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नई दिल्ली में ‘नई दुनिया मीडिया फॉर यूनिटी अवॉर्ड्स’ का आयोजन: एकजुट भारत और निष्पक्ष पत्रकारिता के पक्ष में उठी आवाज़ें

📍 मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

जब देश की मुख्यधारा मीडिया पर एकतरफा एजेंडा चलाने और सत्ता के पक्ष में झुकाव के आरोप लगते रहें, तब ‘नई दुनिया मीडिया फॉर यूनिटी अवॉर्ड्स 2025’ जैसा आयोजन लोकतंत्र में निष्पक्ष पत्रकारिता की ज़रूरत की याद दिलाता है। वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी द्वारा आयोजित इस समारोह में देश के जाने-माने पत्रकार, लेखक, कलाकार और पूर्व न्यायाधीश एक मंच पर एकत्र हुए और भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में खुलकर बोले।

🏆 अवॉर्ड एक बहाना, असल मक़सद – एकजुटता और सच्ची पत्रकारिता की पुकार

दिल्ली में आयोजित इस समारोह में न सिर्फ़ मीडिया के दिग्गज शामिल हुए, बल्कि एक ऐसा माहौल बना जिसमें सत्ता की आलोचना और सच्चाई की पक्षधरता को प्राथमिकता दी गई। इस मंच पर एकत्र हुए सभी लोगों की साझा चिंता थी कि मुख्यधारा मीडिया आज सत्ता के गुणगान तक सीमित हो गई है, और देश की विविधता, भाईचारे और वंचित आवाज़ों को दबाया जा रहा है।

🗣️ विचारशील आवाज़ों की मौजूदगी

समारोह में शामिल प्रमुख हस्तियों में शामिल रहे:

  • 🎬 फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा
  • 📰 वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन (The Wire)
  • 🗞️ संपादक सुहासिनी हैदर
  • ✍️ लेखिका मृणाल पांडे
  • 📚 प्रखर संपादक ओम थानवी
  • 📺 टीवी पत्रकार प्रीति चौधरी
  • 🎥 नवीन सूरी
  • 👨‍⚖️ पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन लोकुर
  • 🗳️ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस वाई कुरैशी
  • 📰 वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी

सभी ने अपने संबोधन में लोकतांत्रिक संस्थाओं की गिरती साख, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर मंडराते खतरे और मीडिया की जवाबदेही पर प्रकाश डाला।


✍️ शाहिद सिद्दीकी का संदेश: “जो पुल बनाते हैं, उन्हें सलाम”

इस आयोजन की तस्वीरें और संदेश शेयर करते हुए शाहिद सिद्दीकी ने लिखा:

“नई दुनिया मीडिया फॉर यूनिटी अवॉर्ड्स समारोह नई दिल्ली में आयोजित किया गया। उन सभी मीडियाकर्मियों को बधाई जो एकजुट भारत के लिए खड़े हैं, जो पुल बनाते हैं और एक स्वस्थ और सकारात्मक समाज बनाने की कोशिश करते हैं।”

उन्होंने इस पहल को “भारत के विचार और संविधान की आत्मा को जिंदा रखने की दिशा में एक कदम” बताया।


📸 प्रीति चौधरी का भावुक संदेश

प्रीति चौधरी ने समारोह की तस्वीरें और वीडियो साझा करते हुए लिखा:

“एकजुटता और पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए समर्पित इस शाम का हिस्सा बनकर गर्व हुआ। हम उन कहानीकारों को सलाम करते हैं जो अपने शब्दों और तस्वीरों के ज़रिए समाज को जोड़ते हैं।”


गंभीर सवाल: क्या मुख्यधारा मीडिया अब ‘मुखपत्र’ बन चुकी है?

समारोह में वक्ताओं ने खुले शब्दों में कहा कि:

  • आज का मीडिया सत्ता के सवालों से आंख चुरा रहा है।
  • एकतरफा नैरेटिव गढ़े जा रहे हैं, जिससे वंचित तबकों और अल्पसंख्यकों की आवाज़ें दब रही हैं
  • टीवी डिबेट्स से लेकर अखबारों तक में एकतरफा रिपोर्टिंग का बोलबाला है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

📰 चौंकाने वाली बात: मुख्यधारा मीडिया में नहीं मिली जगह

हालांकि यह आयोजन लोकतांत्रिक मूल्यों और पत्रकारिता की आत्मा की बात करता है, लेकिन देश के किसी बड़े अखबार या न्यूज़ चैनल ने इस खबर को जगह नहीं दी। आयोजकों और वक्ताओं का मानना है कि चूंकि कार्यक्रम में सत्ताविरोधी स्वर मुखर थे, इसलिए इस आयोजन की खबर को जानबूझकर दबा दिया गया।


🔚 निष्कर्ष: ऐसे आयोजनों की जरूरत और बढ़ गई है

‘नई दुनिया मीडिया फॉर यूनिटी अवॉर्ड्स’ जैसे मंच पत्रकारिता की असली ज़िम्मेदारी की याद दिलाते हैं — सच को सामने लाना, सत्ता से सवाल करना और समाज को जोड़ने का काम करना। आज जब लोकतंत्र पर उंगलियां उठ रही हैं और मीडिया की भूमिका पर संदेह गहराता जा रहा है, तब यह आयोजन उम्मीद की एक किरण है।


📲 इस खबर को ज़्यादा से ज़्यादा साझा करें ताकि वो आवाज़ें सुनी जा सकें जिन्हें मुख्यधारा मीडिया ने नज़रअंदाज़ किया है।

अगर आप चाहें तो इस स्टोरी को वीडियो स्क्रिप्ट, प्रेस रिलीज़ या ब्लॉग पोस्ट में भी कन्वर्ट कर सकता हूँ। बस बताइए कैसे चाहिए?

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