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वक्फ संशोधन अधिनियम पर बोहरा समुदाय में विवाद,ओवैसी बोले- मुसलमानों को बाँटने की साजिश होगी नाकाम

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली/हैदराबाद

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देशभर में मुस्लिम समुदाय के भीतर गहराता असंतोष अब एक नई राजनीतिक और सामाजिक बहस में तब्दील होता दिख रहा है। इस बार विवाद का केंद्र बना है दाऊदी बोहरा समुदाय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई हालिया बैठक, जिसमें कथित तौर पर वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया गया।

🧾 ओवैसी का बड़ा बयान, सोशल मीडिया पर उठाए सवाल

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बैठक को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बोहरा समुदाय के कुछ नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक विस्तृत बयान जारी करते हुए दावा किया कि:

“यह मुसलमानों को बांटने की एक संगठित और कुटिल साजिश है। लेकिन इंशाअल्लाह यह काम नहीं करेगी। शिया हों या सुन्नी, हम इस काले कानून के खिलाफ़ एकजुट हैं।”

ओवैसी ने अपने बयान में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद स्वीकार किया है कि वक्फ संशोधन विधेयक के मसौदे को तैयार करने में उन्हें बोहरा समुदाय के कुछ लोगों का सहयोग पिछले तीन वर्षों से मिल रहा था।

📜 बोहरा समुदाय ने किया था विधेयक का विरोध, फिर समर्थन क्यों?

ओवैसी ने सबूत के तौर पर सोशल मीडिया पर एक आधिकारिक पत्र साझा किया है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि बोहरा समुदाय की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को लंदन से बुलाकर संसद की स्थायी समिति में विधेयक का विरोध किया गया था।

“बोहरा समुदाय ने कहा था कि उनकी धार्मिक व्यवस्थाएं — जैसे ‘दाई-अल-मुतलक’ की अवधारणा — वक्फ एक्ट की ‘मुतवल्ली’ व्यवस्था से मेल नहीं खाती हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कानून से पूर्ण बहिष्कार की मांग की थी।” — ओवैसी

💬 ओवैसी का तीखा हमला: “नाना की दुकान पर मामू की फ़तेह”

ओवैसी ने मोदी और बोहरा नेताओं की बैठक को तंज़ कसते हुए कहा:

“यह वही है जो हैदराबाद में हम कहते हैं — नाना की दुकान पर मामू की फ़तेह।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस संशोधित अधिनियम का असली मकसद है कि बड़ी पूंजीपतियों को फायदा पहुँचाया जाए, जिसमें मुकेश अंबानी जैसे लोगों का नाम भी उन्होंने संकेतों में लिया।


📢 मुस्लिम समाज में गहराता अविश्वास, भ्रम फैलाने का आरोप

वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर मुस्लिम समुदाय में पहले से ही भारी नाराज़गी है। ओवैसी का आरोप है कि:

  • सरकार समर्थित कुछ सूफी और पसमांदा नेता मुसलमानों को यह कहकर भ्रमित कर रहे हैं कि नए कानून से महिलाओं, दरगाहों के मुतवल्लियों और पसमांदा वर्ग को अधिकार मिलेंगे।
  • जबकि असल में यह वक्फ संपत्तियों के राष्ट्रीयकरण और निजीकरण का रास्ता है।

🕌 ओवैसी ने दी चेतावनी और एकता की अपील

ओवैसी ने शिया-सुन्नी एकता की बात करते हुए कहा कि यह समय एकजुट होकर वक्फ संपत्तियों और शरीयत के अस्तित्व की रक्षा का है। उन्होंने कहा:

“यह सिर्फ़ एक बिल नहीं, बल्कि हमारी धार्मिक आज़ादी और अस्तित्व का सवाल है। हम शांतिपूर्ण, कानूनी और जनसंघर्ष के माध्यम से इसे रोकेंगे।”


📌 मुख्य बिंदु:

  • प्रधानमंत्री मोदी ने बोहरा समुदाय की बैठक में दावा किया — “तीन वर्षों से समुदाय के साथ संपर्क में हूं, विधेयक में योगदान दिया”
  • बोहरा समुदाय ने पहले ही हरीश साल्वे के माध्यम से विधेयक का विरोध किया था
  • ओवैसी ने कहा — “यह मुसलमानों को बांटने की चाल है, नाकाम होगी”
  • मुस्लिम समाज में भ्रम फैलाने के आरोप, RSS-समर्थक सूफी नेताओं पर हमला
  • शिया-सुन्नी एकता की अपील, दारुल उलूम, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन

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