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Opinion 50 साल पुराना जख्म फिर ताजा: बांग्लादेश ने पाकिस्तान से मांगा अपना हक

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और कूटनीतिक संबंध

1971 में स्वतंत्रता के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य नहीं रहे हैं। हालांकि कुछ उच्च-स्तरीय यात्राएं हुईं — जैसे जुल्फिकार अली भुट्टो की 1974 में ढाका यात्रा, बेनजीर भुट्टो (1989), परवेज मुशर्रफ (2002), और शेख हसीना (1998) की यात्राएं — पर दोनों देशों के बीच गहरा अविश्वास हमेशा बना रहा।

1971 के युद्ध में पाकिस्तान की सेना पर बांग्लादेश में नरसंहार, लूटपाट और महिलाओं के खिलाफ युद्ध के हथियार के रूप में बलात्कार जैसे गंभीर आरोप लगे। बांग्लादेश अब इन घटनाओं के लिए पाकिस्तान से औपचारिक माफी की मांग भी कर रहा है।

क्या है बांग्लादेश की मांग?

बांग्लादेश का दावा है कि विभाजन से पहले जो संयुक्त पाकिस्तान था, उसमें पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की हिस्सेदारी वित्तीय और संपत्ति मामलों में नजरअंदाज की गई। इसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

  • 1970 के भोला चक्रवात के बाद बांग्लादेश के लिए आई $200 मिलियन की विदेशी सहायता, जिसे पाकिस्तान सरकार ने कथित रूप से लाहौर स्थानांतरित कर लिया।
  • पूर्वी पाकिस्तान में तैनात सिविल सेवकों की भविष्य निधि और बचत राशि, जो अब तक वापस नहीं की गई।
  • विभिन्न बचत प्रमाणपत्र, आयकर बांड, रक्षा बांड और अन्य ऋण, जिनका भुगतान पाकिस्तान सरकार को करना था।
  • रूपाली बैंक (तब मुस्लिम कमर्शियल बैंक) की कराची शाखा में जमा बड़ी राशि, जिसे कभी लौटाया नहीं गया।

बांग्लादेश का कहना है कि जनसंख्या अनुपात के अनुसार उसे 56% संपत्तियों का हक था। विदेशी मुद्रा कमाई के आधार पर यह हिस्सा 54% है। बांग्लादेश ने दस्तावेज़ों और रिपोर्टों के साथ पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर दिया है कि ये दावे कानूनी, तार्किक और नैतिक रूप से वैध हैं।

📌 बांग्लादेश ने क्या-क्या मांगा है?

बांग्लादेश सरकार के मुताबिक, पाकिस्तान के पास बकाया संपत्तियों की सूची में शामिल हैं:

  • 💵 200 मिलियन डॉलर की विदेशी सहायता (भोला चक्रवात के लिए भेजी गई)
  • 🏦 बचत प्रमाणपत्रों और आयकर बांड के भुगतान
  • 💼 पूर्वी पाकिस्तान में कार्यरत बांग्लादेशी सिविल सेवकों की भविष्य निधि और वेतन
  • 🏛️ रूपाली बैंक की कराची शाखा में जमा 15.7 मिलियन BDT
  • 🧾 पाकिस्तानी पुरस्कार बांड, सरकारी प्रतिभूतियां और निवेश
  • 💰 कुल मिलाकर: 4.52 अरब अमेरिकी डॉलर का दावा

पाकिस्तान का जवाब और हालिया घटनाक्रम

पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच ने बांग्लादेश की मांगों पर “संलग्न रहने” की बात कही है, यानी इस पर विचार और बातचीत की जाएगी। वहीं, एफओसी की बैठक में यह भी चर्चा हुई कि दोनों देश व्यापार, वीजा प्रणाली और सीधी हवाई उड़ानों के माध्यम से आपसी संबंध सुधारने को तैयार हैं।

पाकिस्तानी एयरलाइंस फ्लाई जिन्ना को कराची-ढाका मार्ग पर उड़ानों की मंजूरी मिल गई है, जबकि एक और एयरलाइन एयर सियाल ने भी आवेदन दिया है। हालांकि अभी तक किसी बांग्लादेशी एयरलाइन ने उड़ान शुरू करने में रुचि नहीं दिखाई।

भारत की चिंता

भारत में मीडिया रिपोर्ट्स, विशेष रूप से इंडिया डॉट कॉम की पत्रकार निवेदिता दाश के अनुसार, बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकी भारत के लिए चिंता का विषय है। उनका दावा है कि शेख हसीना के शासन के पतन के बाद पाकिस्तान-समर्थक कट्टरपंथी ताकतों ने ढाका में प्रभाव बढ़ाया है और प्रो. यूनुस की अंतरिम सरकार इस्लामाबाद के लिए दरवाजे खोल रही है।

हालांकि, वास्तविकता यह है कि भारत और बांग्लादेश के बीच मजबूत कूटनीतिक संबंध बने हुए हैं, और शेख हसीना सरकार ने भी पाकिस्तान से संबंध पूरी तरह नहीं तोड़े थे। लेकिन दोनों देशों के बीच पहले से ही सीमित राजनयिक उपस्थिति थी, जिसमें उच्चायुक्तों की नियुक्ति में देरी और कुछ राजनयिकों को “अवांछित व्यक्ति” घोषित किया गया था।

आगे क्या?

बांग्लादेश की 4.52 बिलियन डॉलर की मांग के सामने पाकिस्तान की कुल विदेशी मुद्रा भंडार $15.75 बिलियन है। यानी, यदि पाकिस्तान यह दावा स्वीकार करता है तो उसे अपने भंडार का एक चौथाई हिस्सा देना पड़ सकता है।

बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि यह केवल वित्तीय मुद्दा नहीं है, बल्कि 1971 के युद्ध के समय हुई अन्यायपूर्ण घटनाओं के खिलाफ न्याय की लड़ाई भी है। यह मांग एक नैतिक दायित्व है, जिसे अब नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

काबिल ए गौर

बांग्लादेश ने आधी सदी तक इंतजार किया, लेकिन अब वह अपने अधिकारों को लेकर मुखर हो गया है। पाकिस्तान को अब यह तय करना है कि वह अपने अतीत का सामना कैसे करता है। यह मुद्दा न सिर्फ दो देशों के बीच आर्थिक हलचल पैदा करेगा, बल्कि दक्षिण एशिया की कूटनीतिक दिशा भी तय करेगा।


लेखक परिचय:
सलीम समद बांग्लादेश स्थित एक पुरस्कार विजेता स्वतंत्र पत्रकार हैं। वे क्षेत्रीय राजनीति, मानवाधिकार और कूटनीति पर विशेषज्ञता रखते हैं।यह लेखक के विचार हैंI

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