासन को निष्पक्ष कार्रवाई करनी होगी।
- सोशल मीडिया पर झूठे नैरेटिव और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
- राजनीतिक दलों को अपनी चुप्पी तोड़नी होगी और सांप्रदायिक तनाव रोकने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
- मीडिया और समाज को भी जिम्मेदारी निभाते हुए सच को सामने लाने का काम करना होगा।
भारत हमेशा से विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का संगम रहा है। अगर इसे नफरत की आग में जलने से बचाना है, तो सभी को मिलकर इस साजिश को नाकाम करना होगा। क्योंकि त्योहारों का मकसद नफरत नहीं, भाईचारा होता है।