बछड़े के साथ AI तस्वीर पर फंसीं आरफा खानम, धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
वरिष्ठ पत्रकार और ‘द वायर’ की चर्चित संपादक आरफा खानम शेरवानी एक बार फिर दक्षिणपंथी सोशल मीडिया सर्कल के निशाने पर हैं। इस बार मामला एक बकरीद मुबारकबाद से जुड़ा सोशल मीडिया पोस्ट का है, जिसमें AI से जनरेट की गई एक तस्वीर में एक मुस्लिम बच्चा टोपी पहने एक बछड़े को रस्सी से पकड़कर ले जाता हुआ दिखाया गया है। आरफा ने इस पोस्ट के साथ बकरीद की शुभकामनाएं दी थीं।
हालांकि तस्वीर में कहीं भी कोई हिंसा या कुर्बानी की सीधी झलक नहीं है, लेकिन हिंदूवादी संगठनों ने इसका सांप्रदायिक अर्थ निकालते हुए आरफा पर “प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी को बढ़ावा देने” का आरोप लगाया है। उन्होंने इसे भावनाएं आहत करने वाला और भड़काऊ बताया है। अब तक कम-से-कम दो स्थानों पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है और ट्विटर/X पर उनकी गिरफ्तारी की मांग तेज़ हो चुकी है।

🔥 क्या था विवादित पोस्ट?
आरफा खानम ने बकरीद के मौके पर एक प्यारी सी तस्वीर शेयर की थी, जिसमें एक नन्हा बच्चा एक बछड़े को लेकर जा रहा है। पोस्ट के साथ उन्होंने बकरीद की शुभकामनाएं दीं। लेकिन कुछ लोगों ने इसे “बछड़े की कुर्बानी” के प्रतीक के तौर पर देखा, और तत्काल धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया।
🛑 हिंदूवादी संगठनों की प्रतिक्रिया
- दक्षिणपंथी समूहों ने आरफा के पोस्ट को “जानबूझकर उकसाने वाला” बताया है।
- ट्विटर पर #ArfaKhanamArrest ट्रेंड कर रहा है।
- कई नेताओं और यूज़र्स ने दिल्ली पुलिस, सीएम रेखा गुप्ता, और कपिल मिश्रा को टैग कर तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
🧾 आरफा की सफाई और माफ़ी
आरफा ने तुरंत स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह AI जनरेटेड तस्वीर थी, जिसका उद्देश्य किसी की भावनाएं आहत करना नहीं था। उन्होंने पोस्ट हटाकर माफ़ी भी मांग ली है, लेकिन आलोचकों के तेवर नरम नहीं हुए हैं।
“मेरा उद्देश्य केवल त्योहार की शुभकामनाएं देना था। यह तस्वीर भी प्रतीकात्मक थी, न कि किसी नकारात्मक संदेश के लिए। अगर किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं खेद प्रकट करती हूं।”
— आरफा खानम का बयान
⚖️ कानून और राजनीति की गहराती परछाईं
- दिल्ली पुलिस ने इस मामले पर अब तक कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है, जिससे कुछ हिंदूवादी कार्यकर्ता कपिल मिश्रा और दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता से नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं।
- ट्विटर पर एक यूज़र ने लिखा: “जब कपिल मिश्रा कानून मंत्री बनेंगे, तब शायद कार्रवाई होगी। अभी तो SP, RJD, AIMIM, AAP की सरकार है।”
📌 बकरीद और ‘कुर्बानी’ पर बढ़ती राजनीतिक संवेदनशीलता
हर साल बकरीद के आसपास कुर्बानी को लेकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ जाता है। सोशल मीडिया पर अभियान और नफ़रत फैलाने वाली पोस्ट्स देखने को मिलती हैं। मंदिरों और होली जैसे हिंदू त्योहारों में जानवरों की बलि पर अक्सर कोई विरोध नहीं होता, लेकिन मुस्लिम त्योहारों को लेकर दोहरा मापदंड स्पष्ट दिखता है।
श श श श ……
— राजू वाल्मीकि (@raju_botana) June 8, 2025
हिंदुओं गलती से भी रिपोस्ट मत कर देना।
नहीं तो ये तीनों जाग जायेंगे।
CM रेखा गुप्ता (@gupta_rekha )
कपिल मिश्रा (@KapilMishra_IND )
दिल्ली पुलिस (@DelhiPolice )#ArrestAarfaKhanam pic.twitter.com/eRQzwudJlK
आरफ़ा पर इस कपिल मिश्रा के बंदे ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है , इस पर आप क्या कहना चाहेंगे जो ट्वीट था मैं मानता हूँ वो नहीं होना चाहिए था गौ माता का अपमान नहीं होना चाहिए आरफ़ा ख़ानम ने माफ़ी माँग ली है उसके बाद भी यह सब हो रहा है … BJP करवा रही है
— Sandeep Singh (@ActivistSandeep) June 7, 2025
pic.twitter.com/UB1ZR9VE8i
✍️ निष्कर्ष: सवाल माफ़ी का नहीं, पहचान का है?
आरफा खानम का मामला ये दर्शाता है कि माफ़ी माँगना भी अब सोशल मीडिया ट्रायल में बचने की गारंटी नहीं रहा। यह विवाद पत्रकार की पहचान, विचारधारा और धार्मिक पृष्ठभूमि से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
यह मामला केवल एक पोस्ट का नहीं, बल्कि उस सामाजिक ध्रुवीकरण का आईना है जहाँ एक महिला पत्रकार की मंशा को उसके धर्म के चश्मे से देखा जा रहा है।