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वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ असदुद्दीन ओवैसी का आह्वान: लंबे संघर्ष के लिए रहें तैयार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,हैदराबाद

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ एक दीर्घकालिक और संगठित संघर्ष का ऐलान करते हुए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। हैदराबाद के दारुस्सलाम में एक भरे हुए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं पर सीधा हमला है।

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ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा:

“हम भारत के संविधान और अंबेडकर साहब के विचारों में यकीन रखते हैं, लेकिन मोदी जी संविधान में यकीन नहीं, केवल उसका उपयोग करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ अधिनियम के खिलाफ लड़ाई किसानों की तरह एक जनांदोलन बनकर उभरेगी, जिसने केंद्र को कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर कर दिया था।


🏛️ वक्फ अधिनियम: अब तक 500 से ज्यादा संपत्तियां जब्त

ओवैसी ने चेतावनी दी कि वक्फ संशोधन अधिनियम लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में 500 से अधिक वक्फ संपत्तियों को “सरकारी संपत्ति” घोषित किया जा चुका है। उन्होंने दावा किया कि यह अधिनियम धारा 2 के माध्यम से देश के पूंजीपतियों को मुस्लिम संपत्तियों का मालिक बनाने की राह आसान करता है।

उन्होंने कहा,

“इस अधिनियम से मुकेश अंबानी जैसे उद्योगपतियों को लाभ होगा, और वक्फ संपत्तियों पर मुस्लिमों का मालिकाना हक खत्म कर दिया जाएगा।”


⚖️ संवैधानिक नैतिकता बनाम आरएसएस की विचारधारा

ओवैसी ने कहा कि AIMIM ने तीन तलाक, CAA, UAPA, और UCC जैसे सभी कानूनों का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया है।

“हम सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें अचूक नहीं मानते। संविधान की गरिमा को बनाए रखना हमारा उद्देश्य है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार संविधान की आड़ में शरीयत कानून को निष्प्रभावी बनाने का प्रयास कर रही है।


🕌 दाऊदी बोहरा समुदाय ने जताई थी आपत्ति, मोदी सरकार ने अनदेखी की

ओवैसी ने बताया कि संसदीय समिति की सुनवाई के दौरान दाऊदी बोहरा समुदाय, जो शिया मुसलमानों का एक संप्रदाय है, ने खुद को वक्फ अधिनियम से बाहर रखने की मांग की थी।

“मोदी सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज कर दिया और केवल ट्रस्टों को अधिनियम से छूट दी, जो समुदाय की असल मांग नहीं थी।”


🕊️ ओवैसी की अपील: ‘फर्का परस्ती’ नहीं, भाईचारे की राजनीति करें

उन्होंने मुसलमानों से आह्वान किया कि वे शिया और सुन्नी समुदायों के बीच शक और अविश्वास की भावना को खत्म करें और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा दें।

“हमें हिंदू और सिख समाज को यह समझाना है कि जैसे उनकी धार्मिक संपत्तियां संरक्षित हैं, वैसे ही वक्फ संपत्तियां भी हमारी धार्मिक पहचान का हिस्सा हैं।”


🛑 काले कानून के खिलाफ कोर्ट और सोशल मीडिया की लड़ाई

बैठक के मुख्य अतिथि और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम की वैधता को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है और उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस काले कानून को खारिज करेगा

उन्होंने कहा कि यह अधिनियम 1963 की सीमा अधिनियम को लागू करके 12 वर्षों से कब्जे में बैठा व्यक्ति मालिक बन सकता है, जो वक्फ संपत्तियों के लिए गंभीर खतरा है।


📣 मौलाना रहमानी और ओवैसी की संयुक्त अपील: संघर्ष शांतिपूर्ण और सबको साथ लेकर हो

दोनों नेताओं ने देश के मुसलमानों से अपील की कि वे इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं, वैचारिक बहस करें और समाज के अन्य वर्गों को साथ लेकर चलें।

“हमें नफरत और उग्रता की राह पर नहीं चलना, बल्कि संविधान के दायरे में रहकर विरोध को मजबूत बनाना है,” उन्होंने कहा।


🌍 देशभर से नेताओं और विद्वानों की भागीदारी

इस ऐतिहासिक जनसभा में वाईएसआरसीपी (आंध्र प्रदेश), डीएमके (तमिलनाडु) और अन्य संगठनों के प्रतिनिधि, मुस्लिम विद्वान और हजारों लोग मौजूद थे। आयोजकों का कहना है कि भीड़ इतनी अधिक थी कि “अगर रेत का एक दाना गिराया जाता, तो वह ज़मीन पर न पहुंचता”।


✍️ काबिल ए गौर

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देश में संवैधानिक, सामाजिक और धार्मिक स्तर पर गहन बहस शुरू हो चुकी है। असदुद्दीन ओवैसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे एक लंबी लड़ाई की शुरुआत बताया है — एक ऐसी लड़ाई, जो शांति, संगठन और संविधान के मार्गदर्शन में लड़ी जाएगी।

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